बेरहमी से मारतीं, शरीर पर बनातीं डिजाइन, फिर मनातीं जश्न…हिला देगी किलर बहनों की क्राइम कहानी

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मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र की दो सीरियल किलर बहनों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। हत्यारी बहनों रेणुका शिंदे और सीमा गवित का भयानक कृत्य तीन दशक के बाद एक बार फिर लोगों के सामने आया। तीन दशक पहले यह केस बहुत चर्चा का विषय बना था। दोनों बहनों ने 14 बच्चों का किडनैप किया, 9 बच्चों की हत्या की।

कोल्हापुर में अंजना गवित की बेटी रेणुका हुई तो उसके पति ने उसे छोड़ दिया। उसने मोहन नाम के शख्स से शादी की लेकिन सीमा के पैदा होने के बाद मोहन ने प्रतिमा नाम की दूसरी महिला से शादी कर दी। अंजना दोनों बेटियों के साथ मिलकर चोरियां करने लगी।

करते थे चोरियां
सीमा और रेणुका अपनी मां अंजना गावित के साथ भीड़-भाड़ वाले पब्लिक प्लेस, धार्मिक स्थानों पर छोटी-मोटी चोरी और चेन-स्नैचिंग करते थे। जेबें काटते और पर्स चोरी करते थे।

बच्चों को यूज करने का ऐसे आया आइडिया
ऐसी ही घटना में, रेणुका शिंदे एक मंदिर में महिला को लूटने की कोशिश करते हुए पकड़ी गई थी। चूंकि उसके साथ एक साल का बच्चा था, इसलिए वह भीड़ के प्रकोप से बच गई। यहां से उसके नए अपराध की शुरुआत हुई। रेणुका को लगा कि अगर वह अपराध करते समय पकड़ी जाती है तो बच्चों की आड़ में वह बच सकती है। इसके अलावा बच्चों से अपराध कराए जा सकते हैं।

125 से ज्यादा केस दर्ज हुए
1990-1996 तक मां-बेटियों की तिकड़ी ने तीन दर्जन से अधिक बच्चों का अपहरण किया। बच्चों में ज्यादातर शिशु और 12 साल से कम उम्र के बच्चे थे। तीनों बच्चों को भीख मांगने, चोरी करने में लगाते थे। बच्चों को आधा पेट खाना दिया जाता था। यह सुनिश्चित किया जाता था कि वे भाग न पाएं। तीनों के खिलाफ 125 से अधिक केस दर्ज किए गए।

रेणुका ने बच्चे को मारकर सीमा को बचाया
मार्केट में चोरी के ऐसे ही एक प्रयास में सीमा गवित पकड़ी गई। पास में ही रेणुका खड़ी थी। उसके साथ एक अपहृत लड़का था। सीमा के पकड़े जाते ही रेणुका ने बच्चे का सिर जमीन पर पटक दिया, जिससे उसका सिर फूट गया। जैसे ही बच्चे का सिर फटा वह दर्द से चिल्लाने लगा। पूरी भीड़ का ध्यान सीमा से हट गया और वे बच्चे की ओर देखने लगे। मौका देखकर सीमा वहां से भाग निकली। इसी तरह दोनों बहनें काम करती रहीं।

40 से ज्यादा बच्चों के किडनैप
दोनों बहनों ने 1990 से लेकर 1996 तक 40 से ज्यादा बच्चों का किडनैप किया। इस बच्चों में से पुलिस ने संतोष, बंटी, स्वाति, गुड्डू, मीना, राजा, श्रद्धा, क्रांति, गौरी और पंकज के अपहरण साबित किया। इसके अलावा सिर्फ संतोष, श्रद्धा, गौरी, पंकज और अंजलि की नृशंस हत्याएं साबित हुईं।

निर्ममता से बच्चों को मारा
तीनों ने एक 18 महीने के लड़के की हत्या की। उन्होंने उसके सिर को एक बस स्टैंड पर लोहे की छड़ पर बार-बार पटका और उसकी हत्या कर दी। उसके बाद तीनों खूब हंसे और वड़ा पाव खाया। उन्होंने एक और ढाई साल की बच्ची को मार डाला, उसके शरीर को एक बैग में भर दिया। इस बैग को लेकर सिनेमा हॉल में पिक्चर देखने गए और लौटते समय रास्ते में उसका शव फेंक दिया।

एक साल के लड़के का सिर सड़क पर पटक-पटकर मारा। एक अन्य बच्चे के शरीर में 42 घाव किए। उन्होंने लगभग 4 साल के एक अन्य बच्चे के शरीर में घाव कर- करके डिजाइन बनाए।

ऐसे खुलीं वारदातें
1996 में अंजना ने रेणुका और सीमा के साथ मिलकर अपने पूर्व पति मोहन और प्रतिमा की बेटी की हत्या की। इस हत्या के बाद उन्होंने मोहन और प्रतिमा की दूसरी बेटी को मारने की प्लांगि की। इसकी भनक प्रतिमा को लग गई तो उसने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद अंजना, रेणुका और सीमा को गिरफ्तार किया गया।

उनके घर में छापे मारे गए तो कई बच्चों के कपड़े और खिलौने मिले। रेणुका का पति किरण भी मोहन और प्रतिमा की बेटी की हत्या में शामिल था लेकिन वह सरकारी गवाह बनाया गया। कोल्हापुर पुलिस ने आखिरकार सनसनीखेज मामले का पर्दाफाश किया।

पुलिस साबित कर पाई 5 हत्याएं ही
शुरुआत में तीनों ने चुप्पी साधी लेकिन किरण के बयान के बाद, रेणुका ने 40 से अधिक अपहरण और हत्याओं के भयानक विवरणों का खुलासा किया। हालांकि पुलिस आखिर में 13 अपहरण और 5 हत्याओं को ही साबित कर सकी। गिरफ्तारी के एक साल बाद, मुकदमे की सुनवाई के दौरान अंजना की जेल में मृत्यु हो गई।

आतंकित थे लोग
कई बच्चों के अपहरण और इन सनसनीखेज हत्याओं की श्रृंखला ने कोल्हापुर और आसपास के इलाकों को वर्षों तक आतंकित कर दिया। एक वरिष्ठ ने घटना को याद करते हुए बताया कि जब हमारे बच्चे स्कूल या ट्यूशन या बगीचों या खेल के मैदानों में जाते थे तो हम चिंतित होते थे। हम यह सुनिश्चित करते थे कि उनके साथ एक वयस्क भी हो, जो उन पर नजर रखता था। बच्चों को शाम के बाद अकेले बाहर निकलने से पूरी तरह से रोक दिया गया था।