SHO ने नहीं दी सिपाही को छुट्टी, बच्चे को जन्म देने के बाद पत्नी-नवजात की मौत, जांच के आदेश

SHO did not give leave to the constable, wife and newborn died after giving birth to the child, investigation ordered
SHO did not give leave to the constable, wife and newborn died after giving birth to the child, investigation ordered
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के जालौन में एक सिपाही (SHO) की पत्नी की मौत का मामला सामने आया है। सिपानी की पत्नी को प्रसव पीड़ा की शिकायत हुई थी और फिर परिजन उसे स्थानीय सीएचसी लेकर गए जहां उसने नवजात को जन्म दिया। लेकिन दोनों की स्वास्थ्य स्थिति काफी खराब थी। इसके बाद दोनों को आगरा रेफेर कर दिया गया। आगरा ले जाते समय रास्ते में पत्नी और नवजात दोनों की मौत हो गई।

SHO से मांगी थी छुट्टी
पत्नी की मौत के बाद SHO ने आरोप लगाया है कि उसने छुट्टी मांगी थी, लेकिन मिली नहीं जिसके बाद परिजन उसकी देखभाल कर रहे थे। सिपाही के आरोप का यूपी पुलिस ने भी संज्ञान लिया है। जालौन के ASP असीम चौधरी ने बताया, “जैसे ही उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आया कि थाना रामपुरा में तैनात एक कांस्टेबल को पारिवारिक इमरजेंसी के कारण अवकाश की जरूरत है, तत्काल कांस्टेबल की पारिवारिक इमरजेंसी को देखते हुए उसकी 30 दिन की इमरजेंसी लीव स्वीकृत की गई।” ASP असीम चौधरी ने बताया कि पहले भी कांस्टेबल को 25 दिन की छुट्टी दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि यह कृत्य लापरवाहीपूर्ण था और विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए जा चुके हैं।

सिपाही की पत्नी आरपीएफ में बतौर सिपाही पोस्टेड थी। वहीं पीड़ित सिपाही विकास निर्मल दिवाकर जालौन के थाना रामपुरा में तैनात थे। वह 2018 बैच के सिपाही हैं। विकास निर्मल दिवाकर जिला मैनपुरी के रहने वाले हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले एक हफ्ते से पीड़ित सिपाही ने कई बार छुट्टी की मांग की लेकिन उसे नहीं मिली।

जालौन के एसपी ने जारी किया बयान
घटना के बाद जालौन के एसपी ने एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि सभी क्षेत्राधिकारी (CO) और थानाध्यक्ष (SHO) किसी भी सिपाही को छुट्टी देने के लिए परेशान न करें। एसपी के अनुसार सिपाही 10 से 12 बजे तक एप्लिकेशन को थानाध्यक्ष तक पहुंचाएं और शाम 6 बजे तक उसे आगे भेजा जाए। वहीं अगर शाम 6 बजे तक सीओ और थानाध्यक्ष ने छुट्टी का प्रार्थना पत्र आगे नहीं बढ़ाते हैं, तो खुद से ही छुट्टी का प्रार्थना पत्र स्वीकार माना जाएगा।