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भोपाल: प्रदेश में नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश का पालन शुरू हो गया है। राजधानी भोपाल में भी इसके लिए नियम जारी किए गए हैं। मंदिर, मस्जिद सहित सभी धार्मिक स्थलों में सिर्फ एक लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति होगी। जहां ज्यादा लगे हैं, उन्हें उतारना होगा। लाउडस्पीकर की आवाज भी कम की जाएगी। धार्मिक यात्राओं, जुलूस या अन्य कार्यक्रमों में भी ध्वनि की सीमा मानना अनिवार्य होगा।
इसकी निगरानी उड़न दस्ते द्वारा की जाएगी। आदेश जारी होने के दूसरे ही दिन गुरुवार को कलेक्टर आशीष सिंह और पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने धर्मगुरुओं के साथ बैठक की। बैठक में सभी को बताया गया है कि लाउडस्पीकर और डीजे की ध्वनि की सीमा नए दिशा निर्देशों के अनुसार की जाएगी। 7 दिनों के अंदर सभी जगह व्यवस्थाएं ठीक कर लें, आठवें दिन कहीं नियम तोड़ा गया तो साउंड सिस्टम की जब्ती की कारवाई करके जुर्माना वसूला जाएगा और एफआईआर भी होगी।
राजधानी के आवासीय इलाकों में दिन में 50 और रात में 45 डेसिबल से अधिक ध्वनि नहीं बजाई जा सकेगी। साइलेंट जोन जैसे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और वीवीआईपी इलाकों में 50 और रात में 40 डेसिबल ध्वनि सीमा तय की गई है। कमर्शियल इलाकों में दिन में 65 रात में 55 डेसिबल तय गई है। जबकि और औद्योगिक क्षेत्रों में दिन में 75 और रात में 70 डेसिबल तय की गई है।
अगर डीजे बजाना हो तो सक्षम अधिकारी से अनुमति लेकर ही अधिकतम दो डीजे ही मानक आवाज में बजाए जा सकेंगे। वहीं, मांस बिक्री को लेकर भी जिला प्रशासन ने नियम तय कर दिया है। अब किसी भी धर्म स्थल के मेन गेट से 100 मीटर के दायरे में मांस मछली नहीं बेचा जा सकेगा, न ही उसका प्रदर्शन किया जा सकेगा। गुरुवार से ही नगर निगम ने जांच अभियान चलाना शुरू कर दिया। नगर निगम ने 17 लोगों ₹10,700 जुर्माना भी वसूला।
कैसे तय करें ध्वनि की सीमा
आपको बता दें कि ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 के तहत अधिकतम ध्वनि सीमा के मानक तय किए गए हैं। अब इसी को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने नई नियम जारी किए है। अगर कोई नागरिक अपनी आसपास होने वाली आवाज की तीव्रता को जांच करना चाहता है, तो मोबाइल पर ऐसे कई एप्लीकेशन मौजूद है, जिन्हें इंस्टाल करने के बाद में आवाज की तीव्रता नापी जा सकती है।