मुफ्त की 5 गारंटियों में हर साल खर्च होंगे 62 हज़ार करोड़! बाकी कार्यों के लिए पैसा कहाँ से लाएगी सिद्धारमैया सरकार?

62 thousand crores will be spent every year in 5 free guarantees! From where will the Siddaramaiah government get the money for the rest of the works?
62 thousand crores will be spent every year in 5 free guarantees! From where will the Siddaramaiah government get the money for the rest of the works?
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बैंगलोर: कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतर्त्व वाली कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही सूबे में मुफ्त की कई गारंटियों पर अमल शुरू हो चुका है। सिद्धारमैया ने मंत्रिमंडल की पहली मीटिंग में चुनावी वक़्त में किए गए 5 वादों पर मुहर लगा दी है। जिसमें सभी घरों को 200 यूनिट फ्री बिजली के साथ प्रत्येक परिवार की महिला मुखिया को प्रति माह 2000 रुपए की आर्थिक मदद भी मुहैया कराई जाएगी। इन योजनाओं को राज्य सरकार ने मंजूरी तो दे दी है, लेकिन अब बड़ा सवाल यह उठता है कि कर्नाटक की नई सरकार इसके लिए पैसे कहां से लाएगी?

दरअसल, सिद्धारमैया सरकार को अपने वादों को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष लगभग 62000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान जताया गया है। जो राज्य के बजट लगभग 20 फीसदी है। इसका सीधा अर्थ यह है कि मुफ्त की केवल 5 गारंटियों पर कर्नाटक के बजट का 20 फीसद हिस्सा खर्च हो जाएगा। क्या इन 5 गारंटियों के अलावा कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य नहीं बचेगा, जिनके लिए बजट की आवश्यकता होगी ? शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और अन्य विकास कार्यों के लिए पैसा कहाँ से आएगा ? आर्थिक जानकारों का कहना है कि मुफ्त की गारंटियां से सरकारी खजाने पर भार पड़ेगा जो कि कोरोना महामारी के समय से पहले से ही घाटे में है। इस भारी-भरकम खर्च से राज्य की आर्थिक स्थिति और अधिक कमज़ोर होगी।

बता दें कि, कर्नाटक के 2022-23 के राज्य के बजट में कुल 14,699 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा दर्शाया गया था। अब, 2023-24 के लिए यह घाटा लगभग 60,581 करोड़ रुपए होने की आशंका जताई गई है, यानी घाटा 4 बढ़ जाएगा। ऐसे में आर्थिक विशेषज्ञों की मानें तो फ्री की गारंटियों से पूंजीगत व्यय के लिए होने वाली धन की कमी बुनियादी विकास को प्रभावित करेगी। सिद्धारमैया सरकार के समक्ष यह बड़ी चुनौती इसलिए भी है, क्योंकि इस समय कर्नाटक पर लगभग 3 लाख करोड़ रुपए का कर्ज भी है।

वहीं, यदि कर्नाटक की आर्थिक स्थिति पर नजर डाली जाए, तो राज्य की कुल आय लगभग 2 लाख 26 हजार करोड़ रुपए के लगभग है, जबकि कुल खर्च 2 लाख 87 हजार करोड़ है। इसका अर्थ यह हुआ कि इन योजनाओं पर अमल के बाद कर्नाटक का घाटा बढ़कर 1 लाख 15-17 हजार करोड़ के करीब पहुंच जाएगा। बता दें कि, कर्नाटक सरकार द्वारा 200 यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा पर सालाना 14 हजार 430 करोड़ का खर्च आने का अनुमान है। वहीं, युवाओं को दिए जाने वाले बेरोजगारी भत्ते पर सालाना 3 हजार करोड़ खर्च होंगे। महिलाओं को भत्ता देने पर हर साल कुल 30 हजार 720 करोड़ का खर्च आएगा। गरीबों को फ्री अनाज पर 5 हजार करोड़ रुपए लगेंगे। वहीं, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा का अनुमान लगाना थोड़ा कठिन है, क्योंकि इसके लिए यात्रा करने वाली महिलाओं की संख्या, किराए की कीमत और यात्राओं की संख्या का आंकलन करना होगा, इसके साथ ही राज्य सरकार कितने मछुआरों को प्रति वर्ष 500 लीटर डीजल देती है, और उसपर कितना खर्च होता है, ये भी जल्द सामने आ जाएगा।