बाल विवाह पंजीकरण पर मचा बवाल, सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती

Ruckus over child marriage registration, challenge given in Supreme Court
Ruckus over child marriage registration, challenge given in Supreme Court
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नई दिल्ली: राजस्थान के विवाह रजिस्ट्रेशन एक्ट में हुए संशोधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. इस संसोधन के तहत राजस्थान में अब बाल विवाह का भी रजिस्ट्रेशन होगा. इस कानून का विधानसभा में जमकर विरोध हुआ. वहीं, अब इस मामले में स्वाति गोयल शर्मा और संजीव नेवार ने जनहित याचिका दायर की है.

याचिकाकर्ताओं ने बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान पर आपत्ति जताते हुए इस संशोधन को रद्द करने की गुहार लगाई है. इस जनहित याचिका में भारत सरकार के कैबिनेट सचिव, राजस्थान सरकार और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पक्षकार बनाते हुए जल्द सुनवाई की मांग की गई है.

पहले भी दायर हो चुकी याचिका
इससे पहले भी राजस्थान के इस कानून को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर हुई, जिसमें नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स यानी NCPCR को भी पार्टी बनाया गया है.

इस कानून में प्रावधान है कि बाल विवाह करने वालों को 30 दिन में अपना विवाह रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इस विधेयक पर विधानसभा में काफी हंगामा हुआ. भाजपा ने गहलोत सरकार पर बाल विवाह को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.

NCPCR ने भी जताया विरोध
उधर, NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि वो 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी के रजिस्ट्रेशन की अनुमति देने वाले कानून का विरोध करेंगे. उन्होंने कहा, कि राजस्थान सरकार का ये कानून चाइल्ड मैरिज एक्ट और पॉक्सो एक्ट का उल्लंघन करता है.

यह बाल विवाह को कानूनी मान्यता देने जैसा
राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि बाल विवाह का रजिस्ट्रेशन करना, इसे कानूनी मान्यता देने जैसा है. इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि हम केवल रजिस्टर्ड कर रहे हैं. इस विधेयक में ऐसा कहीं नहीं लिखा कि हम इस विवाह को मान्य करार दे रहे हैं.