अभी अभीः टिकट ना मिलने से सपा गठबंधन में छिडी बगावत, इस पार्टी ने…

Right now: Rebellion broke out in SP alliance due to non-receipt of ticket, this party...
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लखनऊ। UP Politics: उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 13 सीटों पर होने जा रहे चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी गठबंधन में दरारें पड़ने लगी हैं। सपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और महान दल ने विधान परिषद चुनाव में सीट न मिलने पर नाराजगी जताई है। महान दल ने तो सपा गठबंधन से खुद को अलग कर लिया है। सुभासपा में भी विरोध के स्वर फूटने लगे हैं।

यूपी विधान परिषद चुनाव के लिए बुधवार को सपा के चार उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया है। इनमें से दो सपा नेता आजम खां के नजदीकी हैं। पार्टी की ओर से तय किए गए उम्मीदवारों में स्वामी प्रसाद मौर्य, करहल के पूर्व विधायक सोबरन सिंह यादव के पुत्र मुकुल सिंह शामिल हैं। इसके अलावा सहारनपुर से शाहनवाज खान शब्बू व सीतापुर के जासमीर अंसारी का नाम शामिल है।

उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 13 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में चार सीटें सपा को मिलनी हैं। सपा में कई दिनों से एमएलसी प्रत्याशियों के नाम को लेकर रस्साकशी चल रही थी। चूंकि सपा ने राज्यसभा की एक सीट सहयोगी दल रालोद को दी थी इसलिए विधान परिषद में सुभासपा को एक सीट मिलने की उम्मीद थी। अखिलेश यादव ने भी सुभासपा से एमएलसी की एक सीट देने का वादा किया था। बुधवार को सपा ने अल्पसंख्यक समुदाय के दो प्रत्याशियों को विधान परिषद भेजने की रणनीति के तहत सहयोगी दल को एक भी सीट नहीं दी।

सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के बेटे व राष्ट्रीय महासचिव अरुन राजभर ने इस पर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने सपा प्रत्याशियों के नामांकन के बाद ट्वीट किया कि ‘ भागीदारी देने की बात सिर्फ जुबां तक सीमित रखने से जनता उनको सीमित कर देती है। जो मेहनत करे, ताकत दे, उनको नजरअंदाज करो। जो सिर्फ बात करे उसको आगे बढ़ाओ, यह आगे के लिए हानिकारक है।’

सुभासपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता पीयूष मिश्रा ने कहा कि ‘अखिलेश यादव का आज का फैसला निश्चित ही सुभासपा कार्यकर्ताओं को निराश करने वाला है। एक सहयोगी 38 सीट लड़कर आठ सीट जीतती है तो उन्हें राज्यसभा, हमें वहां कोई एतराज नहीं है। हम 16 सीट लड़कर छह जीतते हैं तो हमारी उपेक्षा ऐसा क्यों?’

वहीं, विधान परिषद न भेजे जाने से नाराज महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने तो बड़ा फैसला ले लिया है। उन्होंने सपा गठबंधन से खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने कहा कि दवाब डालने वालों को अखिलेश यादव विधान परिषद और राज्यसभा भेज रहे हैं। अखिलेश चाटुकारों से घिरे हैं। उन्हें अब मेरी जरूरत नहीं है। लिहाजा वह गठबंधन तोड़ने का फैसला ले रहे हैं। महान दल को सपा ने विधानसभा में दो सीटें दी थीं, हालांकि दोनों पर ही उसके प्रत्याशी हार गए थे।