केजरीवाल का अग्निपथ तो अब शुरू हुआ है… मुंह बाए सामने खड़ी हैं ये मुश्किलें

Kejriwal's path of fire has now begun...these difficulties are standing in front of us
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Challenges Of Aam Aadmi Party: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुसीबत काफी बढ़ गई है. दिल्ली शराब घोटाला मामले में ईडी रिमांड खत्म होने के बाद अरविंद केजरीवाल को पीएमएलए कोर्ट ने 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. तिहाड़ जेल में बंद केजरीवाल के सामने अब मुश्किलें मुंह बाए खड़ी हो गई हैं.

अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए और कई मुश्किलें

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी के लिए अभी और कई बड़ी मुश्किलें सामने आने वाली हैं. दिल्ली शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी का कहना है कि केजरीवाल जानबूझकर सहयोग नहीं कर रहे हैं. इसकी गंभीरता को देखते हुए केजरीवाल को जमानत मिलने में मुश्किल हो सकती है. इस मामले में पहले से जेल में बंद केजरीवाल की पार्टी के नेताओं को अभी तक रेगुलर बेल नहीं मिल पाई है.

मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी से पार्टी और परिवार आमने-सामने

अरविंद केजरीवाल को ईडी की हिरासत में जाने के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में सामने आए कैबिनेट मंत्री आतिशी मारलेना और सौरभ भारद्वाज पर भी शराब घोटाले में जांच की आंच पहुंचने की आशंकाएं हैं. इसलिए दोनों मंत्रियों को पीछे छोड़कर अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को मंच और माइक संभालने के लिए आगे आना पड़ा है. अरविंद केजरीवाल की कैद लंबी खींची और इस्तीफा देना पड़ा तो सुनीता उनकी जगह ले सकती हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 में अरविंद केजरीवाल की गैर-मौजूदगी

दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव 2024 की जारी प्रक्रियाओं के बीच जिस तरह की तस्वीर बन रही है उससे यही लगता है कि अरविंद केजरीवाल की गैर-मौजूदगी के चलते आम आदमी पार्टी गंभीर राजनीतिक संकट में पड़ सकती है. क्योंकि केजरीवाल की पैरवी करने वाले धाकड़ वकीलों की टीम भी अब तक उन्हें जमानत नहीं दिला पाई है. इसके अलावा केजरीवाल की पार्टी और विपक्षी दलों का इंडी गठबंधन भी उनके लिए आम लोगों की पर्याप्त हमदर्दी नहीं जुटा पाई है.

तिहाड़ जेल से सरकार चलाने की जिद से जन समर्थन का नुकसान

तिहाड़ जेल से दिल्ली की सरकार चलाने की जिद पर अड़ने की वजह से भी अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. इसका पहला नुकसान जन सहानुभूति खोने के रूप में हुआ है. आंदोलन से पैदा सियासी पार्टी के प्रोटेस्ट में पहली बार अपेक्षा के मुताबिक लोग सड़क पर नहीं उतरे. पहले आजमाए जा चुके तौर तरीके की तरह जमानत की कोशिश नहीं करने पर शायद केजरीवाल को जनता की सहानुभूति और साथ ज्यादा मिल सकता था.

जल्दी जमानत नहीं मिली तो मजबूर होकर देना ही पड़ेगा इस्तीफा

अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का दावा है कि उन्होंने जेल से सरकार चलाने का फैसला भी लोगों से पूछ कर लिया है. वैसे ही जैसे पहले की तमाम राजनीतिक गतिविधियों में भी केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की ओर से सर्वे का हवाला दिए जाने का रिवाज रहा है. हालांकि, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जयललिता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ए आर अंतुले के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक केजरीवाल को जल्दी जमानत नहीं मिली तो उन्हें मजबूर होकर इस्तीफा देना ही पड़ेगा.

तिहाड़ जेल में केजरीवाल की सियासी गतिविधियों पर लगाम

ईडी हिरासत में केजरीवाल को बाहर के लोगों से मिलने का थोड़ा-बहुत वक्त भी अब मुमकिन नहीं होगा. जैल मैनुअल के हिसाब से वह अंदर कोई मिटिंग नहीं कर सकते. नियमों के मुताबिक मुलाकातियों की संख्या और समय भी तय होगा. गोपनीय बात भी काफी मुश्किल या लगभग असंभव हो जाएगी. अब वह जेल से सिर्फ लोगों को संदेश दे सकेंगे, ईडी हिरासत की तरह सरकारी आदेश जारी नहीं कर पाएंगे. वह जेल से राजनीतिक गतिविधियों को आगे नहीं बढ़ा पाएंगे.

सीबीआई भी अरविंद केजरीवाल की हिरासत मांग सकती है

दूसरी ओर, ईडी की जांच पूरी होने के बाद सीबीआई भी अरविंद केजरीवाल की हिरासत मांग सकती है. क्योंकि दिल्ली शराब घोटाले मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी का आधार भी सीबीआई जांच से मजबूत हुआ है. आबकारी घोटाले का मामला सीबीआई ने ही दर्ज किया था. इसकी एफआईआर के आधार पर ही ईडी आगे बढ़ी है. सीबीआई इससे पहले भ्रष्टाचार के मामले में अरविंद केजरीवाल से घंटों की पूछताछ भई कर चुकी है. केजरीवाल के पास थोड़े समय के लिए रहे जल संसाधन विभाग के एक मामले में भी सीबीआई उनसे पूछताछ कर सकती है.

कई नेताओं की मुश्किलें बढ़ने से आम आदमी पार्टी पर असर

सूत्रों के मुताबिक, ईडी की पूछताछ में कारोबारी विजय नायर और गोवा की प्रभारी रही आतिशी और सौरभ का नाम भी सामने आ चुका है. सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह वगैरह पहले से जेल में हैं. राघव चड्ढा लंदन तो स्वाति मालिवाल अमेरिका में हैं. कैलाश गहलोत से भी ईडी की टीम पूछताछ कर चुकी है. रिपोर्ट के मुताबिक कैलाश गहलोत ने माना है कि उनको अलॉट सरकारी कोठी में विजय नायर रह रहा था.

नई बनी पार्टी में नेताओं की कोई दूसरी पंक्ति तैयार नहीं है. इस बीच आप का इकलौता सांसद भाजपा में शामिल हो गया. कई विधायकों ने भी अपने सियासी ठिकाने देखने तेज कर दिए. लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार अभियान पर केजरीवाल की गैर-मौजूदगी का असर साफ दिख रहा है. पंजाब में भगवंत मान अकेले मोर्चा संभाल कर नए क्षत्रप बन रहे हैं. सुनीता केजरीवाल अभी तक कोई सांगठनिक फैसले लेते नहीं दिखी है.