Mukhtar Ansari तो गए लेकिन उनके घर की देहरी क्यों नहीं छोड़ रहे नेता, समझें सियासी मायने?

Mukhtar Ansari is gone but why are the leaders not leaving the threshold of his house, understand the political meaning?
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Mukhtar Ansari UP Politics: यूपी की सियासत एक बार फिर मजहबी वोट बैंक की ओर घूमने लगी है. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) आज मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के घर जाएंगे. समाजवादी पार्टी (SP) के मुखिया के गाजीपुर दौरे को लेकर राजनीति तेज है. मुख्तार अंसारी की मौत के बाद कैसे राजनीति करवट ले रही है और इसका क्या असर होगा इस पर सबकी निगाहें हैं. मगर अखिलेश का मुख्तार के घर जाने का मतलब क्या है और यूपी में कैसे समीकरण साधने की कोशिश हो रही है. इस खबर में पढ़िए.

मुख्तार अंसारी के घर जाने के सियासी मायने

दरअसल, समाजवादी पार्टी के दफ्तर के बाहर माफिया मुख्तार अंसारी के समर्थन वाले पोस्टर लगे और आज अखिलेश यादव गाजीपुर जाकर मुख्तार के परिजनों से मिलेंगे. लोकसभा चुनाव के बीच अखिलेश यादव का मुख्तार अंसारी के घर जाकर शोक जताया और मातम में शरीक होना सियासी लिहाज से भी कई संकेत दे रहा है.

मुख्तार अंसारी के परिवार पर इतना प्यार क्यों?

मुख्तार अंसारी परिवार के साथ समाजवादी पार्टी का सियासी कनेक्शन इस बात से समझा जा सकता है कि अखिलेश ने इस बार गाजीपुर लोकसभा सीट से अफजाल अंसारी को उम्मीदवार बनाया है. इससे पहले 2022 विधानसभा चुनाव में अंसारी परिवार समाजवादी पार्टी में शामिल हुआ. और मुख्तार के सबसे बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी के बेटे शोएब अंसारी ने SP के टिकट पर ही विधानसभा चुनाव जीता.

धर्मेंद्र यादव पहले ही जा चुके हैं गाजीपुर

अखिलेश यादव से पहले उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव गाजीपुर जा चुके हैं और मुख्तार अंसारी के परिजनों से मिल चुके हैं. अखिलेश यादव आज दोपहर करीब 1 बजे मुख्तार के घर पहुंचेंगे और वहां 45 मिनट तक रुकेंगे. मुख्तार की मौत के बाद से ही यूपी में वोटबैंक की सियासत शुरू हुई थी. सबसे पहले हैदराबादी भाई जान यानी ओवैसी मुख्तार अंसारी के घर पहुंचे थे और मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए बड़ा संकेत दिया था.

17 प्रतिशत मुस्लिम वोटों पर है नजर

ओवैसी का मुख्तार के घर जाने के बाद ही अब अखिलेश यादव को भी इसकी याद आई. दरअसल, मुख्तार अंसारी की मौत के बाद मुस्लिमों की नाराजगी भुनाने की सियासी कोशिश हो रही है. खासकर पूर्वांचल में इसके कई मायनें हैं. पूर्वांचल में कुल 28 जिले आते हैं जिनमें 83% हिंदू हैं जबकि 17 प्रतिशत मुसलमान हैं. इनमें भी ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले 5 जिले हैं. बहराइच में 34% मुसलमान हैं. श्रावस्ती में ये आंकड़ा 31% है. बलरामपुर में मुस्लिम आबादी 37% है. जबकि सिद्धार्थनगर में 29% और संतकबीरनगर 23% मुस्लिम हैं.

किन सीटों पर अंसारी परिवार का असर?

पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी का बड़ा रसूख था. लंबे वक्त तक उसने जेल से रहकर ही चुनाव जीते और अब उसकी मौत के बाद सियासी दल मुख्तार के असर को भुनाने की कोशिश में हैं. पूर्वांचल के 6 जिलों की 8 लोकसभा सीटों पर मुख्तार अंसारी वोटों का बड़ा समीकरण तय करने वाला माना जाता था. इनमें गाजीपुर जिले की 2 सीट, मऊ, आजमगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर की 1-1 सीट जबकि जौनपुर की 2 लोकसभा सीटें शामिल हैं.

30 फीसदी हैं M+Y फैक्टर

अखिलेश यादव की नजर पूर्वांचल की सीटों पर है और वो हर समीकरण साधना चाहते हैं ताकि बीजेपी को मात दी जा सके. पूर्वांचल में M+Y फैक्टर मिलकर करीब 30 फीसदी वोटर हैं. इनके साथ SC-ST के 20 फीसदी वोटों में से कुछ शिफ्ट हो जाते हैं तो यहां पर जीत के आंकड़े सेट हो जाते हैं. अखिलेश इसी 30 फीसदी वोट को अपने साथ लाने की कवायद में हैं. यही वजह है कि ओवैसी के नए गठबंधन PDM पर वो निशाना साध रहे हैं. अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में मुसलमानों को अपने पाले में लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. मुख्तार अंसारी के घर जाना भी उनका इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. अब देखना होगा कि इसका उन्हें चुनाव में कितना फायदा मिलता है.