कर्ज लेकर कंगाल होने का दूसरा नाम है Vadraj Cement, कैसे अर्श से फर्श पर आई कंपनी?

Vadraj Cement is another name for becoming a pauper by taking loan, how did the company come to the bottom?
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ABG Shipyard Group Company: देश के द‍िग्‍गज कारोबारी समूह अडानी ग्रुप, जेएसडब्ल्यू सीमेंट और आर्सेलरमित्तल ग्रुप एक सीमेंट कंपनी को खरीदने की दौड़ में शाम‍िल हैं. मीड‍िया र‍िपोर्ट में दावा क‍िया जा रहा है क‍ि एबीजी शिपयार्ड ग्रुप की कंपनी वदराज सीमेंट को इनसॉल्‍वेंसी और बैंकरप्‍सी कोड के तहत बेचा जाएगा. इस कंपनी पर बैंकों का भारी कर्ज है, ज‍िसके कारण यह ब‍िकने के कगार पर पहुंच गई है. दरअसल, बॉम्‍बे हाई कोर्ट की तरफ से वदराज सीमेंट को अगस्‍त 2018 में कर्ज का भुगतान करने का आदेश दिया था.

कार्यवाही को एनसीएलटी में ट्रांसफर करने की मंजूरी

ब्यूमर टेक्नोलॉजी इंडिया के बकाये का भुगतान करने के ल‍िए बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने यह आदेश द‍िया था. इसके अलावा भी कंपनी पर बैंकों का भारी कर्ज था. सूत्रों के अनुसार अदालत कंपनी के एसेट बेचने की प्रक्र‍िया से काफी न‍िराश हुई. इसके बाद अदालत ने सीमेंट कंपनी की लोन समाधान प्रक्रिया को आईबीसी में ट्रांसफर करने की अनुमत‍ि दी. हाई कोर्ट की तरफ से स‍ितंबर महीने के पहले हफ्ते में द‍िये गए आदेश में समापन कार्यवाही को एनसीएलटी में ट्रांसफर करने की मंजूरी दी गई है.

कंपनी पर करीब 7000 करोड़ रुपये का कर्ज
कंपनी पर इस समय करीब 7000 करोड़ रुपये का कर्ज है. कंपनी को कर्ज देने वाले बैंकों में पब्‍ल‍िक सेक्‍टर के कई द‍िग्‍गज बैंक भी शाम‍िल हैं. इनमें पंजाब नेशनल बैंक (PNB), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India), इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India), बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda), यूको बैंक (UCO Bank) और यस बैंक (Yes Bank) हैं.

अर्श से फर्श तक की कहानी
वदराज सीमेंट ल‍िमिटेड का पहले नाम एबीजी सीमेंट ल‍िम‍िटेड था. यह एक बड़ा कारोबारी ग्रुप है, ज‍िसका हेड ऑफ‍ि मुंबई में है. इसका कारोबार देश के अलग-अलग ह‍िस्‍सों में है. इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर इंडस्‍ट्री में शाम‍िल इस ग्रुप का सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ रुपये से ज्‍यादा का है. वदराज सीमेंट ल‍िमिटेड एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड ग्रुप की कंपनी है. यह ग्रुप अलग-अलग प्रकार के बड़े आकार वाले जहाज के डिजाइन और मैन्‍युफैक्‍चर‍िंग कारोबार में शाम‍िल है. एक समय यह देश की बड़ी जहाज न‍िर्माता कंपनी थी. अप्रैल 2016 में कंपनी की तरफ से बाजार की खराब स्थितियों का हवाला देते हुए कटनी के सीमेंट प्रोजेक्‍ट को बंद कर द‍िया था.

एबीजी शिपयार्ड के ख‍िलाफ भी एफआईआर
दूसरी तरफ से एबीजी शिपयार्ड के ख‍िलाफ भी 28 बैंकों से 22,800 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी का मामला दर्ज है. 28 बैंकों से ल‍िये गए लोन को कंपनी की तरफ से चुकाया नहीं गया. लोन से ली गई मोटी रकम का कंपनी की तरफ से अलग-अलग कामों में खर्च क‍िया गया. एसबीआई की तरफ से इस मामले में पहली शिकायत 8 नवंबर 2019 को की गई थी. सीबीआई की तरफ से 7 फरवरी 2022 में मामला दर्ज क‍िया गया. यह उस समय तक देश का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड बताया गया था. एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड (एबीजीएसएल) को 15 मार्च 1985 को अहमदाबाद में रज‍िस्‍टर्ड ऑफ‍िस के साथ शुरू क‍िया गया था. एबीजी ग्रुप की यह प्रमुख कंपनी जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत के कारोबार में शा‍म‍िल है.

व‍िवादों से पुराना नाता
एबीजी सीमेंट साल 2022 में भी सुर्ख‍ियों में आई थी. उस समय बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष कोर्ट की तरफ से नियुक्त अधिकारी ने ईडी को एबीजी सीमेंट के सूरत स्थित सीमेंट संयंत्र को बेचने की अनुमति देने के ल‍िए कहा था. इस प्लांट को एजेंसी ने जनवरी 2021 में अटैच किया था. फाइलिंग के समय एजेंसी की तरफ से कहा गया क‍ि उसे एक खरीदार मिला है जो प्लांट के लिए 450 करोड़ देने के ल‍िए तैयार है. लेकिन ईडी ने बिक्री पर आपत्ति जताई क्योंकि कुर्क की गई संपत्ति का मूल्य 952 करोड़ रुपये था. करीब एक महीने बाद ही जनवरी 2021 में एजेंसी ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि उसे 3,000 करोड़ में उसी प्रॉपर्टी के ल‍िए एक और खरीदार मिला है.