मुजफ्फरनगर। अमृत योजना में बना नगर पालिका का ट्रीटमेंट प्लांट नहीं चल पाया है। शासन के निर्देश पर लखनऊ से आई टीम ने प्लांट की जांच की। मौके पर ही कार्यदायी संस्था जल निगम के अधिकारियों को तलब किया और सामने आई खामियों को तत्काल दूर कराकर नियमित प्रक्रिया के साथ पालिका प्रशासन को हैंडओवर करने के निर्देश दिए।
केंद्र सरकार की अमृत योजना के अंतर्गत किदवईनगर में स्थित भूमि पर 25 (केएलडी) किलोलीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला एफएसटीपी बनाया गया। इसके निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था सी एंड डीएस जल निगम उत्तर प्रदेश (नगरीय) रही। प्लांट के संचालन से शहर के निजी और सार्वजनिक शौचालयों के सेप्टिक टैंक की गंदगी का निस्तारण होने के साथ ही जैविक खाद बनाने की योजना है। इस खाद को कृषि कार्यों के लिए बेचकर पालिका प्रशासन की आय बढ़ाने और प्रदूषण से निस्तारण का उद्देश्य लेकर काम किया जा रहा है।
पालिका के इस एफएसटीपी का संचालन नहीं होने की जानकारी मिलने पर नगरीय निकाय निदेशालय लखनऊ से सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की दो सदस्यीय टीम ने पालिका की ईओ प्रज्ञा सिंह के साथ प्लांट का स्थलीय निरीक्षण कर व्यवस्था को तकनीकी पैमाने पर परखा। इसमें यह प्लांट फेल साबित हुआ। जांच टीम के अधिकारियों में शामिल वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक सुब्रोतो चक्रवर्ती और उप कार्यक्रम प्रबंधक हर्ष यादव ने पूरे प्लांट का भ्रमण कर एक एक व्यवस्था को तकनीकी स्तर पर परखने का काम किया तो कई खामियां पाई गईं।
इस दौरान ईओ प्रज्ञा सिंह को टीम के अधिकारियों ने जब इन खामियों के बारे में बताया तो उन्होंने आधी अधूरी तैयारी के बीच ही जल निगम ने प्लांट पालिका को हैंडओवर करने पर नाराजगी जताई। जांच टीम के अधिकारियों ने सी एंड डीएस जल निगम नगरीय के अधिकारियों को मौके पर ही तलब किया। परियोजना प्रबंधक आबू जैद और अवर अभियंता एनके पाल के सामने नाराजगी जताई।