राजस्थान बनाएगा खुद की बिजली, महंगी बिजली से मिलेगी राहत

Rajasthan will make its own electricity, will get relief from expensive electricity
Rajasthan will make its own electricity, will get relief from expensive electricity
इस खबर को शेयर करें

जयपुर। कोयला संकट से जूझ रही राजस्थान सरकार अब देसी लिग्नाइट आधारित पावर प्लांट चलाने का रास्ता ढूंढ़ने में जुट गई है। ‘काला सोना’ ढूंढ़ने के लिए प्रदेश में अच्छी क्वालिटी की लिग्नाइट माइंस का सर्वे होगा। राजस्थान में कई माइंस के लिग्नाइट में सल्फर कंटेंट ज्यादा बताया जा रहा है। जो पावर प्लांट के बॉयलर और उपकरणों को खराब कर देता है। यही कारण बाड़मेर में 1865 करोड़ रुपए लागत से बना 250 मेगावाट कैपिसिटी का गिरल लिग्नाइट थर्मल पावर प्लांट 2016 के बाद से ठप पड़ा है।

इस प्लांट में 1300 करोड़ से ज्यादा का घाटा बताया जा रहा है। कई बार इसे बेचने के प्रस्ताव भी तैयार हुए। लेकिन अब बढ़ते कोयला संकट को देखते हुए गिरल पावर प्लांट को फिर से शुरू करने की तैयारियां की जा रही हैं। सब कुछ ठीक रहा तो माना जा रहा है अगले 6 महीने में यह काम शुरू हो सकता है।

गिरल प्रोजेक्ट का लिया फीडबैक

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उत्पादन निगम से गिरल लिग्नाइट थर्मल पावर प्लांट का फीडबैक लिया है। जहां 125-125 मेगावाट की दो यूनिट बंद पड़ी हैं। उसे रिवाइव करने के लिए कवायद शुरु करने की तैयारी की जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एनर्जी डिपार्टमेंट के अफसरों से इस पर एक्सरसाइज करने और कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए नए ऑप्शन तलाशने को कहा है। इसमें लिग्नाइट का इस्तेमाल करना सरकार की प्रायोरिटी में शामिल है। प्रदेश में लिग्नाइट की भरमार है। लिग्नाइट की लंबे वक्त तक कोयले के सब्सटिट्यूट के तौर पर स्केलिंग करने और इसके कम्प्लीट यूज के लिए अधिकारियों को सर्वे करवाने को कहा है।

गिरल समेत लिग्नाइट कोयला आधारित पावर प्लांट्स में टेक्निकल फेरबदल करके प्रदेश के लिग्नाइट का इस्तेमाल किया जा सकता है। नए लिग्नाइट आधारित पावर प्लांट ऐसी माइंस के आसपास ही लगाए जा सकते हैं। ऐसा हुआ तो राजस्थान का लिग्नाइट कोयला बिजली संकट दूर सकता है। साथ ही लोगों को सस्ती बिजली का भी फायदा मिलेगा। प्रदेश के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, नागौर, पाली में लिग्नाइट कोयले के भंडार हैं।

लिग्नाइट बेस ये पावर प्लांट पैदा कर रहे बिजली

प्रदेश में सबसे सस्ती लिग्नाइट बिजली 3.02 रुपए प्रति यूनिट रेट पर मिल रही है। बीकानेर के गुढ़ा गांव में KSK एनर्जी का 135 मेगावाट कैपिसिटी का VSPL लिग्नाइट पावर प्लांट इस रेट पर पावर उपलब्ध करवा रहा है। बीकानेर के ही बरसिंहसर में नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन (NLC) की ओर से 250 मेगावाट पावर प्लांट चल रहा है। बाड़मेर में राजवेस्ट पावर प्लांट में भी 1080 मेगावाट बिजली पैदा होती है। राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को अगर बढ़िया क्वालिटी के कोल ब्लॉक अलॉट हो जाएं। तो सरकारी कंपनी खुद अपने प्लांट्स से प्रदेश को बिजली प्रोडक्शन के क्षेत्र में आत्म निर्भर बना देगी। इसका सीधा फायदा आम ग्राहकों को सस्ती बिजली के तौर पर मिलेगा।

राजस्थान में हैं लिग्नाइट के अकूत भण्डार

राज्य के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकोनर, नागौर, जालौर और पाली जिले में लिग्नाइट के अकूत भण्डार हैं। इन 6 जिलों के 62 ब्लॉक्स में 5703 मिलियन टन लिग्लाइट मौजूद है। सबसे ज्यादा लिग्नाइट बीकानेर, बाड़मेर और जैसलमेर जिले में मिला है। प्रदेश में गिरल, सोनारी, कृष्णाउं, मातासुर, शिवकर, सच्चा सौदा, गुढ़ा ईस्ट और गुढ़ा वेस्ट, जलिपा, कपूरड़ी में लिग्नाइट की माइंस अलॉट हैं। इन्हीं माइंस से बिजली घरों को चलाकर सस्ती बिजली बनाने की तैयारी की जा रही है। जबकि बाड़मेर के सिन्दरी में 700 मिलियन टन, जलिपा में 316, कपूरड़ी में 150, बोथिया में 152, गिरल में 102, बीकानेर के गुढ़ा में 80, बरसिंहसर में 79, बिथनोक और बिथनोक ईस्ट एक्सटेंशन में 78, गड़ियाला और बिथनोक वेस्ट में 40, नागौर के मेड़ता रोड़ और मेड़ता सिटी में 83, कसनाऊ में 65 मिलियन टन लिग्नाइट भण्डार हैं। इसके अलावा कई छोटे-छोटे भण्डार भरे पड़े हैं।

कोयले के अलावा प्रति यूनिट 44 पैसे सेस की बचत भी होगी

राजस्थान में एक तरफ लिग्नाइट माइनिंग की जा रही है। दूसरी तरफ इसकी खोज भी जारी है। लिग्नाइट खानों का कोयला यहीं पर लिग्नाइट बेस्ड बिजली घरों में खपा दिया जाए, तो बिजली प्रोडक्शन काफी बढ़ सकता है। लिग्नाइट माइनिंग और बिजली प्रोडक्शन एक ही संस्था के पास होने से बिजली की लागत में प्रति यूनिट सेस की बचत होगी। इससे लागत कम आएगी और बिजली पर डिपेंडेंसी कम होगी। सूत्रों के मुताबिक प्रति यूनिट 44 पैसे सेस की बचत राज्य के लिग्नाइट से बिजली बनाने पर होगी।

लिग्नाइट माइंस और पावर प्लांट अलॉटमेंट शर्तों की स्टडी

सूत्रों के मुताबिक एनर्जी डिपार्टमेंट ने लिग्नाइट ब्लॉक और पावर प्रोडक्शन यूनिट्स को अलॉटमेंट शर्तों की स्टडी रिपोर्ट तैयार करवाई है। प्राइवेट और सरकारी कंपनियों को अलॉट लिग्नाइट माइंस, फिलहाल कोयला प्रोडक्शन कर रहीं माइंस, लिग्नाइट के भण्डारों, नॉन प्रोडक्टिव माइंस इसमें शामिल हैं। इसका सीधा-सीधा फायदा प्रदेश और यहां के लोगों को होगा। उन्हें सस्ती बिजली मिल सकेगी।