फिर होगी बिहार में BJP-JDU की दोस्ती? CM नीतीश को लेकर बदले अमित शाह के तेवर

Will there be BJP-JDU friendship again in Bihar? Amit Shah's attitude changed regarding CM Nitish
Will there be BJP-JDU friendship again in Bihar? Amit Shah's attitude changed regarding CM Nitish
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नई दिल्ली। Amit Shah and Nitish Kumar: राजनीति में न तो दोस्त स्थाई होते हैं और न तो दुश्मन। बिहार में आने वाले समय में बीजेपी-जेडीयू की पुरानी दोस्ती देखने को मिल सकती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाल के बयान ने इन अटकलों को हवा दे दी है। बिहार के झंझारपुर में हुई रैली के दौरान अमित शाह ने साफ-साफ कहा था कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं, लेकिन अब उन्होंने ही कहा है कि अगर प्रस्ताव आता है तो विचार होगा।

राजस्थान पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में अमति शाह से पूछ गया- पुराने साथी जो छोड़कर गए थे नीतीश कुमार आदि, ये आना चाहेंगे तो क्या उनके लिए रास्ते खुले हैं? इस सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा- जो और तो से राजनीति में बात नहीं होती। किसी का प्रस्ताव होगा तो विचार किया जाएगा।

मांझी बोले- नहीं करेंगे विरोध
इस सबके बीच हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) संस्थापक और एनडीए के सहयोगी जीतन राम मांझी ने कहा है कि अगर नीतीश कुमार एनडीए में वापसी करते हैं तो वह इसका विरोध नहीं करेंगे। हालांकि, उन्होंने तंज भी कसा है। मांझी ने कहा, ”वैसे भी लालू यादव तो नीतीश कुमार को पलटूराम का टाइटल दे चुके हैं। जब एक बार पलट कर अपना चरित्र समाज को दिखा चुके हैं तो दूसरी बार, तीसरी बार और चौथी बार पलटने में क्या दिक्कत है।”

बीजेपी-जेडीयू के गठबंधन को लेकर अटकलों का बाजार तब गर्म हुआ जब हाल ही में नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली। इसके बाद उन्होंने इंडिया गठबंधन में संयोजक पद का ऑफर भी ठुकरा दिया। पटना के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि आरजेडी से नजदीकी के कारण नीतीश कुमार ने ललन सिंह से उनका पद छीन लिया और खुद जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

बेपटरी हो रही आरजेडी-जेडीयू की दोस्ती?
नीतीश कुमार के करीबी मंत्रियों और उनके पार्टी के नेताओं के द्वारा लगातार कहा जा रहा है कि सीट शेयरिंग को अब तक अंतिम रूप दे दिया जाना चाहिए था। उनका मानना है कि इसको लेकर आब देरी हो रही है जो कि ठीक नहीं है। इसके ठीक विपरीत लालू यादव से जब पूछा गया कि सीट शेयरिंग में देरी क्यों हो रही है? तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सीट शेयरिंग इतनी जल्दी नहीं होती है। साथ ही उनसे जब नीतीश कुमार की नाराजगी की बात पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसे टाल दिया।