Himachal Pradesh News: हिमाचल में एक साल के भीतर प्लास्टिक पर होगा पूर्ण प्रतिबंध, सीएम सुक्‍खू ने की घोषणा

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राज्य ब्यूरो, शिमला: हिमाचल प्रदेश में एक वर्ष के भतीर प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा। प्लास्टिक का विकल्प तलाशने के लिए एक वर्ष के भीतर नीति तैयार की जाएगी। सरकार उद्योगों को प्लास्टिक के विकल्प के लिए प्रोत्साहित करेगी और प्रदेश में प्लास्टिक पर चरणबद्ध तरीके से पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा। उन्होंने सड़क निर्माण में प्लास्टिक के उपयोग पर बल दिया। उन्होंने बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए शैक्षणिक पाठ्यक्रम में संस्कृति और पर्यावरण संबंधित विषयों को सम्मिलत करने को कहा।

सुक्‍खू ने पर्यावरण दिवस के अवसर पर कही ये बात
ये घोषणा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह की अध्यक्षता करते हुए कही। चालीस वर्षों में पहली बार हे जब हरित राज्य का सोचा गया है।

ससे पूर्व ओकओवर से पर्यावरण जागरुकता रैली को रवाना करने के साथ पर्यावरण सरंक्षण की शपथ दिलाई। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मौसम में बदलाव के दृष्टिगत देश में जल संकट बढ़ रहा है और कई राज्य हिमाचल से अधिक पानी की मांग कर रहे हैं।

सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में किया जाएगा परिवर्तित
इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात हुई है और बहते सोने की राशि देते भी हैं तो पर्यावरण संरक्षण में योगदान के लिए होगी। आगामी तीन वर्षों में सरकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक वाहनों में परिवर्तित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्रीन कोरिडोर स्थापित करने में हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है और इसके लिए अधोसंरचना का विकास किया जा रहा है।

प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्‍य बनाने का लक्ष्‍य निर्धारित
31 मार्च, 2026 तक हिमाचल प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में 9 महिला स्वयं सहायता समूहों को डोना-पत्तल मशीनें वितरित कीं और 20 एकल नारियों को सोलर लाइटें प्रदान कीं। उन्होंने मिशन लाइफ का बैच और पोस्टर भी जारी किया। इस अवसर पर पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के प्रतीक के रूप में मुख्यमंत्री को रिसाइकिल प्लास्टिक से बनी जैकेट भेंट की गई।

मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्वयं सहायता समूहों और अन्य संगठनों की प्रदर्शनी का भी शुभारम्भ भी किया। इस अवसर पर विधायक हरीश जनारथा, केवल सिंह पठानिया, प्रधान सलाहकार (सूचना प्रौद्योगिकी और नवाचार) गोकुल बुटेल, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, पर्यावरण, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के निदेशक ललित जैन सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा कि प्लास्टिक के विकल्प के लिए भविष्य में संसाधनों को अपनाना होगा। विकास तथा पर्यावरण संरक्षण में संतुलन आवश्यक है ताकि भविष्य सुरक्षित रहे।

चार परियोजनाओं से जीआईजेड कर रहा सहयोग
जीआईजेड यानी जर्मन सोसायटी फॉर इंटरनेशनल कोआपरेशन के क्लस्टर प्रमुख मोहम्मद अल खवाद ने हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों पर चिंता व्यक्त की। हिमाचल प्रदेश में इस समस्या के समाधान के लिए जीआईजेड चार प्रमुख परियोजनाओं के माध्यम से इस सक्रिय रूप कार्य कर रहा है। ये परियोजनाएं वन प्रबंधन, आर्द्रभूमि प्रबंधन, जल सुरक्षा और जल प्रबंधन पर केंद्रित हैं।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की राजदूत दीया मिर्जा ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण दुनिया के हर कोने में पहुंच गया है। हर वर्ष 400 मिलियन टन प्लास्टिक बाजार में पहुंचता है। प्लास्टिक मानव शरीर में प्रवेश कर गया है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाली सभी संस्थाओं से निरंतर कार्य करने का आह्वान करते हुए कहा कि प्लास्टिक का विकल्प तलाश करना अनिवार्य है।