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Uttarakhand Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी की टनल में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अगले दो से ढाई दिन में पूरा हो सकता है. इसके लिए स्विट्ज़रलैंड, अमेरिका जैसे देशों के टनल एक्सपर्टों से राय ली जा रही है. रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए 6 तरह के प्लान तैयार कर एक बार फिर पहाड़ में ड्रिलिंग शुरू कर दी गई है. इसके साथ ही सुरंग में फंसे मजदूरों को अब हल्के भोजन के बजाय दाल, चावल और रोटी सब्जी भेजने पर विचार हो रहा है. इस बचाव अभियान पर पीएम मोदी खुद निगाह बनाए हुए हैं. उनके निर्देश पर रविवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और सीएम पुष्कर सिंह धामी साइट पर पहुंचे. उनके साथ राज्य के मुख्य सचिव एस एस संधू भी थे.
‘पूरे देश को अंदर फंसे लोगों की चिंता’
नितिन गडकरी ने कहा कि पिछले 8 दिनों से 41 मजदूर सुरंग (Uttarkashi Tunnel Rescue Operation) में फंसे हुए हैं. पूरे देश को उनकी सलामती की चिंता है. उन्हें निकालने के लिए सभी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. एक्सपर्टों के साथ मीटिंग में 6 रेस्क्यू प्लान बनाए गए थे, जिन पर काम शुरू कर दिया गया है. अमेरिका से मंगाई गई ऑगर मशीन सुरंग से मलबा निकालने का काम कर रही है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो दो से ढाई दिन के अंदर सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा.
‘हर किसी की जान बचाना प्राथमिकता’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हर किसी की जान बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है. मुझे जानकारी है कि अंदर फंसे लोगों की दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं, इसलिए भगवान से मेरी कामना है कि अंदर मौजूद मजदूरों को जल्द से जल्द निकाल लिया जाए.’
पेड़ काटने वाले एक्सपर्ट की मदद
उनसे पहले शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में उप सचिव मंगेश घिल्डियाल और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक पूर्व सलाहकार ने भी निर्माणाधीन सिल्कयारा सुरंग (Uttarkashi Tunnel Rescue Operation) में राहत कार्यों का भी जायजा लिया था. स्थानीय प्रशासन का कहना है कि 7 दिनों से सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए पेड़ काटने वाले एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है. इसके लिए आशिक हुसैन नाम के एक एक्सपर्ट को सुरंग स्थल पर बुलाया गया था.
सुरंग में डाला जा रहा है एक और पाइप
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव रंजीत सिन्हा कहते हैं, हम ऑगर मशीन की मदद से 900 मिमी व्यास का पाइप डाल रहे हैं. हम फिलहाल 22 मीटर तक पहुंच गए हैं और तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. हम पाइप के जरिए भोजन और दूसरी जरूरी चीजें अंदर भेज रहे हैं. हम उस पाइप के ऊपर एक और पाइप डालने जा रहे हैं क्योंकि वहां पर मलबा कम गिरा है. अब हम 42 मीटर तक गए हैं और कुछ मीटर ही बचे हैं. जब वह तैयार हो जाएगा तो हमारे पास लाइफ सपोर्ट के लिए एक और पाइप मौजूद होगा.’