तेजस्वी की एक चूक और जेडीयू ने ठोक दिया दावा, ‘रणछोड़’ नीतीश मार पाएंगे फाइनल ‘पंच’?

Tejashwi's one mistake and JDU hit the claim, will 'Ranchod' Nitish be able to kill the final 'punch'?
Tejashwi's one mistake and JDU hit the claim, will 'Ranchod' Nitish be able to kill the final 'punch'?
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पटना: कुढ़नी विधानसभा चुनाव ( Kurhani By Election ) के परिणाम बिहार में इस बात के मायने बनेंगे कि किसका समीकरण अटूट है। होने को तो दो उपचुनाव गोपालगंज और मोकामा भी हुए, पर यह जोर आजमाइश का सेमीफाइनल ही था। इस मोकामा और गोपालगंज से सीखे या जो चूक कर गए राजनीतिक रणवीर अब सुधार के साथ फाइनल रण में एक नए अंदाज में होगा कुढ़नी विधानसभा का चुनाव। कुढ़नी विधानसभा में महागठबंधन ( Mahagathbandhan ) की तरफ से जनता दल यू ( JDU ) को उम्मीदवारी सौंपी गई है, तो वह सेमीफाइनल मोकामा और गोपालगंज विधानसभा उप चुनाव में हुई चूक का ही परिणाम है।

दरअसल, गत उपचुनाव में दोनों सीट पर राजद के उम्मीदवार को खड़ा करने का एक नकारात्मक संदेश प्रचारित हुआ। भाजपा ने इस संदेश को प्रसारित किया कि नीतीश कुमार की रुचि महागठबंधन को जीताने की नहीं है। इसकी वजह से कुर्मी धानुक, कुशवाहा का वोट उस तरह से राजद के उम्मीदवार अनंत सिंह को नहीं मिला, जो भाजपा के साथ जदयू के रहने पर मिला करता था। मोकामा विधानसभा में कमान संभाले पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल कहते हैं कि मोकामा में कुर्मी का वोट 60 प्रतिशत तथा धानुक का लगभग 30 प्रतिशत भाजपा को मिला। यहां तक कि अति पिछड़ा का भी काफी वोट मोकामा और गोपालगंज विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिला। यही कारण है कि महागठबंधन के रणनीतिकारों ने जनता को इस दुविधा से निकालने के लिए कुढ़नी सीट जदयू के हवाले की।

आधार वोट का जंग
भाजपा के लिए कुढ़नी विधानसभा का यह उपचुनाव अपने आधार को समेटने का एक तरह से फाइनल मैच है। जिस तरह से मोकामा में भूमिहारों का आधार वोट लगभग 50 प्रतिशत राजद की झोली में चला गया, उसी तरह से भूमिहारों के साथ-साथ अन्य सवर्ण वोट वीआईपी के नीलाभ कुमार और भाजपा के केदार गुप्ता के बीच बंटे तो भाजपा की स्थिति नाजुक हो सकती है। एक आकलन के अनुसार कुढ़नी विधान सभा में 20 हजार भूमिहार, 15 हजार राजपूत और 8 हजार ब्राह्मण के वोट बैंक है।

जदयू के उम्मीदवार को है अपनों से खतरा
जदयू ने बड़ी सोच समझ के साथ कुशवाहा जाती के उम्मीदवार मनोज कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। मोकामा और गोपालगंज में देखें तो कुशवाहा वोट का पलड़ा भाजपा की ओर झुका रहा। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी के बनने के बाद कुशवाहा वोट बैंक में भाजपा की हिस्सेदारी बढ़ी है। दूसरी ओर जदयू के उम्मीदवार मनोज कुशवाहा के प्रति मुस्लिम वोटरों में नाराजगी की बात कही जा रही है। राजनीतिक विशेषज्ञ का मानना है कि ज्यादा मुस्लिम वोट एआईएमआईएम के उम्मीदवार मुर्तजा अंसारी की तरफ जाने की बात कही जा रही है। यहां मुस्लिम की आबादी 25 हजार है।

वीआईपी और महागठबंधन
अब चुकी वीआईपी ने भूमिहार उम्मीदवार उतारा है तो इसका रिएक्शन सहनी जाति के वोटरों में भी गया है। और बतौर बागी सहनी की जाति से एक उम्मीदवार ने अपना दावा ठोक डाला है। इनका चुनावी मैदान में उतरना महंगा पड़ेगा। कुढ़नी विधानसभा में सहनी का वोट लगभग 25 हजार है।

निर्णायक वोट ?
कुढ़नी विधानसभा में इनके अलावा यादव, कुर्मी, पासवान और पासी जाति के लोग हैं, जो जिस तरफ ज्यादा जाएंगे उनका पलड़ा भारी रहेगा। एक आकलन के मुताबिक यहां यहां 30 हजार यादव, 15 हजार कुर्मी, पासवान और पासी मिलाकर 30 हजार वोट हैं। इनका भी झुकाव निर्णय तक पहुंचने में सहायक होंगे। मोकामा विधानसभा में जिस तरह से कुर्मी, कुशवाहा और यादवों के वोट बैंक में भाजपा ने सेंधमारी करने में कामयाब हुई, वही खेला करने में अगर यहां कामयाब हो गई तो भी बाजी पलट सकती है।