जनसंख्या नियंत्रण के नियमों की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

Supreme Court seeks response from Center on demand for population control rules
Supreme Court seeks response from Center on demand for population control rules
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नई दिल्ली। जनसंख्या नियंत्रण के लिए नियम-कायदे और दिशानिर्देश तैयार करने के केंद्र को निर्देश देने की मांग संबंधी जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने केंद्र से जवाब तलब करते हुए इस जनहित याचिका को इसी तरह की लंबित अन्य याचिकाओं के साथ टैग कर दिया। शीर्ष अदालत ने यह नोटिस देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के परपोते फिरोज बख्त अहमद की जनहित याचिका पर जारी किया।

पहले भी केंद्र से मांगा जा चुका जवाब
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने देवकीनंदन ठाकुर, अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय और अन्य की याचिकाओं पर भी केंद्र से जवाब मांगा था। फिरोज बख्त ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत में 50 प्रतिशत से ज्यादा समस्याओं की जड़ जनसंख्या विस्फोट है। इसमें सरकारी नौकरियों, सहायता, सब्सिडी, मताधिकार, चुनाव लड़ने के अधिकार, संपत्ति के अधिकार, मुफ्त आश्रय का अधिकार इत्यादि के लिए ‘दो बच्चों के कानून’ को मानक बनाने की संभाव्यता का पता लगाने के केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई है।

लोगों को जागरुक करने की अपील
याचिका में यह भी कहा गया है, ‘सरकार को जनसंख्या विस्फोट के बारे में लोगों को जागरूक करने और आर्थिक रूप से कमजोर व गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को गर्भनिरोधक गोलियों, कंडोम, वैक्सीन इत्यादि उपलब्ध कराने के लिए हर महीने के पहले रविवार को पोलियो दिवस के स्थान पर स्वास्थ्य दिवस घोषित करना चाहिए।’

द यूएन व‌र्ल्ड पापुलेशन प्रास्पेक्ट्स (डब्ल्यूपीपी), 2022 में अनुमान व्यक्त किया गया है कि 2023 तक भारत की जनसंख्या चीन को पीछे छोड़ते हुए 140 करोड़ तक पहुंच जाएगी। वर्तमान में भारत की जनसंख्या दुनिया की आबादी का 17.5 प्रतिशत है। अनुमान है कि भारत की जनसंख्या 2030 तक 150 करोड़ और 2050 तक 166 करोड़ तक पहुंच जाएगी।