यूपी समेत सभी 5 राज्य में केजरीवाल की फिर बिजली का करंट, जानिए चलेगा या नहीं

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नई दिल्ली। अगले छह महीने के अंदर जिन पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, उनमें ‘मुफ्त बिजली’ एक बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है। इसकी वजह बनी है आम आदमी पार्टी। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की कामयाबी का यह ‘टेस्टेड फार्म्यूला’ है। इसलिए वह जिन चुनावी राज्यों में दस्तक दे रही हैं, वहां पर भी अपनी सरकार बनने पर 300 यूनिट बिजली मुफ्त में देने का वायदा कर रही है। अब तक वह उत्तराखंड, पंजाब, यूपी और गोवा में यह वादा कर चुकी है। उसके वादे के बाद उन राज्यों की सियासत बिजली के इर्द-गिर्द घूमने लगी है।

जो पार्टी सरकार में है, वह तो ‘मुफ्त बिजली’ के वादे को ‘काउंटर’ करने में जुट गई है, लेकिन जो सरकार में नहीं हैं, वे भी इससे पार पाने की जुगत में लग गईं हैं। इसमें कोई शक नहीं कि चुनावों में ‘मुफ्त’ वाला फैक्टर बहुत प्रभावी साबित होता आया है, जब बात मुफ्त बिजली की हो तो फिर कहने ही क्या, क्योंकि आम परिवारों में बिजली बुनियादी जरूरतों में शामिल तो होती ही है लेकिन इस पर होने वाले खर्च को सबसे बड़ा बोझ भी समझा जाता है।

2015 के दिल्ली चुनाव में जब आम आदमी पार्टी ने दिल्ली मुफ्त बिजली-पानी देने का वादा किया था तो बीजेपी इसके विरोध में थी लेकिन 2020 के चुनाव में खुद बीजेपी को यह वादा करना पड़ा था कि अगर वह दिल्ली में सरकार बनाती है तो वह भी दिल्ली वालों को मुफ्त में बिजली-पानी देगी।

अब तक कहां क्या हुआ?
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के सरकार में आने पर 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने के वादे के बाद ही वहां की बीजेपी सरकार को तुरंत-फुरंत मुफ्त बिजली देने का वादा करना पड़ गया। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि उत्तराखंड में लोगों को 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली और 100 से 200 यूनिट तक खर्च करने वाले परिवारों को 50 फीसदी की छूट पर बिजली मुहैया करवाई जाएगी। कांग्रेस के अघोषित तौर पर सीएम का चेहरा माने जा रहे हरीश रावत ने कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर पहले साल 100 यूनिट बिजली मुफ्त में दी जाएगी। एक साल बाद से इसे 200 यूनिट कर दिया जाएगा।

पंजाब में AAP के ऐलान के बाद हुआ विमर्श
पंजाब में जहां पहले से किसानों और अनुसूचित जाति वर्ग को मुफ्त बिजली दी जाती है, वहां पर भी आम आदमी पार्टी ने सभी परिवारों को सरकार में आने पर 300 यूनिट बिजली मुफ्त में देने का वादा किया है। आम आदमी पार्टी के एलान के बाद कांग्रेस के अंदर इस बात पर विमर्श शुरू हुआ कि सरकार को चुनाव से पहले ही सभी परिवारों के लिए 200 यूनिट बिजली मुफ्त कर देनी चाहिए ताकि आम आदमी पार्टी के वादे के प्रभाव को कम किया जा सके। अगर अमरिंदर सिंह का इस्तीफा नहीं हुआ होता तो अगले हफ्ते की कैबिनेट में ऐसी घोषणा हो भी जाती। अब कहा जा रहा है कि नए मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद पहली कैबिनेट में ही 200 यूनिट मुफ्त बिजली का ऐलान कर दिया जाएगा।

योगी सरकार को भी अपना रिपोर्ट कार्ड जारी करना पड़ा
यूपी में तो सभी दलों में खलबली मच गई है। ‘सरकार ग्रामीण उपभोक्ताओं को 2.80 रुपये प्रति यूनिट के और बगैर मीटर वालों को 4.07 रुपये प्रति यूनिट की छूट शुरू से ही दे रही है। एक किलोवॉट लोड तक और 100 यूनिट की खपत तक के शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं को चार रुपये से अधिक प्रति यूनिट छूट दी जाती है। यही नहीं, गांव में मीटर और बिना मीटर वाले कृषि उपभोक्ताओं को तो छूट क्रमशः पांच रुपये और 6.32 रुपये प्रति यूनिट है। इस तरह सरकार ग्यारह हजार करोड़ की सब्सिडी गरीब और किसानों के लिए देती है।’

कांग्रेस ने तो आम आदमी पार्टी पर चुनावी वादे को चुरा लेने का आरोप लगा डाला। पार्टी की तरफ से कहा गया कि यूपी के लिए तो यह उसका पुराना वादा है कि सभी को मुफ्त बिजली और पुराने बिलों की माफी। अखिलेश यादव ने तो यह तक कह डाला कि जितने नए बिजली घरों का निर्माण उनकी सरकार में हुआ है, उतना किसी सरकार में नहीं हुआ। बिजली सप्लाई में सुधार भी उन्हीं की सरकार की देन है।

गोवा का मुफ्त बिजली पर क्या होगा स्टैंड
गोवा में भी जब आम आदमी पार्टी ने मुफ्त बिजली देने का वादा किया तो वहां के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को यह कहना पड़ा-‘गोवा के लोग बहुत स्मार्ट हैं और वे इस झांसे को गंभीरता से नहीं लेंगे।’ लेकिन उनकी फौरी प्रतिक्रिया यह बताने के लिए काफी है कि वह इसके असर पड़ने की संभावना को नजरअंदाज नहीं कर पाए।

क्या यह इतना आसान होगा?
दिल्ली और दूसरे राज्यों की आर्थिक स्थिति, वहां की आबादी कतई अलग-अलग हैं। दिल्ली से उसकी तुलना नहीं हो सकती। उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत का यह बयान भी काबिल-ए-गौर है कि अगर उत्तराखंड का सालाना बजट दिल्ली के सालाना बजट के बराबर होता तो हम उत्तराखंड के लोगों को 400 यूनिट मुफ्त बिजली दे सकते हैं। कई एक्सपर्ट यह मानते हैं कि अगर दिल्ली की तरह इन राज्यों में मुफ्त बिजली की ओर कदम बढ़ाया गया तो राज्यों को आर्थिक चुनौतियों से सामना करने से इंकार नहीं किया जा सकता।

क्या कहते हैं आकड़े
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पंजाब में बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी की राशि साढ़े दस हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है। चालू वित्तीय वर्ष में पंजाब सरकार पर बिजली सब्सिडी के 17,800 करोड़ रुपये उधार चल रहे हैं, जो उसे पावरकॉम को देना है। अब अगर राज्य में सभी को 200 यूनिट बिजली दी जाती है तो सरकारी खजाने पर 7,768 करोड़ रुपये सब्सिडी का बोझ और बढ़ जाएगा। पंजाब पहले से ही 2.73 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में हैं।

उत्तराखंड में वहां की सरकार ने 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने का जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसकी वजह से उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड पर करीब 400 करोड़ सालाना का अतिरिक्त भार पड़ेगा। यूपी को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, उसमें कहा गया है कि घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने पर सरकार पर 21286 करोड़ रुपये की सब्सिडी का भार बढ़ेगा।

‘न करने के यह बहाने हैं’
आम आदमी पार्टी के सांसद और यूपी के प्रभारी संजय सिंह कहते हैं कि जब हमने दिल्ली में मुफ्त बिजली देने की बात की थी, तब भी आंकड़ों के जरिए हमें डरवाया गया था लेकिन हम ऐसा करने में कामयाब रहे क्योंकि हमने दूसरे फिजूल खर्च और कमीशन बाजी को खत्म किया। दूसरे राज्यों में भी हम ऐसा ही करके दिखाएंगे। आंकड़ों के जरिये डरवाना, न करने का बहाना होता है।