नई दिल्ली. सुशीला देवी (Sushila Devi) ने इतिहास रच दिया है. इस महिला जूडो खिलाड़ी ने कॉमनवेल्थ गेम्स में (Commonwealth Games 2022) 48 किग्रा वेट कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता. फाइनल में सुशीला को दक्षिण अफ्रीका की मिचेला व्हाइटबोई से हार मिली. भारत को मौजूदा गेम्स में अब तक 8 मेडल मिल चुके हैं. इसमें 3 गोल्ड मेडल शामिल हैं. इसके अलावा 3 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज मेडल भी मिला है. इससे पहले सभी 6 मेडल वेटलिफ्टिंग से आए थे. अब 2 मेडल जूडो से आए हैं. वहीं लॉन बॉल्स टीम फाइनल में पहुंचकर मेडल पक्का कर चुकी है. 27 साल की सुशील ने इससे पहले 2014 ग्लास्गो कॉमनेवल्थ गेम्स में भी सिल्वर मेडल जीता था. यानी यह उनका ओवरऑल दूसरा मेडल है.
सुशीला देवी चोट के कारण लंबे समय तक परेशानी रहीं और उन्होंने 2018 में खेल छोड़ने तक का बन बना लिया था. Sportstar की खबर के अनुसार, 2018 में हैमस्ट्रिंग की चोट की वजह से उन्हें लगभग 7 महीने तक खेल से बाहर रहना पड़ा था. इतना ही नहीं उन्हें एशियन गेम्स के ट्रायल में भी हार मिली. तब उन्होंने कहा था कि मैं टूट गई थी. मुझे लगा कि मेरा जूडो करियर खत्म हो गया है. एशियन खेलों के माध्यम से मैं ओलंपिक की तैयारी करना चाहती थी. हार के बाद मेरा दिल टूट गया था और 3 महीने के लिए ब्रेक के लिए घर वापस चली गई.
मेडल के साथ की वापसी
सुशीला देवी ने हालांकि हार नहीं मानी और शानदार वापसी की. 2018 और 2019 में हॉन्गकॉन्ग ओपन में लगातार 2 सिल्वर मेडल जीते. ओलंपिक की तैयारी के लिए उन्हें कठिनाईयों से गुजरना पड़ा. टूर्नामेंट के खर्चों को पूरा करने के उन्हें अपनी कार तक को बेचना पड़ा था. तब उन्होंने कहा था कि मैंने जूडो के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया है. मेरे पास कुछ नहीं बचा है. इसके बाद वे टोक्यो ओलंपिक में क्वालिफाई करने में सफल रही थीं. हालांकि वे मेडल नहीं जीत सकी थीं.
सुशीला देवी का परिवार पहले से जूडो से जुड़ा रहा है. वे दिग्गज बॉक्सर एमसी मैरीकॉम को अपना आदर्श मानती हैं. उनके अंकल डिनिक सिंह इंटरनेशनल जूडो खिलाड़ी थे. बाद में वे रेफरी बने. उन्हें देखकर सुशीला के भाई शिलाक्षी सिंह खेल में आए. फिर सुशीला कहां रूकने वाली थीं. बाद में अपने खेल के दम पर वे साई सेंटर के बाद पटियाला तक पहुंचीं. उन्होंने 2019 में साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था.