अभी अभी:हिमाचल में कहर बनकर टूटा आसमान, अब तक 250 लोगों की गई जान

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शिमलाा: हिमाचल प्रदेश में इस मॉनसून सीजन में कुदरत का कहर बरपा है. देवभूमि में ये बरसात मौत लेकर बरसी है. आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में 13 जून से अब तक 250 लोगों से ज्यादा लोगों की जान गई है. 14 अगस्त तक 259 लोगों की जान इस मॉनसून सीजन ने ले ली है, जोकि एक बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही है. एक दर्जन से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं. किन्नौर जिले में दो बार पहाड़ से मौत बरसी है. संपत्ति को भी खासा नुकसान हुआ है. अब तक के आंकलन के अनुसार प्रदेश में 789 करोड़ रू. से ज्यादा की संपत्ति भी बाढ़ की भेंट चढ़ चुकी है.

इस दौरान 507 मवेशियों की मौत हुई है, 44 पक्के और 88 कच्चे मकान जमींदोज हुए हैं. इसके अलावा 120 पक्के और 541 कच्चे मकानों को नुकसान पहुंचा है. 253 में से 120 लोग सड़क पर हुए हादसों में मारे गए हैं. भूस्खलन से 43 और अचानक आई बाढ़ में 10 लोगों की मौत हुई है और 25 लोग ऐसे हैं जिनकी की डूबने से मौत हुई है.

भूस्खलन से हुई 43 मौतों में से अकेले किन्नौर जिले में अब तक 30 लोगों की मौत हुई, शिमला में दो और सोलन में एक व्यक्ति की मौत हुई है. शहरों में भारी बारिश से काफी नुकसान हुआ है. राजधानी शिमला समेत प्रदेश के कई नगरों में नुकसान हुआ है.

इस बरसात में सबसे ज्यादा तबाही किन्नौर, कांगड़ा और लाहौल-स्पीति में देखने को मिली है. इस तरह की घटनाओं की बढ़ौतरी पर सीएम जय राम ठाकुर का कहना है कि ये चिंता का विषय है. हिमाचल में इससे पहले भी बहुत बार इस तरह की घटनाएं घटित हुई हैं. सीएम ने कहा कि अब एडवांस तकनीक और तकनीक का सहारा लेना होगा, वर्कआउट करना होगा कि क्या किया जा सकता है.

वहीं दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री का कहना है कि कुदरत ने कहर बरपाया है लेकिन काफी हद तक अवैज्ञानिक तरीके से किए गए विकास कार्य भी जिम्मेवार हैं. इन घटनाओं ने प्रश्नवाचक चिन्ह खड़े कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण, नदियों में की जा रही डंपिग, सड़क बनाने के लिए की गई ब्लासटिंग समेत कई तरह कारण हैं जिनसे खतरा बढ़ा है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अब समय आ गया है वैज्ञानिकों की मदद से पर्यावरण से जुड़े सभी समस्याओं का हल करना होगा ताकि नुकसान को कम किया जा सके.