शिरडी में गुरु पूर्णिमा पर रिकॉर्ड चढ़ाई, 3 दिन में 5 करोड़ 12 लाख रुपये का दान

Record climb on Guru Purnima in Shirdi, donation of Rs 5 crore 12 lakh in 3 days
Record climb on Guru Purnima in Shirdi, donation of Rs 5 crore 12 lakh in 3 days
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अहमदनगर। महाराष्ट्र के शिरडी में साईबाबा मंदिर में गुरुपूर्णिमा उत्सव के दरम्यान रिकॉर्ड चढ़ावा प्राप्त हुआ है. श्री साईबाबा को गुरुदक्षिणा के तौर पर श्रद्धालुओं ने 3 दिनों में 5 करोड़ 12 लाख रुपये दान किया है. शिरडी के साई की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है और गुरुपूर्णिमा के अवसर पर इस पवित्र धार्मिक स्थल पर लाखों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए.

जानकारी के मुताबिक, तीन दिवसीय साईबाबा गुरुपूर्णिमा उत्सव के दरम्यान जो चढ़ावा प्राप्त हुआ है, उसमें हुंडी में 2 करोड़ 17 लाख 16 हजार रुपये, डोनेशन काउंटर पर 1 करोड़ 59 लाख 18 हजार रुपये, चेक DD, मनी ऑर्डर, डेबिट, क्रेडिट और ऑनलाइन के जरिये 1 करोड़ 36 लाख 38 हजार रुपये प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा, 20 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा आई है. 22 लाख रुपये का 479 ग्राम सोना और 3 लाख रुपये मूल्य की चांदी प्राप्त हुई है.

ट्रस्ट की तरफ से बताया है कि 3 दिन में देश-विदेश से 3 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने साईबाबा समाधि के दर्शन किए और करोड़ों रुपए की गुरुदक्षिणा अर्पित की है. गुरुदक्षिणा अर्पण करने के लिए हजारों श्रद्धालु पालकी लेकर साई दरबार पहुंचे. तीन दिनों में देश-विदेश से आए तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने साईबाबा समाधि पर मत्था टेककर आशीर्वाद लिया और गुरुदक्षिणा के रूप में सोना, चांदी, कीमती वस्र साईबाबा के चरणों में अर्पित किए.

साईबाबा के जन्मस्थान पर विवाद के पीछे वर्चस्व की जंग?
साईबाबा मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. एकनाथ गोंदकर ने बताया कि गुरुपूर्णिमा उत्सव के दरम्यान 3 लाख भक्तों ने बाबा के दर्शन किए हैं. इसमें 5 करोड़ 12 लाख रुपयों का चढ़ावा आया है. ये अब तक का सबसे ज्यादा चढ़ावा मिला है. उन्होंने कहा कि 2 साल से कोरोना की वजह से मंदिर में दर्शन करना बंद था. 2019 के उत्सव में 4 करोड़ 52 लाख रुपयों का चढ़ावा आया था. भक्तों ने बाबा को गुरुदक्षिणा अर्पण की है.

उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे भी श्रद्धालु हैं, जो सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर आए और साई को गुरुदक्षिणा अर्पण कर आशीर्वाद लिया. एक पुणे से आए श्रद्धालु ने बताया कि वे पालकी लेकर आए है. बाबा को परमगुरु मानते हैं. गुरुदक्षिणा के स्वरूप बाबा को पैदल चलकर प्रार्थना समर्पित की है.