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चंडीगढ़: दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में दर्ज एफआईआर मामले में हरियाणा पुलिस ने बताया कि युवराज सिंह जांच में शामिल हो चुके हैं। जिस मोबाइल या आईपैड से यह बातचीत हुई थी वह भी उपलब्ध करवा दिया गया है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस पर युवराज सिंह द्वारा सौंपे उपकरण की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। साथ ही युवराज सिंह पर किसी भी प्रकार की पुलिस कार्रवाई पर अगली सुनवाई तक रोक जारी रखने का आदेश दिया है।
याचिका दाखिल करते हुए युवराज सिंह ने बताया था कि 1 अप्रैल, 2020 को वह सोशल मीडिया पर अपने साथी रोहित शर्मा के साथ लाइव चैट कर रहे थे। इस दौरान लॉकडाउन को लेकर चर्चा के दौरान उन्होंने मजाक में अपने दोस्तों को कुछ शब्द कह दिए थे। इसके बाद यह वीडियो वायरल हो गई और इसके साथ यह संदेश जोड़ा गया कि यह दलित वर्ग का अपमान है। यह सब एक मजाक का हिस्सा था और इसका मकसद किसी का अपमान करना नहीं था।
युवराज सिंह ने कहा कि वह शब्द उन्होंने अपने दोस्त के पिता के शादी में नाचने पर टिप्पणी के रूप में कहे थे जो मजाकिया अंदाज में थे। इसके स्पष्टीकरण के बावजूद याची पर एफआईआर दर्ज की गई। युवराज को अंतरिम जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि लोगों को ऐसी बातें करने से बचना चाहिए जिसका कोई गलत मतलब निकाल सके और यह बात मशहूर लोगों के मामले में ज्यादा लागू होनी चाहिए।
बाद में हरियाणा पुलिस की ओर से बताया गया कि अभी तक की जांच में एक सर्वे करवाया गया था कि युवराज द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द के क्या मायने हैं। स्थानीय लोगों के बीच इस सर्वे से सामने आया कि यह शब्द अनुसूचित जाति के लोगों के लिए अपमानजनक है। साथ ही पुलिस ने दलील दी कि गूगल करने पर भी यह बताता है कि यह सब दलित वर्ग के लिए अपमानजनक टिप्पणी के रूप में इस्तेमाल होता है।