Holashtak 2023 : हिंदू मान्यता है कि होलाष्टक पर कोई शुभ कार्य नहीं होते है.बताया जाता है इस दौरान भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को मारने के लिये बहुत से यातना दी गयी थी. दूसरा कारण ये भी कहा जाता है कि इन दिनों शिव जी के क्रोध से कामदेव के भस्म होने के बाद कामदेव की पत्नी रति ने गहन पूजा आराधना की थी.
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन शुक्ल अष्ट्मी तिथि 27 फरवरी को 12.58 रात से शुरू होकर 28 फरवरी 2.21 रात तक हैं. उदयातिथि के अनुसार मानें तो फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू होगा और इन दिन सुबह 6.49 से लेकर दिन में 1.35 तक भद्रा लगी है. फाल्गुन पूर्णिमा की 06 मार्च को शाम 04:17 बजे से 07 मार्च को शाम 06:09 बजे तक है. उदयातिथि के बाद फाल्गुन पूर्णिमा 07 मार्च को होने पर होलाष्टक समाप्त हो जाएगा.
इस साल 27 फरवरी से लेकर 07 मार्च तक होलाष्टक होगा और फाल्गुन अष्टमी से पूर्णिमा तक अशुभ माने जाने वाली 8 तिथियां की जगह इस बार 9 दिन कोई शुभ कार्य नहीं होगा. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा यानि होलिका दहन तक होलाष्टक होता है. जिसे अशुभ दिनों में माना गया है.
होलाष्टक में क्या नहीं करना है
कोई मांगलिक कार्य जैसे शादी-ब्याह नहीं होते हैं.
शादी की बातचीत नहीं होती है.
शुभ संस्कार नहीं होते हैं.
होलाष्टक में क्या कर सकते हैं
ग्रह उग्र होते हैं इसलिए ग्रहों की शांति के उपाय कर सकते हैं.
आमलकी एकादशी और रंगभरी एकादशी के साथ ही प्रदोष व्रत इस दौरान होंगे जिनपर पूजन किया जा सकता है.
माता लक्षमी और चंद्रमा को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन जरूर पूजें.
साथ ही स्नान और दान कर पुण्य प्राप्त किया जा सकता है.