भारत में लोग आंख मूंदकर खा लेते हैं यह गोली, आप भी उनमें तो नहीं, खतरा जान लीजिए

In India people blindly eat this pill, even you are not in them, know the danger
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नई दिल्ली: देश में कोरोना काल से पहले और उसके दौरान लोगों ने जमकर एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन का प्रयोग किया था। चौंकाने वाली बात तो ये है कि कई दवाइयों को तो ड्रग रेग्युलेटर से मंजूरी तक नहीं मिली थी। हेल्थ सेक्टर का मशहूर जर्नल लैंसेट (Lancet) के दक्षिणपूर्व एशिया में छपी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। रिसचर्स ने भारत के निजी अस्पतालों में कोरोना से पहले के एंटीबायोटिक के प्रयोग पर खोजबीन की। रिसर्च में चौंकाने वाले नतीजे आए। रिसर्च में पाया गया ज्यादातर एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं किया गया है। यही नहीं भारत में सबसे ज्यादा एजिथ्रोमाइसिन का इस्तेमाल होता है। लोग बिना सोचे-समझे इसका इस्तेमाल करने लगते हैं।

चौंकाने वाले खुलासे
रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। इस रिपोर्ट में भारत में एंटीबायोटिक के खिलाफ बन रही प्रतिरोधक क्षमता को लेकर अहम बात कही गई है। रिपोर्ट के प्रमुख रिसर्चर डॉ मुहम्मद एस हाफी (Dr Muhammed S haffi) ने कहा, ‘भारत एजिथ्रोमाइसिन समेत बड़े पैमाने पर एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है। एजिथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किफायत के साथ किया जाना चाहिए। वैसी एंटीबायोटिक्स दवाएं जिसका इस्तेमाल अज्ञात बैक्टीरिया के खिलाफ (Broad Spectrum Drug)किया जाता है उसका इस्तेमाल भी संभलकर करने की जरूरत है। ऐसे ड्रग का इस्तेमाल उसी सूरत में किया जाना चाहिए जब किसी मरीज की जान संकट में हो और उसके अंदर अज्ञात बैक्टीरिया पुख्ता संदेह हो।’ उन्होंने कहा कि गले के इंफेक्शन में दिए जाने वाला एंटीबायोटिक्स भी प्रिजर्व हो सकता है। इस रिसर्च को भारतीय पब्लिक हेल्थ फांउडेशन नई दिल्ली के साथ किया गया है।

इसे जान डर जाएंगे!
रिपोर्ट में बताया गया है कि रोजाना दिए जाने वाले एंटीबायोयिक्स के डोज का कुल 44% बिना इजाजत वाली दवाइयां हैं। इसमें 1,098 यूनिक फॉम्युलेशन वाली और 10,100 यूनिक ब्रैंड की दवाए हैं। इसमें से केवल 46% दवाओं को सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) के नियमों के तहत आते हैं। शाफी ने कहा कि कंपनियां राज्यों से बिना केंद्रीय रेग्युलेटर की इजाजत के ही लाइसेंस प्राप्त कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच नियामक शक्तियों में उहापोह के कारण देश में एंटीबायोटिक्स की उपलब्धता और बिक्री को पेचीदा बना देता है। हालांकि इस रिसर्च में देश में केवल एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग को लेकर ही खोजबीन की गई है।

रिपोर्ट में एजिथ्रोमाइसिन ड्रग के दुरुपयोग का खास जिक्र किया गया है। आइए जानते हैं इस दवा का इस्तेमाल कहां और किसलिए किया जाता है। लोग गूगल पर ऐसे-ऐसे सवाल पूछते हैं।

प्रश्न- एजिथ्रोमाइसिन का इस्तेमाल कहां और किसलिए किया जाता है?
उत्तर- एजिथ्रोमाइसिन का इस्तेमाल बैक्टीरियल इंफेक्शन के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल न्यूमोनिया, कान, फेफेड़े, साइनस, स्किन, गले के इंफेक्शन को खत्म करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न- क्या एजिथ्रोमाइसिन पावरफुल एंटीबायोटिक्स है?
उत्तर- एजिथ्रोमाइसिन बड़े पैमाने पर जीवाणु से होने वाले इंफेक्शन से लड़ सकता है। ये खराब बैक्टीरिया को बढ़ने से रोक सकता है।

प्रश्न- एजिथ्रोमाइसिन को कब लेना चाहिए?
उत्तर- जब शरीर में कोई इंफेक्शन हो तो इस दवा को लिया जा सकता है। आम तौर पर इस एंटीबायोटिक्स को दिन में एक बार लिया जा सकता है। जिस वक्त इस दवा को लिया गया है उसी वक्त अगले दिन इसे लेना चाहिए।

प्रश्न- एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी दवा को कोई शख्स कबतक ले सकता है?
उत्तर- आम तौर पर एजिथ्रोमाइसिन 250 एमजी और 500 एमजी में आता है। 500 एमजी वाली दवा 3 से 10 दिन तक लिया जा सकता है।

प्रश्न- एजिथ्रोमाइसिन को 3 दिन के लिए क्यों दिया जाता है?
उत्तर- शुरू में डॉक्टर इस दवा को छोटे इंफेक्शन के लिए 3 दिन के लिए प्रेस्क्राइब करते हैं।

प्रश्न- एजिथ्रोमाइसिन के इस्तेमाल का क्या नुकसान है?
उत्तर- इस दवा के कारण हृदय की गति पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा डायरिया, उल्टी या पेट में दर्द जैसे साइड इफेक्ट आ सकते हैं।