पीएफ इक्विटी निवेश में जोखिम की आशंकाओं को कैसे दूर करें, इस विषय पर क्या कहते हैं बाजार विशेषज्ञ

What market experts say on how to overcome risk apprehensions in PF equity investment
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नई दिल्‍ली। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में इक्विटी निवेश को शामिल करने की बहस सिरे से खारिज हो गई है। कुछ दिन पहले ईपीएफओ निवेश डेटा संसद में रखा गया। इसके मुताबिक इक्विटी में कुल निवेश 1.59 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2.27 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसमें लाभ की रकम 67,619 करोड़ रुपये है। ये सुनने में अच्छा लगता है। पर ये आंकड़ा इस पूरे निवेश के लाभ का असल रेट नहीं बताता, और यही बात हमारे जानने की है।

क्‍या अतिरिक्त फायदा खतरों की तुलना में सही है
बहस का विषय यह है कि क्या इक्विटी निवेश से मिलने वाला अतिरिक्त फायदा इसके खतरों की तुलना में सही है या नहीं? निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए आपको दोनों हिस्सों से मिलने वाले वार्षिक लाभ का रेट चाहिए। फिक्स्ड इनकम के हिस्से का रिटर्न-रेट पता करना आसान है- ये 6.5 और 7.5 प्रतिशत के बीच होना चाहिए। इक्विटी के मामले में मुश्किल इसलिए होती है, क्योंकि इसके डेटा का विस्तृत विवरण आम लोगों के लिए जारी नहीं किया जाता।

खरा नहीं उतरते ये अनुमान
इसका पता करने के लिए मैंने तर्क के आधार पर अंदाजा लगाया और इक्विटी के हिस्से का मोटा-मोटा हिसाब बनाया। वर्ष 2015-2019 में 39,662 करोड़ रुपये, 2019-20 में 31,501 करोड़ रुपये, 2020-21 में 32,070 करोड़ रुपये, 2021-22 में 43,568 करोड़ रुपये और 2022-23 के पहले तीन महीनों में 12,199 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। मान लेते हैं कि इनमें से हर एक अवधि में निवेश, एसआइपी स्टाइल में, हर महीने एक जैसा किया गया होगा। हालांकि, बाद की चार अवधियों के लिए शायद ये आंकड़ा काफी सटीक बैठे। मगर 2015-19 में मासिक निवेश शायद एक बराबर न रहकर बढ़ता गया।

लाभ का सालाना रेट 13.6 प्रतिशत
इन अनुमानों के आधार पर, मैंने एक स्प्रेड-शीट बनाई है जिसका XIRR फंक्शन दिखाता है कि लाभ का सालाना रेट 13.6 प्रतिशत रहा। ये कतई बुरा नहीं है। खासतौर पर फिक्स्ड इनकम वाले हिस्से के कमजोर रिटर्न के मुकाबले। जैसा कि मैंने पहले कहा कि लाभ की असल दर कुछ ज्यादा ही रही होगी। 2015-19 के लिए थोड़ा अलग तरीका अपनाएं (जो असल में हुआ), तो बढ़ते हुए मासिक निवेश की गणना करने पर लाभ का नतीजा एक प्रतिशत ज्यादा ही निकलेगा, जो इस बहस में मेरी बात और साबित ही करता है।

ऐसे मिलेगा सही जवाब
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को इस आंकड़े की गणना करनी चाहिए और समय-समय पर जारी करते रहना चाहिए। इससे इक्विटी के जोखिम को लेकर जताई जा रही चिंताओं का सही जवाब मिलेगा। पूरे लाभ का आंकड़ा जारी करने से बात नहीं बनेगी। अगर मार्केट तेजी से गिरता है तो पूरा लाभ घट जाएगा। हालांकि, अब से सालाना लाभ का रेट बेहतर ही रहेगा और ईपीएफओ के लाभ में फिक्स्ड इनकम के हिस्से से कहीं ऊपर होगा। इसका सबसे तर्कसंगत नतीजा ये निकाला जा सकता है कि ईपीएफ में इक्विटी का प्रतिशत ज्यादा होना चाहिए।

असल रिस्क इक्विटी के बजाए फिक्स्ड इनकम में
डेटा दिखाता है कि असल रिस्क इक्विटी के बजाए फिक्स्ड इनकम में है। फिक्स्ड इनकम का हिस्सा शायद ही कभी महंगाई के साथ-साथ चल पा रहा है। फिक्स्ड इनकम की आपकी रिटायरमेंट बचत की असल (मंहगाई से एडजस्ट की गई) ग्रोथ बुनियादी तौर पर शून्य है। ये रिटायर होने वालों को असल रिस्क से रूबरू कराता है।

इक्विटी का अनुपात बढ़ाना ही सही
ईपीएफ निवेश दशकों से किए जा रहे हैं। इस लंबे समय के दौरान इक्विटी के रिस्क और रिवार्ड का संतुलन साफ तौर पर इक्विटी के पक्ष में है और फिक्स्ड इनकम के लिए बड़े रूप से नकारात्मक है। अगर आप सिर्फ डेटा देखें तो इक्विटी का अनुपात बढ़ाना कर्मचारियों की भलाई का सबसे अच्छा तरीका होगा। जितना जल्दी भारतीय बचतकर्ता और रिटायरमेंट की बचत मैनेज करने वाले लोग इसे समझ जाते हैं और इसकी ख़ूबियों को स्वीकार कर लेते हैं, उतना ही ये सबके लिए बेहतर होगा।