Shinde vs Uddhav: महाराष्ट्र में सियासी खींचतान के चलते उद्धव ठाकरे की सत्ता चली गई और उनके साथ बगावत किसी और ने नहीं बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे ने की थी. अब शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं और बीजेपी के साथ सरकार चला रहे हैं. शिवसेना में फूट डालने के बाद शिंदे अब ठाकरे परिवार पर भी नजरे गढ़ाए हुए हैं और इस कड़ी में उन्होंने शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के पोते निहार ठाकरे को पार्टी में शामिल किया था. लेकिन अब ठाणे में एकनाथ शिंदे की काट के लिए उद्धव ठाकरे ने बड़ा फैसला लिया है और दिवंगत आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को जिला यूनिट का प्रमुख बनाया है.
गुरु आनंद दिघे के सहारे चला दांव
ठाणे के इलाके में शिवसेना के दिवंगत नेता आनंद दिघे का सिक्का चलता था और उन्हीं से सियासी दांव-पेंच सीखकर एकनाथ शिंदे ने राजनीति शुरू की थी. खुद मुख्यमंत्री शिंदे में ठाणे के इलाके से ही आते हैं जो शिवसेना का गढ़ माना जाता रहा है. लेकिन बगावत के बाद अब लोग एकनाथ शिंदे के साथ जाते दिख रहे हैं. पार्टी के जनाधार को बचाने के लिए ही उद्धव ने केदार दिघे को ठाणे का शिवसेना प्रमुख बनाया है. यही नहीं उद्धव ने आनंद दिघे की करीबी सहयोगी और शिवसेना की महिला यूनिक की प्रमुख अनीजा बिरजे को डिप्टी लीडर भी नियुक्त किया है. आनंद दिघे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के राजनीतिक गुरु कहे जाते हैं.
ठाणे के पूर्व प्रमुख नरेश म्हास्के ने एकनाथ शिंदे के समर्थन में पद छोड़ दिया था जिसके बाद जिले की कमान संभालने के लिए उद्धव को मजबूत नेता की तलाश थी. लेकिन उन्होंने शिंदे के गुरु आनंद दिघे के भतीजे को यह पद देकर एक मैसेज देने का काम किया. इसके जरिए जनता में यह संदेश देने की कोशिश है कि असली शिवसेना की अगुवाई उद्धव ठाकरे ही करते हैं और वही पुराने नेताओं की विरासत को संभाले हुए हैं. शिंदे और उद्धव दोनों ही नेता शिवसेना पर अपना दावा कर चुके हैं और अब कोर्ट तक यह मामला पहुंच चुका है.
अनीता बिरजे की खुली चुनौती
पार्टी का डिप्टी लीडर नियुक्त किए जाने के बाद अनीता बिरजे ने सोमवार को खुल तौर पर एकनाथ शिंदे गुट को चुनौती देते हुए कहा कि वे शिवसैनिकों की भावनाओं से न खेलें. ठाणे में आनंद आश्रम में शिवसेना के दिवंगत नेता आनंद दिघे को श्रद्धांजलि देने के बाद उन्होंने कहा कि पार्टी में विद्रोह के बाद शिवसैनिक भ्रमित थे, लेकिन नए नेताओं की नियुक्ति के ऐलान के बाद वे जिले और राज्य में नागरिकों के लिए काम करने के लिए सामने आए चुके हैं.
उन्होंने कहा कि हम दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे की ओर से तय किए गए रास्ते पर चलेंगे, जिसमें 80 फीसदी सामाजिक कार्य और 20 प्रतिशत राजनीति होती है. अनीता ने कहा कि बागी गुट के नेताओं को शिवसैनिकों की भावनाओं से नहीं खेलना चाहिए और अगर ऐसा करने की कोशिश की गई तो हम इसका जवाब देंगे. शिवसेना के लिहाज से ठाके का इलाका काफी अहम है और बाल ठाकरे के वक्त में यहां आनंद दिघे पार्टी को मजबूत करने में जुटे थे. इसके बाद यह जिम्मेदार एकनाथ शिंदे ही संभाल रहे थे जो अब शिवसेना के बगावत कर चुके हैं.