- हरियाणा में 25 मई को वोट डालने के बाद अपलोड करें सेल्फी, मिलेगा 10 हजार रूपए ईनाम - May 19, 2024
- CM योगी के हरियाणा दौरे से पहले भगवामय हुआ सिरसा, 200 से ज्यादा बुलडोजरों से निकली परेड - May 19, 2024
- हिमाचल में निर्दलीय बिगाड़ेंगे बीजेपी-कांग्रेस का खेल, इन तीन सीटों पर मुकाबला दिलचस्प - May 19, 2024
अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बच्चे, यानी AI बेबी, पैदा होंगे. इस तकनीक के माध्यम से भ्रूण के विकास के दौरान कई जानकारियां प्राप्त की जा सकेंगी, जैसे कि भ्रूण की सफलता दर और आनुवंशिक रोगों का संचार होने की संभावना. इसके अलावा, यह ऐसी जानकारी भी प्रदान कर सकेगा जिसे मानवीय दृष्टि से नहीं देखा जा सकता है. अब अमेरिका में इस तकनीक का उपयोग करके AI बेबी पैदा किए जा सकेंगे, और इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है.
AI बेबी क्या होता है?
डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, इस तकनीक का उपयोग आईवीएफ प्रक्रिया में किया जाएगा. आईवीएफ एक प्रकार का फर्टिलिटी उपचार है जो उन लोगों के लिए उपयोगी होता है जो स्वयं बच्चा पैदा करने में असमर्थ होते हैं. इस प्रक्रिया के माध्यम से बांझपन का इलाज किया जाता है, जिसमें भ्रूण को विकसित करके महिला के गर्भ में स्थापित किया जाता है. अब इसी भ्रूण की जांच एक AI सॉफ्टवेयर से की जाएगी, जो उसके बारे में कई जानकारियां प्रदान करेगा. इस प्रकार जन्म लेने वाले बच्चों को “AI बेबी” कहा जाएगा.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कितना प्रभाव हो सकता है?
रिपोर्ट के अनुसार, आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से उसकी सफलता दर में सुधार हो सकता है. दावा किया जाता है कि AI एल्गोरिदम का उपयोग करके आईवीएफ की सफलता दर को 30% तक बढ़ाया जा सकता है. वर्तमान में गर्भावस्था के मामलों में यह तकनीक यूरोप, एशिया और दक्षिण अमेरिका में प्रयोग की जा रही है. अब अमेरिका में इसकी व्यापक शुरुआत हो सकती है.
नई तकनीक के पीछे की वजह क्या है, इसे अब समझते हैं
वास्तव में, आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान भ्रूण का चयन करना सबसे महत्वपूर्ण कदम होता है. अब तक इस कार्य को डॉक्टर करते आए हैं, लेकिन अब AI के माध्यम से इसका मूल्यांकन किया जा सकेगा.
आनुवंशिक रोगों की हो सकेगी रोकथाम
माइक्रोस्कोप के माध्यम से देखने पर सभी भ्रूण एक समान लगते हैं, इसलिए कौन सा भ्रूण बेहतर होगा यह निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है. इस प्रकार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञों की सहायता उपयोगी साबित होगी. इस तकनीक की परीक्षण के दौरान इसमें सफलता प्राप्त हुई है. दावा किया जाता है कि यह अनुवांशिक रोगों का खतरा कम कर सकती है, अर्थात् जन्मजात या भविष्य में होने वाली अनुचित बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है.