हरियाणा में क्यों बदले जजपा के सुर, क्या चुनाव में काम आएगी ये रणनीति? भाजपा ने भी चला नया दांव

Why did JJP change its tune in Haryana, will this strategy work in the elections? BJP also played a new trick
Why did JJP change its tune in Haryana, will this strategy work in the elections? BJP also played a new trick
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चंडीगढ़ l राजनीति में न दुश्मनी और दोस्ती स्थायी नहीं होती है। खासतौर से तब, जब दोनों दोस्तों या दुश्मनों का लक्ष्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज होना हो। हरियाणा में साढ़े चार साल तक भाजपा के साथ सरकार में शामिल रही जननायक जनता पार्टी (जजपा) के सुर फिलहाल पूरी तरह से बदले हुए हैं।

भाजपा को कोसना किया शुरू
राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़कर अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने की जिद्दोजहद में जुटी जजपा को लग रहा है कि भाजपा पर हमलावर होने के बाद उसे उसका खोया हुआ जन विश्वास वापस मिल सकता है। इसलिए जजपा नेताओं ने लोकसभा चुनाव में न केवल भाजपा को कोसना शुरू कर दिया है, बल्कि विभिन्न मुद्दों पर चुप रहने वाले जजपा नेता अब सफाई देने की मुद्रा में आ चुके हैं।

भाजपा की कार्यप्रणाली पर जजपा नेता उठाने लगे सवाल
जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला हों या फिर पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला, सभी नेता एक सुर में भाजपा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उसके 400 पार नारे की हवा निकालने के अभियान में जुट गए हैं। यह स्थिति तब है, जब जजपा नेता भाजपा के साथ सत्ता में रहते हुए न केवल दोनों दलों के अटूट गठबंधन का दावा करते थे, बल्कि उसके 400 पार सीटों के नारे से भी सहमत थे।

विधानसभा की भूमिका बनाने में जुटी जजपा
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा व जजपा में सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बनी तो दोनों दलों की राहें जुदा हो गई। जजपा को चूंकि इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में लोगों के बीच जाना है, इसलिए उसने अभी से उसकी भूमिका बनानी चालू कर दी है।

क्या ये है जजपा का लक्ष्य?
जजपा ने हालांकि पांच लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं और बाकी पांच सीटों पर भी प्रत्याशी जल्दी घोषित करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन उसका लक्ष्य लोकसभा चुनाव की पिच पर विधानसभा चुनाव की तैयारी करने का अधिक है।

अगर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ती जजपा तो…
अगर जजपा लोकसभा चुनाव नहीं लड़ती तो उसके प्रति यह संदेश जाता कि भाजपा की खुली मदद करने के लिए वह चुनाव से कन्नी काट चुकी है, जिसका उसे विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ता। ऐसे में लोकसभा चुनाव के नतीजे भले ही कुछ भी रहे, लेकिन मत प्रतिशत के हिसाब से जिन सीटों पर जजपा को बढ़त मिलती दिखाई देगी, उन पर वह विधानसभा में अच्छी तरह से फोकस करती नजर आएगी।

भाजपा भी जजपा को अब गंभीरता से नहीं ले रही
भाजपा भी जजपा को अब गंभीरता से नहीं ले रही है। जजपा नेताओं ने पिछले दिनों जनता में यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि वह सत्ता में रहते हुए किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे थे और भाजपा उनकी बात नहीं मान रही थी, लेकिन कोई यह नहीं बता रहा कि जब उनकी बात नहीं मानी जा रही थी तो वह सत्ता से क्यों चिपके रहे?

जजपा को पश्चताप कर लेना चाहिए
जजपा नेता अनाज मंडियों में अव्यवस्थाओं की बात कर रहे हैं तो साथ ही शराब की तस्करी का मुद्दा भी उठा रहे हैं। इसके जवाब में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जजपा को खरा जवाब दिया है। कहा कि यदि जजपा को लगता है कि उसने भाजपा के साथ सरकार में शामिल होने की गलती की है तो उसे पश्चाताप कर लेना चाहिए।