पाकिस्तान का भारत में हो जायेगा विलय, दिग्गज एक्सपर्ट ने दिया ये जवाब

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1947 में देश के बंटवारे के साथ दुनिया के नक्शे पर बने एक अलग राष्ट्र पाकिस्तान को आज तक भारत का एक बड़ा जनमानस स्वीकार नहीं कर पाया है. आज भी अधिकतर भारतीयों के दिल के एक कोने में एक एकीकृत भारत की तस्वीर छिपी हुई है. ऐसे ही एक दिग्गज लेखक ने अपने लेख के जरिए इस दबी हुई दर्द को उकेर दिया है. इन दिनों पाकिस्तान ब तक के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. उसकी अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है. महंगाई की दर 40 फीसदी को पार कर गया है.

पाकिस्तानी रुपया एक साल के भीतर 33 फीसदी कमजोर हुआ है. उसका विदेश मुद्रा भंडार बेहद निम्म स्तर पर पहुंच गया है. उसकी एसएंडपी रेटिंग बेहद खराब है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सहयोग के बिना वह एक विफल राष्ट्र बनने के कागार पर खड़ा है. वहां के पेट्रोल पंपों पर तेल नहीं हैं. बिजली की कटौती हो रही है और आनाज की कीमत आसमान छू रही है. इन सब मसलों को लेकर दिग्गज लेखक चेतन भगत ने संडे टाइम्स अखबार में रविवार को एक लेख लिखा है. इस लेख का शीर्षक है- इज इट टाइम फॉर पाकिस्तान टू रिटर्न टू द मदरलैंड? यानी क्या पाकिस्तान के लिए यह समय अपनी मातृभूमि की और लौटने का है?

चेतन भगत के इस लेख की खूब चर्चा हो रही है. उन्होंने इसमें लिखा है कि एक तरफ पाकिस्तान तबाह हो चुका है और दूसरी तरफ भारत है, जो दुनिया के लिए ग्रोथ इंजन साबित हो रहा है. ऐसे में बुलेट ट्रेन की तुलना एक खटारा ऑटो से नहीं कर सकते. हालांकि वह आगे लिखते हैं कि भारत को इस मौजूदा स्थिति का इस्तेमाल फायदा उठाने के लिए करना चाहिए. खासकर तब जब पाकिस्तान की जनता को इससे फायदा पहुंचने वाला हो. यह एकीकरण (reunification) का सबसे उचित समय है. हालांकि, आपको यह अव्यवहारिक लग सकता है.

चेतन भगत आगे लिखते हैं कि मेरे इस विचार पर कई लोग हंस सकते हैं. लेकिन, एकीकरण एक शानदार विचार है. इसपर बात करना सुखद लगता है. लेकिन अब भारत को आधिकारिक तौर पर यह रुख अपनाना चाहिए. कुछ उसी तरह जिस तरह हम पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बारे में आधिकारिक स्टैंड लेते हैं. क्या पाकिस्तान का पूरा भूभाग तकनीकी और मूल रूप से भारत का हिस्सा नहीं था? केवल कुछ राजनेताओं की ओर से जल्दबाजी में लिए गए फैसले से यह सच्चाई बदल नहीं जाती.

चेतन भगत आगे लिखते हैं कि इस विचार के बारे में सोचिए. पाकिस्तान की स्थापना के पीछे क्या कारण थे? क्या मुस्लिम लोगों के लिए एक सुरक्षित जगह? तो क्या यह सुरक्षित जगह है? इस देश का कोई भी प्रधानमंत्री आज तक पांच साल का कार्यकाल नहीं पूरा कर पाया. यह आतंकवाद की जननी बन गया है. सैन्य तानाशाही ने लोकतंत्र को तबाह कर दिया. उसने भारत के साथ बार-बार संघर्ष किया और अपनी अर्थव्यवस्था तबाह कर ली. यह दुनिया का यह एक सबसे असुरक्षित जगह है.

एकीकृत भारत की बात
चेतन भगत कहते हैं कि दूसरी तरह यह बात कही गई थी कि भारत में मुसलमान असुरक्षित रहेंगे. यह पूरी तरह गलत साबित हुआ है. आजादी के बाद से भारत में मुस्लिम आबादी कई गुना बढ़ी है. यह सही है कि निश्चित तौर पर कुछ समस्याएं हैं. उसके पीछे राजनीति है. लेकिन, सच्चाई है कि भारत की विकास गाथा में अन्य भारतीयों की तरह मुस्लिम भी भागीदार हैं. ऐसे में क्या यह बात सही साबित नहीं होगी कि पाकिस्तान की स्थापना का सिद्धांत गलत साबित हुआ है. ऐसे में एकीकृत भारत की बात करना पाकिस्तान के लिए भी बेहतर चीज है.

वह आगे लिखते हैं कि अगर पाकिस्तान निश्चित तौर पर एक सुरक्षित राष्ट्र बनना चाहता है तो वह क्यों लगातार भारत के साथ तनाव बढ़ा रहा है. लगातार शीत युद्ध जैसी स्थिति बनाए रखने का क्या फायदा. दरअसल, यह पूरा मामला पाकिस्तान के पहचान संकट से जुड़ा है. वह अपनी स्थापना के समय से ही इस संकट से जूझ रहा है.

क्या है भविष्य
चेतन भगत आगे लिखते हैं कि इसने भविष्य की उम्मीद खो दी है. इस समस्या का समाधान न तो उसके नेताओं और न ही उसकी सेना के पास है. ऐसी स्थिति में भारत के साथ करीबी रिश्ते की बात प्रभावी हो सकती है. भारत को यह दोहराना चाहिए कि वह करीबी रिश्ता और मातृभूमि में विलय के लिए हमेशा तैयार हैं. हालांकि वह आगे कहते हैं कि एकीकरण कभी नहीं हो सकता. अगर होता भी है तो इसमें लंबा वक्त लगेगा. लेकिन, इस तरह भारत पाकिस्तान में एक प्रो इंडिया पार्टी का जन्म करवा सकता है. हम पहले ही अपने मनोरंजन उद्योग के जरिए एक प्रभाव बना चुके हैं. पाकिस्तानी भी अपनी तबाही और भारत की प्रगति देख रहे हैं. अगर आज की तारीख में यह स्थिति है तो कल्पना कीजिए कि भविष्य में यह फासला कितना बढ़ जाएगा.