बाप ही बन गया जल्लाद, अपनी ही मासूम बेटी के साथ घिनौना कांड, दहले लोग

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नई दिल्ली : उसकी बहुत ही प्यारी इकलौती बेटी थी। बड़े नाजों से उसे पाल रहा था। दुनिया की हर खुशी अपनी बेटी को देना चाहता था। लेकिन करोड़ों के कर्ज में डूबा वह कारोबारी हैवान बन गया। कर्ज न चुकाना पड़े, इसके लिए उसने खतरनाक प्लान बनाया। घर छोड़ने का प्लान। प्लान ये कि नई जगह पर नई पहचान के साथ नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत। लेकिन 10 साल की बेटी का क्या होगा? पत्नी तो किसी तरह गुजारा कर लेगी लेकिन बेटी…। फिर क्या था। जिन हाथों से कभी बेटी को गोद में उठाकर खिलाया था, उन्हीं हाथों से उस हैवान ने अपने जिगर के टुकड़े का ही गला घोंट दिया। उसके बेजान पड़े शरीर को नदी में फेंक आया। शातिराना अंदाज में अपने गुनाह के हर निशां को मिटाने की कोशिश की। अगर उस बेटी की आत्मा बात करती होती तो उस हैवान से जरूर पूछती- पापा मेरा कसूर क्या था? अब उस हैवान को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। वैगा हत्याकांड की ये पूरी कहानी दिल को झकझोर कर रख देने वाली है।

21 मार्च 2021 का दिन। 10 साल की वैगा को उसका पिता सानू मोहन अलपुज्जा में अपने रिश्तेदार के यहां से अपने साथ लेकर निकलता है। वह पत्नी को रिश्तेदार के यहां ही छोड़ देता है कि वह अपने एक अंकल के यहां जा रहा। वैगा के साथ वह किसी अंकल के यहां जाने के बजाय कोच्चि के कंगरापादी स्थित अपने फ्लैट पहुंचता है। कुछ देर बाद वह अपार्टमेंट से बाहर जाता दिखता है। उसके बाद से ही दोनों लापता हो जाते हैं। उनका कोई सुराग नहीं मिलता। रिश्तेदार उसी दिन दोनों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराते हैं। अगले दिन यानी 22 मार्च को कोच्ची के मुट्टार नदी में वैगा की तैरती हुई लाश मिलती है। सानू मोहन गायब था। पुलिस जांच में जुटती है। शक की सूई सानू की ओर घूमती है जो लापता था। पता चला कि वह केरल से भाग चुका है। वह सबसे पहले कोयंबटूर पहुंचा। वहां से कर्नाटक भाग गया। पुलिस करीब एक महीने तक उसकी तलाश करती रही। आखिरकार 18 अप्रैल 2021 को उसे कर्नाटक के करवार में गिरफ्तार कर किया गया।

पूछताछ में उसने अपनी बेटी की हत्या की जो कहानी बताई वह रोंगटे खड़े कर देने वाली थी। 21 मार्च को वैगा जब सानू मोहन के साथ निकली तो उसे क्या पता था कि उसके पिता के दिमाग में क्या चल रहा है। उसे क्या पता था कि हैवान पिता उसकी जान लेने की प्लानिंग बना रहा है। रास्ते में उसने बेटी को कोकाकोला पीने के लिए दिया लेकिन उसमें वह शराब मिला रखा था। फ्लैट पहुंचते-पहुंचते वैगा नशे के आगोश में चली गई। वहां पहुंचते ही सानू ने वैगा का गला घोंट डाला। हत्या के बाद उसने बेटी के बेजान शरीर को चादर में लपेटा और रात के अंधेरे में उसे ठिकाने लगाने के लिए अपनी कार से निकल गया। उसने अपने और बेटी के फोन को भी नष्ट कर दिया। रात करीब साढ़े 10 बजे के करीब उसने वैगा की लाश को मुट्टार नदी में फेंक दिया।

पुलिस के मुताबिक, सानू ने वैगा की हत्या के बाद फरार होने और नए सिरे से जिंदगी जीने का प्लान बनाया था ताकि वह कर्ज चुकाने से बच जाए। जांचकर्ताओं को भटकाने के लिए उसने खुदकुशी की कोशिश का नाटक तक किया। उसने पुलिस को बताया कि वैगा को मारने के बाद उसने खुद भी जान देने की कोशिश की लेकिन पुलिस जांच में साफ हुआ कि वह झूठी कहानी बना रहा है।

इस सनसनीखेज हत्याकांड ने पूरे केरल को हिला दिया था। पुलिस ने 9 जुलाई 2021 को सानू के खिलाफ कोर्ट में 236 पन्नों की चार्जशीट पेश की। उस पर बेटी का अपहरण करने, हत्या करने, सबूत मिटाने, नशीला पदार्थ देने जैसे आरोप तय किए गए। एर्नाकुलम के स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने सानू के खिलाफ लगे सभी आरोपों को सच पाया। अभियोजन पक्ष ने हैवान पिता को फांसी की सजा देने की मांग की लेकिन कोर्ट ने हत्या के जुर्म में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके अलावा बाकी के आरोपों में उसे अलग-अलग कुल 28 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई जिनमें सबसे लंबी सजा 10 साल की है। जज के सोमन ने अपने आदेश में कहा है कि दोषी पहले 28 साल कैद की सजा भुगतेगा और उसके बाद उम्रकैद की सजा होगी। यानी पहले वह उम्रकैद से इतर सबसे लंबी 10 साल की सजा काटेगा और उसके बाद उम्रकैद की सजा शुरू होगी। कोर्ट ने सानू पर 1,70,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। उसने अदालत से इस आधार पर सजा में नरमी की भीख भी मांगी कि उसकी 70 साल की बूढ़ी मां की देखभाल करने वाला कोई नहीं है लेकिन अदालत ने उसकी ये दलील खारिज कर दी।

सानू की अपने क्षेत्र में एक बड़े कारोबारी की पहचान थी लेकिन वह कर्ज पर कर्ज लेता रहा। करोड़ों रुपये का कर्ज चुकाने से बचने के लिए उसने ऐसा खतरनाक प्लान बनाया कि अपने ही हाथों से फूल सी बेटी को मार डाला। अब उस हैवान पिता की बाकी जिंदगी जेल में बीतने वाली है। अगर पिता ही हैवान बन जाए तो कोई वैगा भला कैसे कहेगी- अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजौ। खैर कोर्ट के फैसले से वैगा की आत्मा को शांति जरूर मिली होगी।