उत्तराखंड में शिक्षकों का अनिवार्य तबादले के सेवा साल में होगा बदलाव, 10 की जगह 15 वर्ष में होगा ट्रांसफर

There will be a change in the service year of compulsory transfer of teachers in Uttarakhand, transfer will happen in 15 years instead of 10
There will be a change in the service year of compulsory transfer of teachers in Uttarakhand, transfer will happen in 15 years instead of 10
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उत्तराखंड में शिक्षकों के लिए सुगम और दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों में कुल 10 साल की सेवा करने पर अनिवार्य तबादले का मानक 15 साल हो सकता है। शिक्षा विभाग ने सरकार से तबादला कानून में शिक्षकों के लिए मानक को संशोधित करने की गुजारिश की है। इसके साथ ही दो और महत्वपूर्ण संशोधनों की सिफारिश भी की गई है। महानिदेशक, शिक्षा बंशीधर तिवारी ने बताया कि विभाग की ओर से विस्तृत प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है। सरकार से शिक्षा विभाग के लिए तबादला टाइम टेबल को भी कुछ आगे बढ़ाने की मांग की है।

4300 अतिथि शिक्षकों की नौकरियों पर संकट
इस साल तबादलों में रिक्त पदों का केवल 10 प्रतिशत तबादले करने की शर्त नहीं होने से प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में तैनात अतिथि शिक्षक भी संकट में आ गए हैं। स्थायी शिक्षक की तैनाती होने पर अतिथि शिक्षकों को अपने पद से हटना पड़ेगा। वर्तमान में राज्य के विभिन्न माध्यमिक स्कूलों में एलटी और प्रवक्ता कैडर के 4300 पदों पर अतिथि शिक्षक तैनात हैं। महानिदेशक-शिक्षा, बंशीधर तिवारी ने बताया कि यदि किसी स्थान से अतिथि शिक्षक को हटना पड़ा तो उसे निकटवर्ती दूसरे स्कूल में समायोजित किया जाएगा।

हजारों शिक्षक आ रहे तबादले के दायरे में
तबादला ऐक्ट के अनुसार कोई कर्मचारी दुर्गम क्षेत्र में तीन साल से कम अवधि से कार्यरत है। लेकिन, यदि उसकी संपूर्ण दुर्गम की सेवा 10 साल हो चुकी है तो वो सुगम क्षेत्र में अनिवार्य तबादला का पात्र होगा। इसी प्रकार सुगम में 10 साल की सेवा अवधि पूरी कर चुके कार्मिक भी दुर्गम क्षेत्र में अनिवार्य तबादले के पात्र होंगे। सूत्रों के अनुसार 10 साल के मानक की वजह से हजारों शिक्षक अनिवार्य तबादले की श्रेणी में आ गए हैं। इतनी बड़ी तादात में तबादला करना मुमकिन नहीं होगा।

डीजी ने बताया कि कई शिक्षक दुर्गम की लंबी सेवा के बाद भी दुर्गम में ही बने रहना चाहते हैं। इसलिए उन्हें भी अनिवार्य तबादले से बाहर रखने को प्रस्ताव दिया गया है। इससे पर्वतीय क्षेत्र के दुर्गम स्कूलों में शिक्षक की उलब्धता बनी रहेगी। इसी प्रकार एनसीसी वाले शिक्षकों को तबादला एनसीसी वाले स्कूलों में करने की सिफारिश की गई है। डीजी ने बताया कि इससे एनसीसी शिक्षकों का सदुपयोग हो सकेगा।