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नई दिल्ली: भारत में लगभग एक तिहाई महिलाएं अपने जीवन में शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार हुई हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। इस रिपोर्ट को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने गुरुवार को जारी किया। रिपोर्ट के अनुसार, देश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा 31.2 फीसदी से घटकर 29.3 फीसदी हो गई है, लेकिन इसी दौरान 18 से 49 वर्ष की आयु की 30 फीसदी महिलाओं ने 15 वर्ष की आयु से शारीरिक हिंसा का अनुभव किया है, जबकि 6 फीसदी ने अपने जीवनकाल में यौन हिंसा का अनुभव किया है। वहीं, केवल 14 फीसदी ऐसी महिलाएं रहीं जो खुद अपने साथ शारीरिक या यौन हिंसा होने का मामला लेकर सामने आईं।
सर्वेक्षण में पाया गया है कि 32 फीसदी विवाहित महिलाओं (18-49 वर्ष) ने शारीरिक, यौन या भावनात्मक वैवाहिक हिंसा का अनुभव किया है। वैवाहिक हिंसा का सबसे आम प्रकार शारीरिक हिंसा (28 फीसदी) है, जिसके बाद भावनात्मक हिंसा और यौन हिंसा होती है। इसके विपरीत, देश में केवल 4 फीसदी पुरुष घरेलू हिंसा के मामलों का सामना करते हैं। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा सबसे अधिक 48 फीसदी मामले कर्नाटक में हैं, इसके बाद बिहार, तेलंगाना, मणिपुर और तमिलनाडु का स्थान है। लक्षद्वीप में सबसे कम घरेलू हिंसा 2.1 फीसदी है।
जहां ग्रामीण क्षेत्रों में 32 फीसदी महिलाएं शारीरिक हिंसा का अनुभव करती हैं तो वहीं शहरी क्षेत्रों में इसका शिकार होने वाली महिलाओं की संख्या 24 फीसदी है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि स्कूली शिक्षा पूरी न करने वाली 18 फीसदी महिलाओं की तुलना में 40 फीसदी महिलाएं शारीरिक हिंसा का शिकार होती हैं। वहीं, सबसे कम संपत्ति वाली 39 फीसदी महिलाओं को शारीरिक हिंसा का अनुभव करना पड़ा जबकि सबसे अधिक संपत्ति वाली 17 फीसदी महिलाओं को इसका शिकार होना पड़ा। महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा के 80 फीसदी से अधिक मामलों में अपराधी पति होता है।
रिपोर्ट में पाया गया है कि 40-49 आयु वर्ग की महिलाओं को 18-19 वर्ग की महिलाओं की तुलना में अधिक हिंसा का शिकार होना पड़ता है।