I.N.D.I.A. गठबंधन में यूपी से बिहार तक बढ़ा कांग्रेस पर दबाव, अखिलेश के बाद नीतीश के भी सख्त तेवर

I.N.D.I.A. Pressure on Congress increases from UP to Bihar in alliance, after Akhilesh, Nitish also takes tough stance
I.N.D.I.A. Pressure on Congress increases from UP to Bihar in alliance, after Akhilesh, Nitish also takes tough stance
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लखनऊ: भाजपा के खिलाफ बन रहे विपक्षी I.N.D.I.A. गठजोड़ की अगुआई कर रही कांग्रेस के ऊपर यूपी से बिहार तक दबाव बढ़ रहा है। दोनों ही राज्यों में सीटों की भागीदारी को लेकर कांग्रेस की अपेक्षाएं भले ही अधिक हैं लेकिन यहां के प्रमुख दल कांग्रेस को उसकी जमीन याद दिला रहे हैं। यूपी में अखिलेश यादव के बाद बिहार में नीतीश कुमार ने भी सख्त तेवर दिखा रहे हैं। ऐसे में इन राज्यों में गठबंधन के समीकरण उलझते दिख रहे हैं।

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में गठबंधन न होने के बाद से ही सपा कांग्रेस को इशारे-इशारे में लगातार बता रही है कि यूपी में सीटों के बंटवारे के दौरान वह इसका ‘हिसाब’ करेगी। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने राज्य कार्यकारिणी की बैठक में साफ कर दिया है कि गठबंधन के लिए यूपी में वह महज 15 सीटें छोड़ने को तैयार हैं। अगर रालोद के खाते की सीटें भी इसमें शामिल हैं तो कांग्रेस के हिस्से में एक दहाई सीटों से अधिक आती नहीं दिख रही है। वहीं, बिहार में भी नीतीश कुमार गठबंधन को लेकर कांग्रेस की चुप्पी व निष्क्रियता पर सवाल उठा रहे हैं।

यूपी व बिहार मिलाकर लोकसभा की 120 सीटें हैं। यानी लोकसभा की कुल सीटों की 22% यहीं से आती हैं। 2019 में इसमें 103 सीटें एनडीए ने जीती थीं। यूपी में हुए उपचुनावों में व बिहार में जेडीयू के अलग होने के बाद भी एनडीए यहां 89 सीटों पर काबिज है। इसमें 81 सीटें भाजपा की हैं। वहीं, दोनों राज्य मिलाकर कांग्रेस के पास केवल दो सीटें हैं।

कांग्रेस के खिलाफ सपाई लगातार मुखर
यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के 80 सीटों पर तैयारी के दावों व अखिलेश यादव को लेकर की गई टिप्पणी के बाद दोनों ही दलों के शीर्ष नेतृत्व की ‘युद्ध विराम’ की कवायद एक बार जमीन पर फेल होती दिख रही है। अखिलेश सधे शब्दों में कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। फोन टेपिंग मामले में भी उन्होंने मुलायम सिंह यादव का वाकया याद दिलाकर कांग्रेस को निशाने पर लिया है।

वहीं, सपा के दूसरे नेता व प्रवक्ता आक्रामक शब्दों में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से लेकर यूपी में कांग्रेस की जमीनी पूंजी पर सवाल पूछ रहे हैं। गुरुवार को सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल ने भी कह दिया कि कांग्रेस राष्ट्रीय दल है। इसलिए, गठबंधन को बनाए रखने की जिम्मेदारी उसकी है। उन्होंने कांग्रेस की 80 सीटों पर तैयारी के दावों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यूपी में उनके पास है ही क्या? यहां केवल सपा है।

अखिलेश आज एमपी में ठोकेंगे ताल
गठबंधन को लेकर समन्वय बनाने की नसीहतों के बीच अखिलेश शुक्रवार को मध्य प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस दोनों के खिलाफ ताल ठोकेंगे। अखिलेश छतरपुर जिले की चांदला सीट से उम्मीदवार पुष्पेंद्र सिंह अहिरवार के समर्थन में जनसभा करेंगे। इससे पहले सितंबर में भी एमपी दौरे के दौरान अखिलेश छतरपुर गए थे। एमपी में चूंकि सपा ने कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं, इसलिए, मंच से भाजपा के साथ ही अखिलेश के निशाने पर कांग्रेस भी रहेंगे। ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच जुबानी जंग का सिलसिला और तेज हो सकता है।

सीटों पर सख्त क्यों अखिलेश?
लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर सख्त रुख व यूपी की अधिकांश सीटों पर सपा को लड़ाने का मन अखिलेश यादव यूं ही नहीं बना रहे हैं। पिछले अनुभव व पार्टी कार्यकर्ताओं का दबाव भी इसकी अहम वजह है। गुरुवार को सहारनपुर में अखिलेश यादव ने खुद बताया कि सीटों की गिनती इसलिए भी थी कि प्रदेश कार्यकारिणी के लोगों के सुझाव थे कि सपा को अधिकतर सीटों पर लड़ना चाहिए।

हालांकि, अखिलेश यह भी कह रहे हैं कि अभी तक जितने हमने गठबंधन किए हैं, कोशिश हुई है कि किसी गठबंधन साथी को निराश न करें। हमारा गठबंधन और PDA स्ट्रेटजी ही हराएगा NDA को। संतुलन की इस कवायद के बीच सपा के भीतर चर्चा यह है कि अधिक सीटें देने का सपा ने नुकसान ही झेला है। चाहे 2017 में कांग्रेस के साथ गठबंधन रहा हो या 2019 में बसपा के साथ। इसलिए 2024 के ‘अस्तित्व’ से जुड़े चुनाव में दरियादिली दिखाना मुफीद नहीं है।