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नई दिल्ली. कोरोना महामारी के बाद पूरी दुनिया एक बार फिर डर के साये में जी रही है. हालात धीरे-धीरे इतने गंभीर होते जा रहे हैं कि दुनियाभर के देश अपना-अपना सोना विदेशों से वापस मंगा रहे हैं. यह डर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद जन्मा है और धीरे-धीरे पूरी दुनिया पर गहराता जा रहा है. Invesco ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया है कि भविष्य के बुरे हालातों से बचने के लिए दुनियाभर के देश अपने रिजर्व की रणनीति में बदलाव कर रहे हैं.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने इनवेस्को ग्लोबल सॉवरेन असेट मैनेजमेंट स्टडी (Invesco Global Sovereign Asset Management Study) के हवाले से बताया है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद दुनिया में एक नई तरह की मुसीबत सामने आई है. दरअसल, युद्ध से नाराज पश्चिमी देश और यूरोप ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए. इन पाबंदियों के बाद रूस के 640 अरब डॉलर के फॉरेक्स और गोल्ड रिजर्व में से आधा विदेशी बैंकों में फंस गया है. ऐसी स्थिति के बाद दुनिया के अन्य देश काफी डरे हुए हैं.
क्या है सर्वे का रिजल्ट
Invesco के सर्वे में शामिल 87 सॉवरेन वेल्थ फंड और 57 केंद्रीय बैंकों में से 85 फीसदी का कहना है कि अगले एक दशक में महंगाई के साथ भूराजनैतिक माहौल काफी खराब रहने की आशंका है. इस वजह से सभी देश अपने रिजर्व की रणनीति में बदलाव कर रहे हैं. अब उनकी मंशा अपने रिजर्व में ज्यादा हिस्सा सोने को रखने का है. यही कारण है कि वे विदेशी बैंकों के पास जमा अपना सोना वापस मंगा रहे हैं.
डॉलर पर बढ़ सकता है संकट
सर्वे में शामिल 68 फीसदी देशों का मानना है कि अब वे अपना सोना अपने ही देश में रखना चाहते हैं. अगर किसी भूराजनैतिक संकटों के बीच उन पर प्रतिबंध लगने की स्थिति आती है तो कम से कम उनका सोना तो जब्त नहीं होगा. अमेरिका पर जिस तरह से कर्ज बढ़ रहा है, आने वाले समय में उसके डॉलर की अहमियत घट सकती है. ऐसे में अपने रिजर्व में करेंसी के बजाए सोने का भंडार बढ़ाना ज्यादा सही होगा.
क्यों इतना जरूरी है सोना
जब भी किसी देश पर संकट आता है तो सोना ही उसे उबारने का जरिया बनता है. यही कारण है कि दुनियाभर के देश अपने भंडार में बड़ा हिस्सा सोने का रखते हैं. भूराजनैतिक संकट के समय करेंसी पर दबाव रहता है और तब गोल्ड की जरूरत पड़ती है, क्योंकि महंगाई और अन्य संकटों के बढ़ने पर सोने की कीमत में और इजाफा होता है. इससे देशों की इकोनॉमी संकट में आने से बच जाती है.
क्यों विदेशों में रखते हैं सोना
दुनियाभर के देश अपने रिजर्व को मजबूत और स्थायी बनाने के लिए अलग-अलग देशों से सोना खरीदते हैं. सोने की यह खरीद ज्यादातर लंदन स्थित गोल्ड एक्सचेंज से होती है. भारत सहित कई देश अपना सोना लंदन में खरीदकर वहीं के केंद्रीय बैंकों में जमा कर देते हैं. सर्वे शामिल एक केंद्रीय बैंक ने कहा कि अभी तक हम अपना पैसा लंदन में रखते थे, लेकिन अब इसे वापस अपने देश में ले आए हैं. ज्यादातर देशों को चीन से खतरा महसूस हो रहा है, जिसकी वजह से अपना निवेश भारत की तरफ बढ़ा रहे हैं.
भारत की क्या स्थिति
फिलहाल सर्वे में भारत ने अपना पक्ष तो नहीं रखा है, लेकिन हमारा आधे से ज्यादा गोल्ड विदेशों में जमा है. रिजर्व बैंक ने 2022 में जारी रिपोर्ट में बताया था कि उसके पास करीब 754 टन सोना है. इसमें से 132.34 टन सोना तो बीते साल अप्रैल से सितंबर के बीच खरीदा था. इस भंडार का 296.48 टन सोना तो देश के केंद्रीय बैंक में ही सुरक्षित है, लेकिन 447.30 टन सोना विदेशी बैंकों में है. इसमें से ज्यादातर हिस्सा बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास है, जबकि कुछ टन सोना स्विटजरलैंड स्थित बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट (BIS) के पास सुरक्षित है.