रूसी रक्षा मंत्रालय ने 8 सितंबर को यूक्रेन में रूसी सेना के ओवरऑल कमांडर के रूप में 55 वर्षीय जनरल सर्गेई सुरोविकिन की नियुक्ति का ऐलान किया। हालांकि, ये नहीं बताया गया कि सुरोविकिन ने किसकी जगह ली है। 24 फरवरी को शुरू हुए यूक्रेन युद्ध में पहली बार पूरी रूसी सेना के लिए एक ही कमांडर की आधिकारिक तौर पर नियुक्ति की गई है। सुरोविकिन इससे पहले रूसी एयरफोर्स की कमान संभाल रहे थे।
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के करीब 2 महीने बाद अप्रैल में ब्रिटिश मिलिट्री इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान की कमान रूसी जनरल अलेक्जेंडर ड्वोर्निको को सौंपी गई है। ड्वोर्निको को 2015 में सीरिया में चलाए उनके क्रूर ऑपरेशन के लिए जाना जाता है। हालांकि, रूस ने कभी ये स्पष्ट नहीं किया कि यूक्रेन में उसके अभियान की कमान किसके हाथों में थी।
पुतिन ने नए जनरल की नियुक्ति ऐसे समय में की है, जब पिछले कुछ दिनों में यूक्रेनी सेनाओ ने जोरदार पलटवार किया है। यूक्रेन ने खासतौर पर उत्तर-पूर्व में खार्किव प्रांत में रूस के कब्जे से 6 हजार किलोमीटर से ज्यादा का इलाका आजाद करा लिया है। साथ ही यूक्रेन ने दक्षिण में खेरसॉन प्रांत के भी कुछ इलाकों और पूर्वी यूक्रेन में लाइमैन ट्रांसपोर्ट हब पर भी दोबारा कब्जा जमा लिया है।
कौन हैं रूस के सबसे चर्चित जनरलों में शामिल सर्गेई सुरोविकिन
सुरोविकिन रूस के सबसे चर्चित जनरल में से एक हैं और रूस में उनकी पहचान देश के कई प्रमुख सैन्य अभियानों में छाप छोड़ने वाले जनरल के रूप में रही है।
सुरोविकिन का जन्म साइबेरिया के नोवोसिबिर्स्क शहर में 11 अक्टूबर 1966 को हुआ था। सुरोविकिन उस दौर में पैदा हुए जब रूस सोवियत संघ हुआ करता था।
1987 में सुरोविकिन सोवियत सेना में शामिल हुए थे और उनकी पहली नियुक्ति सोवियत जमाने की रूसी सेना की यूनिट स्पेट्सनाज में हुई थी। वह अपने पहले बड़े मिशन के तहत 1980 के दशक में हुए सोवियत-अफगान युद्ध में शामिल हुए थे।
रूसी सेना के तहत आने वाली विशेष मिलिट्री पुलिस के गठन का श्रेय भी सुरोविकिन को ही जाता है। 2013 से 2017 के दौरान सुरोविकिन ईस्टर्न मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर थे।
1980 के दशक में सोवियत-अफगान युद्ध का हिस्सा रहे सुरोविकिन 2004 में चेचेन्या में इस्लामिक अलगाववादियों के खिलाफ रूसी सैन्य कार्रवाई में भी शामिल थे।
2017 में सुरोविकिन सीरिया के तानाशाह बशर अल असद की मदद के लिए चलाए गए रूसी सैन्य अभियान की भी कमान संभाल चुके हैं। सीरिया में उनके नेतृत्व में रूसी सेना ने असद के विद्रोहियों को घुटनों पर ला दिया था।
सर्गेई सबसे ज्यादा विख्यात या कुख्यात सीरिया में चलाए अपने ऑपरेशन की वजह से ही हुए। सीरिया में सुरोविकिन की सेवाओं के लिए उन्हें दिसंबर 2017 में हीरो ऑफ द रशियन फेडरेन अवॉर्ड से नवाजा गया था।
सुरोविकिन की निर्दयता से जुड़ा पहला किस्सा 1991 का है। उस समय सोवियत संघ में बगावत की एक असफल कोशिश हुई थी। तब राइफल डिविजन के कमांडर रहे सुरोविकन ने लोकतंत्र समर्थकों पर सेना को गोलियां बरसाने का आदेश दे दिया था, इस घटना में 3 लोग मारे गए थे, जबकि कई व्यक्तियों को कुचल दिया गया था।
2004 में सुरोविकिन की क्रूरता से जुड़ा एक और किस्सा तब सामने आया जब रूसी मीडिया में उनके अंडर काम करने वाले एक कर्नल की आत्महत्या की खबर छपी। उस कर्नल को सुरोविकिन ने इतनी बुरी तरह फटकारा था कि उसने आत्महत्या कर ली थी।
इस घटना के बाद सुरोविकिन के सहकर्मियों ने उन्हें ‘जनरल आर्मगेडन’ निक नेम दे दिया। आर्मगेडन का मतलब होता है आखिरी या एकदम विनाशकारी लड़ाई। यानी महायुद्ध या विश्वयुद्ध।
सुरोविकिन का सबसे क्रूर चेहरा 2017 में सीरिया में रूसी सेना के ऑपरेशन के दौरान नजर आया था। पुतिन ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की मदद के लिए उनके विद्रोही गुटों के खिलाफ रूसी सेना को भेजा था।
रूसी एयरफोर्स के प्रमुख के रूप में सुरोवोकिन ने सीरिया में न केवल विद्रोही गुटों के ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि आम लोगों को भी नहीं बख्शा। उन्होंने सीरिया के अलेप्पो शहर में इतनी भीषण बमबारी करवाई कि लगभग पूरा शहर खंडहर में तब्दील हो गया। सुरोविकिन के आदेश पर 2019 में सीरिया के इद्लिब प्रांत पर भी रूसी एयरफोर्स ने भीषण बमबारी की थी। इस बमबारी में सैकड़ों की संख्या में आम सीरियाई मारे गए थे।
सुरोविकिन पर आरोप है कि उन्होंने सीरिया में विद्रोही गुटों के खिलाफ केमिकल वेपन का इस्तेमाल किया था। सुरोविकिन की कुख्यात कार्रवाइयों के बाद ह्यूमन राइट्स वॉच नामक संस्था ने अक्टूबर 2020 में आई रिपोर्ट में कहा था कि सीरिया में हुए मानवाधिकार उल्लंघन के लिए प्रमुख रूप से सुरोविकिन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, सुरोविकिन के साथ काम कर चुके रूसी डिफेंस मिनिस्ट्री के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि 10 अक्टूबर को यूक्रेन की राजधानी कीव में हुए मिसाइल स्ट्राइक से वह बिल्कुल हैरान नहीं हैं, क्योंकि सुरोविकिन के अंदर ‘इंसानी जानों के लिए बहुत कम सम्मान’ है। इस अधिकारी का कहना है, ‘उन्हें डर है कि सुरोविकिन के हाथ पूरी तरह यूक्रेनी लोगों के खून से सन जाएंगे।’
अवैध हथियार बेचने का आरोप, दो बार अरेस्ट हो चुके हैं सुरोविकिन
बगावत को दबाए जाने के बाद सुरोविकिन को अरेस्ट कर जेल में डाल दिया गया। 7 महीने चली जांच के बाद उन्हें बोरिस येत्लिसिन के समर्थन से आरोपों से बरी करते हुए प्रमोट करते हुए मेजर बना दिया गया।
1995 में सुरोविकिन को अवैध रूप से हथियार बेचने के आरोपों में मॉस्को के एक मिलिट्री कोर्ट ने एक साल की जेल की सजा सुनाई थी। हालांकि, जांच के बाद उन्हें आरोपों से बरी करते हुए रिहा कर दिया गया था।
यूक्रेन युद्ध के लिए रूसी सेना की कमान संभालते ही नागरिकों पर मिसाइलों की बारिश
सुरोविकिन के रूस के नए चीफ ऑफ वॉर बनने के दो दिन बाद ही रूसी सेनाओं ने यूक्रेन के 10 शहरों पर 80 से ज्यादा मिसाइलें दागते हुए पिछले कुछ महीनों का सबसे बड़ा हमला बोला। रूस के इस एक्शन को शनिवार को रूस को क्रीमिया से जोड़ने वाले कर्च ब्रिज पर हुए हमले का जवाब माना जा रहा है।
अभी ये स्पष्ट नहीं है कि यूक्रेन पर हुई इन मिसाइल स्ट्राइक का आदेश किसने दिया था। यूक्रेन पर जिस अंदाज में मिसाइलों से हमले हुए उसके पीछे सुरोविकिन का ही दिमाग माना जा रहा है, क्योंकि सुरोविकिन अतीत में भी नागरिकों के ठिकानों पर इसी तरह भीषण बमबारी करवा चुके हैं।
रूस के इस मिसाइल स्ट्राइक में यूक्रेन के नागरिक ठिकानों को भी निशाना बनाया गया। जिन जगहों को रूसी सेनाओं ने निशाना बनाया उनमें एक यूनिवर्सिटी के बगल में स्थित महत्वपूर्ण रोड जंक्शन और बच्चों के खेल का एक मैदान भी शामिल है।
हमले की इस स्टाइल के लिए ही रूसी जनरल सर्गेई सुरोविकिन कुख्यात रहे हैं। अपने मिशन के अंजाम देने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं और उन्हें इंसानी जानों की बिल्कुल भी परवाह नहीं होती है।