इस्लाम को अपने समय का एक वैज्ञानिक धर्म माना जाता है. उत्पति के समय से ही इस धर्म में कई ऐसी चीजों की चर्चा की गई, जिसे बाद के समाज ने स्वीकार किया. इसमें सबसे प्रमुख है महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार. शरिया कानून में महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार का प्रावधान है. हालांकि, समय बदलने के साथ इस धर्म के नियमों में भी कई कमियां देखी गईं. कई नियम समय के आलोक में जायज नहीं लगे. जैसे- तीन तलाक का मसला. लेकिन, आज हम इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं. हम आज इस्लाम में शादी के रिवाज के बारे में बात कर रहे हैं. इस्माल में चचेरी बहन-भाई के बीच शादी की परंपरा है. दुनिया के करीब-करीब सभी देशों में इसकी अनुमति है. इस धर्म को मानने वालों में ऐसे जोड़ों की संख्या काफी है जिन्होंने अपने चचेरे भाई-बहन से शादी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक अरब देशों में शादी-शुदा जोड़ों में से 45 फीसदी ऐसे हैं जिन्होंने अपने चचेरे भाई-बहन से शादी की है. भारत में इस्लाम को मानने वाले लाखों ऐसे जोड़े मिल जाएंगे, जिन्होंने चचेरे भाई-बहन से शादी की है.
दरअसल, पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों के साथ मध्य पूर्व के देशों में परिवार के भीतर शादी को प्राथमिकता दी जाती है. यह एक तरह की परंपरा भी है. इसको लेकर दुनिया में खूब चर्चा भी होती है. इसके पीछे का एक लॉजिक यह है कि मध्यपूर्व के देशों में राजशाही और कबिलाई व्यवस्था काफी प्रभावी रही है. ऐसे में इस व्यवस्था को प्रभावी बनाए रखने के लिए परिवार के भीतर ही शादी को अहमियत दी जाती रही है. इस्माल के सबसे पवित्र ग्रंथ कुरान में चचेरी बहन से शादी की अनुमति दी गई है.
बहन से शादी नहीं करने के पीछे क्या है लॉजिक
इस्लाम में सगी बहन से शादी करने की शख्त मनाही है. करीब-करीब दुनिया के तमाम धर्मों में भी ऐसी ही व्यवस्था है. दुनिया में कहीं भी सगी बहन से शादी की परंपरा नहीं रही है. मॉर्डन युग ने भी सगे भाई-बहन के बीच शादी को वैज्ञानिक रूप से अतार्किक बताया है. हमारी समाज व्यवस्था भी इसकी अनुमति नहीं देती.
सगी बहन से शादी खतरनाक
इस सवाल पर खूब चर्चा होती है. एक वेबसाइट researchgate.net पर इसको लेकर चर्चा हुई है. इस सवाल का जवाब क्यूंगपूक नेशनल यूनिवर्सिटी, कोरिया के एक स्कॉलर ने दिया है. उनका कहना है कि शोध से यह पता चलता है कि करीबी रिश्तों में शादी करने के कारण पैदा हुए बच्चे जन्म से ही खतरनाक तरह की परेशानी से प्रभावित हो सकते हैं. इससे बच्चे पूरे जीवन काल के लिए अपंग हो सकते हैं. उनका तर्क है कि एक मां-बाप से पैदा संतानों के बीच जीन्स में काफी समानता होती है. दूसरी बात हर इंसान में कुछ अच्छी जीन्स होती है कुछ खराब. ऐसे में जब एक पैरेंट्स की संताने आपस में शादी करें तो उनसे पैदा होने वाली संतानों में इन दोनों तरह के जीन्स के डबल होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में ऐसी संतानों में कई असामान्य चीजें देखी जा सकती हैं.
इस्लाम में बहन के अलावा इनके साथ शादी की सख्त मनाही
एक वेबसाइट इस्लाम ऑनलाइन डॉट नेट पर इस्लामिक सोसायटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका के प्रेसिडेंट डॉ. मुजामिल एच. सिद्दिकी ने एक लेख लिखा है. उनके लेख का शीर्षक है, ‘इस्लामिक विव ऑन मैरिइंग कजिन्स’. इसमें उन्होंने सुरत ए नीसा का हवाला देते हुए बताया है कि चचेरी बहन के साथ शादी जायद है. उन्होंने इसके पीछे कई तर्क भी दिए हैं, जो काफी जायज लगते हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि चचेरी बहन से शादी की अनुमति न केवल इस्लाम बल्कि दुनिया के कई अन्य धर्मों में भी है. लेकिन, इस्लाम में सगी बहन के अलावे कुछ और ऐसे रिश्ते हैं जिनसे शादी की शख्त मनाही है. डॉ. सिद्दिकी लिखते हैं- सगी बहन के अलावे ये पांच ऐसे रिश्ते हैं जिनमें शादी करना गुनाह है. इसमें पहला है- कोई लड़का अपने पिता की बहन यानी बुआ से शादी नहीं कर सकता. दूसरा- कोई लड़का अपनी मां की बहन से शादी नहीं कर सकता. तीसरा- कोई लड़का अपने भाई की बेटी यानी भतीजी से शादी नहीं कर सकता. चौथा- कोई लड़का बहन की बेटी यानी भांजी से शादी नहीं कर सकता. पांचवा- कोई लड़का दाई मां यानी उसे पालने-पोसने वाली मां से शादी नहीं कर सकता.