New CM of Rajasthan: किस्मत हो तो ऐसी! पहली बार बने विधायक और बन गए सीधे मुख्यमंत्री, जानिए कौन हैं भजनलाल?

New CM of Rajasthan: If luck is like this! Became MLA for the first time and directly became Chief Minister, know who is Bhajanlal?
New CM of Rajasthan: If luck is like this! Became MLA for the first time and directly became Chief Minister, know who is Bhajanlal?
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New CM of Rajasthan Bhajan Lal Sharma: भजन लाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma) राजस्थान की सांगानेर असेंबली सीट से पहली बार विधायक बने हैं. वे बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति में 4 बार महामंत्री रहे. इस बार के चुनाव में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद कांग्रेस के पुष्पेंद्र भारद्वाज को 48 हजार वोटों से हराया था.

करीब डेढ़ करोड़ रुपये की संपत्ति

भजन लाल शर्मा (56) की ओर से असेंबली चुनाव में इलेक्शन कमीशन को दिए गए हलफनामे के मुताबिक उनकी कुल संपत्ति करीब डेढ़ करोड़ रुपये है. इसमें से उनकी एक करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है और करीब 44 लाख रुपये की चल संपत्ति है.

पोस्ट ग्रेजुएट हैं भजन लाल शर्मा

भजनलाल शर्मा पर 1 केस भी दर्ज है. उन पर 46 लाख रुपये की देनदारी भी है. उनकी एजुकेशन की बात की जाए तो वे पोस्ट ग्रेजुएट हैं. चुनावी हलफनामे में उन्होंने अपनी आमदनी के स्रोत का भी ब्योरा दिया है. वे किराये, बैंक के ब्याज, रेल मंत्रालय से वेतन लेते हैं. इसके साथ ही वे श्री कृष्ण कन्हैया एंड कंपनी के संचालक भी हैं.

एबीवीपी से करियर की शुरुआत

राजनीतिक एक्सपर्टों के मुताबिक वे राजस्थान में बीजेपी के बड़े ब्राह्मण चेहरे हैं. संगठन के मामले में उनकी गहरी पकड़ मानी जाती है. यही वजह है कि पार्टी ने उन्हें लगातार 4 पार संगठन में प्रदेश महामंत्री का कार्यभार सौंपा. भजन लाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma) ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत एबीवीपी से की थी. इसके बाद वे तरक्की करते हुए भाजयुमो और बाद में बीजेपी में आए.

रेस में दिग्गजों को छोड़ा पीछे

बता दें कि राजस्थान के सीएम पद की दौड़ में दीया कुमारी, वसुंधरा राजे, किरोड़ी लाल मीणा, बाबा बालक नाथ, अर्जुन राम मेघवाल, सुनील बंसल समेत कई चेहरे चर्चाओं में थे. इनमें सबसे बड़ा दावा वसुंधरा राजे का माना जा रहा था, जिन्होंने नतीजे आने के अगले दिन ही निर्वाचित विधायकों के साथ बैठकों का दौर शुरू कर दिया था. उनकी इस दबाव की राजनीति के बावजूद बीजेपी के शीर्ष नेता शांत बने रहे और आखिर में राजस्थान और छत्तीसगढ़ की तरह बड़ा सरप्राइज दे दिया.