दोबारा एग्जाम की नहीं देनी होगी फीस, सेंटर तक फ्री बस सर्विस… यूपी पुलिस परीक्षा रद्द होने के बाद अब…

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नई दिल्ली। योगी सरकार ने पेपर लीक होने के बाद यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा रद्द कर दी है. सरकार ने 6 महीने के भीतर दोबारा परीक्षा कराने के आदेश दिए हैं और एसटीएफ द्वारा आरोपों की जांच की भी घोषणा की है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद मामले का संज्ञान लिया और कहा कि अगले 6 महीने के अंदर ये परीक्षा दोबारा कराई जाएगी. परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों को बख़्शा नहीं जाएगा और उन्हें सख्त सजा दी जाएगी. वहीं परीक्षा दोबारा होने पर छात्रों से फीस नहीं ली जाएगी और सेंटर तक बसें भी फ्री में लेकर जाएंगी. ये पेपर प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ था या सेंटर से, यूपी एसटीएफ के सामने इस तरह के बड़े सवाल हैं.

वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड के DIG सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने बताया कि 17 और 18 फरवरी को हुई परीक्षाओं की दूसरी पाली के पेपर लीक होने के बारे में बोर्ड के पास शिकायतें आई थीं और इन्हीं शिकायतों की वजह से परीक्षा रद्द करने का फैसला किया गया है. परीक्षा की नई तारीखों की घोषणा बहुत जल्द कर दी जाएगी. उत्तर प्रदेश में पुलिस सिपाही के 60 हजार 244 पदों के लिए परीक्षा में 50 लाख से ज्यादा छात्र बैठे थे.

दोषियों सख्त सजा देंगे: डिप्टी सीएम बृजेश सिंह

पेपर लीक होने पर सरकार द्वारा लाए गए कानून के मद्देनजर इस बार दोषी पाए गए लोगों को सख्त सजा देने के सवाल पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पेपर लीक की जांच एसटीएफ को सौंपी गई है. हर पहलू पर जांच हो रही है. कौन इसके लिए दोषी हैं, उसके लिए जिम्मेदारी तय करेंगे और ऐसी सजा देंगे कि फिर कोई हिमाकत इस तरह के कुकर्त करने की नहीं कर पाएगा. कुछ सबूत मिले हैं, जिनके आधार पर जांच आगे बढ़ रही है. जल्द दोषियों की पहचान कर ली जाएगी.

50 लाख छात्रों के सैकड़ों करोड़ रुपये बर्बाद

बता दें कि भर्ती परीक्षा में शामिल होने वाले ज़्यादातर छात्र गरीब परिवारों से आते हैं, जिनके माता-पिता किसी तरह पैसे की व्यवस्था करके, उन्हें पेपर देने के लिए भेजते हैं. अब इस पेपर के रद्द होने के बाद लोगों के सैकड़ों करोड़ रुपये बर्बाद हो गए, जिनका कोई हिसाब ही नहीं है. परीक्षा देने वाले 50 लाख छात्रों ने एग्जाम सेंटर तक आने-जाने, ठहरने और खाने-पीने पर जो खर्च किया होगा, अगर उसका अनुमान लगाया जाए तो ये सैकड़ों करोड़ रुपये हो जाता है.

उदाहरण के लिए, अगर एक छात्र ने 1 हजार रुपये भी ट्रेन, बस, रिक्शा से सेंटर तक आने-जाने के लिए और चाय-पानी पर खर्च किये होंगे तो ये खर्च 50 लाख छात्रों के हिसाब से 500 करोड़ रुपये हो जाता है. ये 1 हजार रुपये का खर्च तो हमने सिर्फ एक अनुमान के लिए लगाया है. ऐसे कितने ही लड़के-लड़कियां होते हैं, जिनके साथ परीक्षा दिलाने के लिए परिवार का कोई सदस्य भी जा रहा होता है. और इससे उनका खर्च भी बढ़ ही जाता है. दुख की बात ये है कि जब उनकी परीक्षा रद्द हो गई है और उन्हें अगली बार ये परीक्षा देने जाना होगा, तो उन्हें फिर से ये खर्च करना ही पड़ेगा.

दोबारा परीक्षा होने पर छात्रों से फीस नहीं लेगी सरकार

इस खर्च में हर छात्र से ली गई 400 रुपये की परीक्षा फीस को शामिल नहीं किया गया है और ये वो फीस होती है, जिसे सरकार परीक्षा आयोजित करवाने के नाम पर लेती है. इस हिसाब से इस परीक्षा को कराने पर सरकार का अनुमानित खर्च 200 करोड़ रुपये होना चाहिए और ये सारा पैसा चंद लालची लोगों की वजह से बर्बाद हो गया.

अब पेपर रद्द होने की वजह से सरकार को इतने ही पैसे फिर से खर्च करने होंगे. यानी सरकार को 200 करोड़ रुपये अपने खजाने से खर्च करने होंगे. क्योंकि फिर से इन छात्रों से परीक्षा फीस नहीं ली जाएगी. यानी जिन छात्रों ने ये परीक्षा दी थी, दोबारा परीक्षा होने पर उन्हें अब फीस नहीं देनी होगी. वहीं न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक यूपीएसआरटीसी बसें छात्रों को मुफ्त में केंद्रों तक ले जाएंगी.

पेपर लीक मामले में मिलीं डेढ़ हजार शिकायतें

यूपी पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में अभ्यर्थी पहले दिन से सड़कों पर परीक्षा रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग कर रहे थे. अभ्यर्थियों के पेपर लीक दावों और विरोध प्रदर्शन को देखते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती व प्रोन्नति बोर्ड (UPPRPB) ने अभ्यर्थियों से पेपर लीक की श‍िकायतों पर सबूत के साथ आपत्तियां मांगी थे.