बडी खबरः भजनलाल शर्मा के मंत्री जाएंगे जेल! मामला जानकर चौंक जायेंगे आप

Those three Lok Sabha seats of Rajasthan, where Mission 25 may be in danger!
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जयपुर: राजस्थान की भजनलाल सरकार जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्य करते हुए भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के दावे करती है। सरकार के मंत्री, विधायक और पार्टी के पदाधिकारी पूर्ववर्ती सरकार और विपक्षी पार्टी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते नहीं थकते। अब भजनलाल सरकार के एक मंत्री के पुराने कारनामे उजागर हुए हैं। भजनलाल सरकार में नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा के खिलाफ एसीबी कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोप तय किए हैं। भ्रष्टाचार के 18 साल पुराने में मामले में कोर्ट ने खर्रा को आरोपी माना है और आरोप तय किए हैं। राजनैतिक गलियारों में ऐसी चर्चाएं हैं कि मंत्री झाबर सिंह खर्रा जेल जाएंगे या कोई कानूनी रास्ता ढूंढकर बच जाएंगे।

14.14 लाख रुपए के घोटाले से जुड़ा है मामला
झाबर सिंह खर्रा सीकर जिले की श्रीमाधोपुर पंचायत के प्रधान रहे हैं। प्रधान रहने के दौरान उनके कार्यकाल में पीएचईडी के पाइप खरीद घोटाले में उनके खिलाफ भी कोर्ट में मामला चल रहा था। इस केस में खर्रा के साथ तत्कालीन विकास अधिकारी उम्मेद सिंह राव, जेईएन कृष्ण कुमार गुप्ता, कनिष्ठ लेखाकार नेहरू लाल और बधाला कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक भैरूंराम का नाम भी शामिल है। इन लोंगों पर आरोप है कि तत्कालीन प्रधान झाबर सिंह खर्रा और अन्य आरोपियों ने मिलीभगत करके भैरू राम को टेंडर दिलाया था और काम से ज्यादा भुगतान कर दिया।

बिना अनुभव के ही दे दिया गया टेंडर
एसीबी कोर्ट ने यह माना है कि तत्कालीन प्रधान झाबर सिंह खर्रा ने सह आरोपी कृष्ण कुमार गुप्ता और नेहरूलाल के साथ मिलकर 8 मार्च 2006 को आपराधिक षड्यंत्र के तहत पेयजल आपूर्ति के प्रस्ताव के लिए पंचायत समिति की एक बैठक की। बाद में पाइप खरीद के टेंडर में भाग लेने वाले भैरूराम से आपराधिक षड्यंत्र के तहत मिलीभगत करके अपने लोक सेवक के पद का दुरुपयोग करते हुए टेंडर प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया था। भैरूराम पीवीसी पाइप का अधिकृत ठेकेदार नहीं होने और इस काम का कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद टेंडर जारी कर दिया। यह भी आरोप साबित माना गया कि भैरूराम ने 13 लाख 24 हजार रुपए के पाइप खरीदे और भुगतान 27 लाख 38 हजार रुपए का कर दिया गया।

ट्रायल चलेगा, हाईकोर्ट से राहत की संभावना
एसीबी कोर्ट में आरोप तय होने के बाद अब मंत्री खर्रा सहित सभी आरोपियों पर ट्रायल चलेगा। ट्रायल के दौरान दोनों पक्षों की ओर से दलील पेश की जाएंगी। ट्रायल पूरी होने के बाद एसीबी कोर्ट फैसला सुनाएगी। हालांकि झाबर सिंह खर्रा के पास ऊपरी अदालत का रास्ता खुला है। वे एसीबी कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में जाकर स्टे भी ले सकते हैं। स्टे मिलने पर प्रक्रिया रुक जाएगी।