विवादों में फंसे नीतीश कुमार, एक कानून में बदलाव, उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन होंगे रिहा

Nitish Kumar caught in controversies, change in a law, former MP Anand Mohan, who is serving life sentence, will be released
Nitish Kumar caught in controversies, change in a law, former MP Anand Mohan, who is serving life sentence, will be released
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पटना : बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की जेल से रिहाई का रास्ता साफ़ हो गया है. राज्य सरकार ने आनंद मोहन सहित 27 क़ैदियों की जेल से रिहाई के संबंध में अधिसूचना जारी की है. बिहार सरकार ने हाल ही में अपने एक क़ानून में बदलाव किया है, जिसके बाद ये संभव हुआ है. आनंद मोहन गोपालगंज के ज़िलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के दोषी हैं और उम्रक़ैद की सज़ा काट रहा है. फिलहाल आनंद मोहन परोल पर बाहर है और आज ही उन्हें सहरसा जेल वापस जाना है. संभावना जताई जा रही है कि वो कल या परसों जेल से बाहर आ सकता है. बीजेपी ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नीतीश कुमार सरकार पर सवाल उठाए हैं. बीजेपी आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ट्वीट कर कहा है कि आरजेडी की चालों के सामने घुटने टेकने के लिए नीतीश कुमार को शर्म आनी चाहिए. वहीं, मायावती ने ट्वीट किया है कि आनंद मोहन ने एक दलित अधिकारी की हत्या की थी और उनकी रिहाई से जनता में ग़लत संदेश जाएगा.

नीतीश सरकार ने जेल नियमावली में किया बदलाव
एक अदालत ने अक्टूबर, 2007 में मोहन को मृत्युदंड सुनाया था, जिसे पटना उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2008 में उम्रकैद में बदल दिया था. निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी थी. नीतीश कुमार सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार की जेल नियमावली में बदलाव किया और उन मामलों की सूची से ‘ड्यूटी पर तैनात जनसेवक की हत्या’ उपबंध को हटा दिया, जिनमें जेल की सजा में माफी पर विचार नहीं किया जा सकता है. कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस संशोधन से मोहन की समय से पहले रिहाई हो सकती है। मोहन 15 सालों से सहरसा जेल में अपनी सजा काट रहा है।

मायावती की बिहार सरकार से फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील
जेल नियमावली को बदलने के कदम की आलोचना करते हुए उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने हाल में ट्वीट किया था, “आंध्रप्रदेश (अब तेलंगाना) के महबूबनगर के दलित समुदाय के बेहद ईमानदार आईएएस अधिकारी की निर्मम हत्या के मामले में आनंद मोहन को रिहा करने के लिए नियमावली में बदलाव की नीतीश सरकार की तैयारी देशभर में दलित विरोधी कारणों से दलितों के बीच चर्चा का विषय है.” उन्होंने कहा कि देशभर में दलितों की भावनाएं इस कदम से आहत हुई हैं. इसे नीतीश कुमार की ‘अपराध के पक्ष में’ और ‘दलित के विरोध में’ करार देते हुए मायावती ने बिहार सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है.

जदयू का मायावती को पलटवार
मायावती के आरोपों पर सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता और राज्य के ग्राम विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा, “समाज के सभी वर्गों के कल्याण को ध्यान में रखकर राजय सरकार द्वारा निर्णय लिये जाते हैं कोई भी निर्णय किसी वर्ग या व्यक्ति के फायदे के लिए नहीं लिया गया है… सारे निर्णय कानून के अनुसार लिये जाते हैं. हमारे मुख्यमंत्री बहुत ही स्पष्ट है… वह समाज के सभी तबकों के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं. मायावती को उत्तर प्रदेश की परवाह करनी, चाहिए जहां कानून का शासन नहीं है.” अन्य जदूय नेता और वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि मायावती को नीतीश कुमार पर बोलने का ‘कोई नैतिक अधिकार नहीं’ है, क्योंकि उन्होंने दलितों एवं अन्य कमजोर तबकों की भावनाओं का ‘शोषण’ किया, जबकि बिहार के मुख्यमंत्री ने उनके विकास का काम किया.