मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले मतदान : चुनाव लड़ें या नहीं-बीजेपी विधायक ने कराया जनमत संग्रह, जाने परिणाम

Voting before elections in Madhya Pradesh: To contest or not – BJP MLA conducts plebiscite, know results
Voting before elections in Madhya Pradesh: To contest or not – BJP MLA conducts plebiscite, know results
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भोपाल: मध्य प्रदेश सच में अजब है. यहां किस्से भी गजब होते हैं. यहां विधानसभा चुनाव होना हैं. तारीख का ऐलान अभी नहीं हुआ. लेकिन बीजेपी के एक नेताजी ने अपने इलाके में मतदान करा लिया. दरअसल ये जनमत संग्रह था वो भी इसलिए कि वो चुनाव लड़ें या नहीं. अगर जनता ने उन्हें ठुकरा दिया तो वो चुनाव नहीं लड़ेंगे. लेकिन जनता ने तो फैसला दे दिया कि नेता तुम्ही हो कल के. जनमत संग्रह नेताजी के पक्ष में आया. यानि अब विधायक महोदय चुनाव लड़ेंगे. ये अलग बात है कि टिकट का फैसला पार्टी करेगी.

मध्य प्रदेश में नवंबर में विधानसभा चुनाव हैं. लेकिन बीजेपी के एक पूर्व मंत्री चुनाव से पहले ही अपने इलाके में जनमत संग्रह यानि मतदान करा लिया. मध्यप्रदेश के कटनी जिले के विजयराघौगढ़ से बीजेपी विधायक संजय पाठक ने ऐलान किया था कि अगर उनके इलाक़े की 50 प्रतिशत से ज्यादा जनता उन्हें वोट करेगी तो ही वो चुनाव लड़ेंगे. ऐसा देश में पहली बार हो रहा है कि कोई नेता अपने चुनाव लड़ने का फैसला जनता के फैसले के आधार पर करे.

4 दिन चला जनमत संग्रह
संजय पाठक वही हैं जो पहले कांग्रेस में हुआ करते थे. इनके पिता भी पुराने खाटी कांग्रेसी थे. लेकिन संजय दल बदल कर बीजेपी में आ गए. संजय पाठक विजयराघवगढ़ से बीजेपी विधायक हैं. उन्होंने 21 से 24 अगस्त तक चार दिन जनादेश की वोटिंग कराई. इसमें एक लाख चालीस हज़ार लोगों ने अपने वोट डाले. आज सुबह से वोटों की गिनती शुरू हुई. पाठक का वादा था कि 50 फ़ीसदी से एक भी वोट कम हुआ तो मैं अगला चुनाव नहीं लड़ूंगा.

75 फीसदी मिले मत
और जनता ने विधायक संजय पाठक को जिता दिया. 75 फीसदी लोगों ने उनके पक्ष में वोट दिए. विजयराघवगढ़ के जनादेश की गणना पूरी हुई. यहां पांच राउंड में मतों की गिनती पूरी की गयी. संजय पाठक को जनमत संग्रह में 75 प्रतिशत से अधिक मत मिले. जनादेश मिलने के बाद अब चुनाव मैदान में उतरेंगे संजय पाठक. इस जनमत संग्रह में कुल 1,37,055 वोट पड़े. इसमें से संजय पाठक के पक्ष में 1,03,203 और विपक्ष में 30,082 वोट पड़े. कुल 3770 वो निरस्त हो गए.

क्या कहते हैं संजय पाठक
इस बारे में संजय पाठक का कहना है. मेरा भी मानना है कि राजनैतिक जीवन में बतौर विधायक हमें भी अपना मूल्यांकन करना चाहिये. हमको जनता पर खुद को थोपना नहीं चाहिए. जनता हमें चाह रही है कि नहीं. पार्टी से हम आग्रह करें कि हमें ही प्रत्याशी बनाओ. जनता पर छोड़ना चाहिये कि आप मुझे पसंद करते हैं कि नहीं.

बीजेपी की राय
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वी डी शर्मा ने कहा कोई जनप्रतिनिधि लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह के प्रयोग करता है कि जनता का समर्थन मिलने के बाद ही तय करूँगा कि चुनाव लड़ूँगा या नहीं. ये तो अच्छी बात है. ये विशेष प्रयास है. पार्टी अपने जनप्रतिनिधि जो चुनाव लड़ते हैं या जीते हैं उन पर पार्टी भी अपनी तैयारी करती है. ये स्वयं का अवलोकन है कि जनता में मेरी लोकप्रियता है कि नहीं.