दुनिया में सिर्फ 45 लोगों का है ये ‘गोल्डन ब्लड’ ग्रुप, कहा जाता है देवताओं का ब्लड!

Only 45 people in the world have this 'Golden Blood' group, it is called the blood of the gods!
Only 45 people in the world have this 'Golden Blood' group, it is called the blood of the gods!
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Golden Blodd Group: कहा जाता है कि रक्त दान- महादान. जरूरत पड़ने पर किसी की जान बचाने के लिए अपना खून देने वालों को दुनिया हमेशा सलाम करती है. मेडिकल की किताबों के मुताबिक मानव शरीर में आठ तरीकों का ब्लड ग्रुप पाया जाता है. इस बीच वैज्ञानिकों ने इंसानों के शरीर (Human Body) में एक दुर्लभ और नए तरीके के ब्लड ग्रुप (Rarest Blood group) की खोज की है. यह खून बेशकीमती और दुर्लभ है कि पूरी दुनिया में बस 45 लोगों के शरीर में है. इसकी पहचान भी मुश्किल से हुई. इस ब्लड ग्रुप का नाम क्या है, आखिर क्यों इसे दुर्लभ कहा जा रहा है, इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए पढ़िए ये खबर.

‘गोल्डन ब्लड ग्रुप’

‘साइंस म्यूजियम ग्रुप’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक प्राचीन ग्रीस में, यह माना जाता था कि देवताओं के पास सुनहरा खून होता था. जिसे इकर कहा जाता था. यह तरल पदार्थ उन्हे अजर-अमर बनाने में सक्षम था, लेकिन नश्वर लोगों यानी आम इंसानों के लिए इसे जहरीला माना जाता था. फिर 1961 में, ‘गोल्डन ब्लड’ वाले व्यक्ति की खोज की गई. इसकी दुर्लभता और विशाल वैज्ञानिक महत्व के कारण इसे सुनहरा खून यानी गोल्डन ब्लड कहा जाने लगा. हालांकि लंबे समय तक इस दुर्लभ खून की जानकारी लोगों से छिपाकर रखी गई. लेकिन अब इसकी एक-एक जानकारी पूरी दुनिया के लिए सार्वजनिक हो चुकी है.

इस दुर्लभ ब्लड ग्रुप का नाम ‘गोल्डन ब्लड ग्रुप’ है. इसका वैज्ञानिक नाम (Rhnull) है. संयुक्त राष्ट्र (UN) के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया की आबादी 8 अरब के पार हो चुकी है, वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि पूरी धरती में ऐसा बेशकीमती खून बस 45 लोगों की ही नसों में दौड़ता है.

क्यों दुर्लभ है ये खून?

यह सबसे दुर्लभ ज्ञात ब्लड ग्रुप है. यह भले ही इंसानों को अमर होने जैसी ताकत नहीं देता है, पर इसकी बूंद बूंद में मौजूद महत्वपूर्ण जीवन रक्षक गुण अपने आप में असाधारण हैं. दरअसल ये खून किसी भी ब्लड ग्रुप वाले इंसानों के शरीर में चढ़ाया जा सकता है. इस ग्रुप का खून बस गिने चुने लोगों में ही पाया जाता है, इसीलिए इस बल्ड ग्रुप को रेयर यानी दुर्लभ माना गया है.

’45 की पहचान लेकिन खून दे सकते हैं बस 9 लोग’

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दुर्लभतम ब्लड ग्रुप वाले 45 लोगों की पहचान हो चुकी है. लेकिन इनमें सिर्फ 9 लोग ही ब्लड दान करने की स्थिति में है या करते हैं बाकी 36 लोग नहीं, ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें से कुछ लोग अपनी हेल्थ हिस्ट्री की वजह से रक्तदान नहीं कर सकते तो कुछ ऐसे भी है जो अपना ब्लड डोनेट नहीं करना चाहते हैं.

सोने से ज्यादा महंगा खून

यूं तो अस्पतालों में जरूरत पड़ने पर किसी बीमार या घायल शख्स के परिजन अपना खून देकर जरूरी ब्लड ग्रुप का खून ब्लड बैंक से ले सकते हैं. लोग इसके लिए कोई भी कीमत देने के लिए तैयार रहते हैं. वहीं इसकी जरूरत ही इतनी ज्यादा है कि इस ब्लड ग्रुप के एक बूंद खून की कीमत एक ग्राम सोने से भी कहीं ज्यादा है. इसी वजह से इसे गोल्डन ब्लड ग्रुप भी कहा जाता है.

साइंस एनालिसिस

किसी इंसान के शरीर में इस बल्ड ग्रुप्स के पाए जाने की मुख्यतौर पर दो वजह सामने आई है. पहला- ‘जेनेटिक म्युटेशन’ जिसकी वजह से ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लोगों में ट्रांसफर होता है. दूसरी वजह की बात करें तो ‘नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक बेहद करीबी रिश्तों खासकर चचेरे भाई, भाई-बहन या अन्य किसी रिश्तेदार के बीच शादी होने की वजह से भी उनके बच्चों में गोल्डन ब्लड पाए जाने की संभावना बढ़ जाती है. हालांकि इस गोल्डन ब्लड ग्रुप के लोगों में एनिमिया यानी खून की कमी का खतरा होता है. ब्रिटेन में इसे लेकर बड़े पैमाने पर शोध हुआ. जहां असिस्टेंट क्यूरेटर केटी मैकनाब इस गोल्डन ब्लड और दुर्लभ रक्त सौदों की दलाली करने वालों की पड़ताल करती हैं. वहीं सुरक्षा कारणों से ऐसे लोगों की पहचान सार्वजनिक नहीं की जाती है.