बहुविवाह पर रोक, संपत्ति में हक और शादी की उम्र में इजाफा; उत्तराखंड में ऐसी होगी समान नागरिक संहिता

prohibition of polygamy, rights in property and increase in the age of marriage; Uniform civil code will be like this in Uttarakhand
prohibition of polygamy, rights in property and increase in the age of marriage; Uniform civil code will be like this in Uttarakhand
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देहरादून: उत्तराखंड सरकार की ओर से यूनिफॉर्म सिविल कोड पर विचार के लिए गठित की गई समिति अगले एक से दो दिन में ही रिपोर्ट सौंप सकती है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को ही कहा था कि जल्दी ही रिपोर्ट आने वाली है। इस बीच सूत्रों के हवाले से उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर समिति कुछ अहम सिफारिशों के बारे में पता चला है। कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में लागू होने वाले UCC में महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने का फैसला हो सकता है। इसके तहत हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समेत किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाली महिला को परिवार और माता-पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। इसके अलावा बेटियों की शादी की उम्र भी 21 साल करने का फैसला हो सकता है।

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मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत कोई भी मुसलमान पुरुष कुछ शर्तों के साथ 4 शादियां कर सकता है। लेकिन उत्तराखंड में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता के तहत किसी भी पुरुष और महिला को बहुविवाह करने की अनुमति नहीं होगी। उत्तराखंड में UCC के तहत लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के प्रावाधन पर भी विचार चल रहा है। दरअसल इन दिनों लिव इन रिश्तों में सामने आए विवादों के बाद से इसकी चर्चा जोरों पर है कि इनका भी शादी की तरह ही रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। एक अहम प्रस्ताव यह भी है कि परिवार की बहू और दामाद को भी अपने ऊपर निर्भर बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मेदार माना जाएगा।

मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगी पुरुषों के जितनी प्रॉपर्टी

पहाड़ी राज्य में यह प्रस्ताव दिया जा सकता है कि किसी भी धर्म की महिला को संपत्ति में समान अधिकार मिलना चाहिए। इस नियम से मुस्लिम महिलाओं को अधिक अधिकार मिल सकेंगे। अब तक पैतृत संपत्ति के बंटवारे की स्थिति में पुरुष को महिला के मुकाबले दोगुनी संपत्ति मिलती है, लेकिन UCC में बराबर के हक की वकालत की जाएगी। इस तरह किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं संपत्ति में बराबर की हकदार होंगी। सूत्रों का कहना है कि पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लड़कियों की शादी की उम्र भी लड़कों की तरह ही 21 साल कर दी जाए।

गोद ली गई संतानों को भी मिलेगा बराबर हक

बहुविवाह पर रोक, बेटियों को संपत्ति पर बराबर अधिकार और शादी की उम्र में इजाफे का कुछ मुस्लिम संगठनों की ओर से विरोध हो सकता है। एक बड़ा फैसला गोद ली जाने वाली संतानों के अधिकारों को लेकर भी हो सकता है। हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत दत्तक पुत्र या पुत्री को भी जैविक संतान के बराबर का ही हक मिलता है। लेकिन मुस्लिम, पारसी और यहूदी समुदायों के पर्सनल लॉ में बराबर हक की बात नहीं है। ऐसे में UCC लागू होने से गोद ली जाने वाली संतानों को भी बराबर का हक मिलेगा और यह अहम बदलाव होगा।