लखनऊ। यूपी में इस साल 21 साल बाद सबसे कम बारिश हुई। केवल सावन महीने की बात करें तो इस बार सावन में 39% कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। इस बार मानसून ने यूपी में देरी से दस्तक दी। जिसका असर यूपी के 30 जिलों में देखने को मिला। यहां सूखे के हालात पैदा हो गए हैं।
बीते 24 घंटे में यूपी में 0.3 मिलीमीटर बारिश हुई है। मानसून शुरू हुए 1 जून से अब तक 249.7 मिलीमीटर ही बारिश हुई है। जो औसत अनुमान से 57% ही है। मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक अब तक 439.1 मिमी बारिश होनी थी।
फिलहाल आनेवाले दिनों में बारिश की संभावना कम
मौसम विभाग का मानना है कि यूपी में पूरी तरीके से मानसून एक्टिव नहीं हो पा रहा है। पहाड़ी इलाकों में बारिश होगी लेकिन उसका असर यूपी में नहीं पड़ेगा। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि शुक्रवार को उत्तराखंड से सटे जिले सहारनपुर, बरेली इन क्षेत्रों में मामूली बारिश भी हो सकती है।
नेपाल से सटे लखीमपुर, गोरखपुर और महाराजगंज क्षेत्र में फिलहाल बारिश की संभावना कम है। वहीं, लखनऊ समेत अवध के क्षेत्रों में तेज हवाएं चलेंगी बादल छाए रह सकते हैं लेकिन बारिश नहीं होगी।
नदियों का जलस्तर बढ़ने से 9 जिले के 33 गांव प्रभावित
उत्तर प्रदेश के राहत कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार यूपी के 9 जिलों में बाढ़ का असर देखने को मिला। प्रदेश के बाराबंकी, गोंडा, गोरखपुर, कासगंज, लखीमपुरखीरी, कुशीनगर, मऊ, मेरठ और सीतापुर के जिले के 33 गांव बाढ़ प्रभावित है।
प्रदेश के बदायूं जिले में शारदा नदी और लखीमपुर, बलिया में घाघरा नदी का जलस्तर वार्निंग लेवल से ऊपर जा रहा है। राहत आयुक्त रविंद्र प्रसाद ने बताया कि 36 जिलों में 57 टीमें एनडीआरएफ, SDRF और पीएसी की तैनात की गई है। प्रदेश में 9 जिलों में बाढ़ से प्रभावित 33 गांव के 2980 लोगों के पास राहत आपदा विभाग के द्वारा मदद पहुंचाई जा रही है।
यूपी में 30 जिले सूखे से प्रभावित
यूपी में सूखा प्रभावित जिलों में लखीमपुर खीरी, मऊ, अमेठी, अयोध्या, बहराइच, बांदा, फर्रुखाबाद, बाराबंकी, चंदौली, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, अमरोहा, बागपत, अलीगढ़, संभल, रामपुर, मुरादाबाद, महोबा, बुलंदशहर, शाहजहांपुर, पीलीभीत, हमीरपुर, जालौन, बरेली, बिजनौर, बदायूं, सोनभद्र, सुल्तानपुर, श्रावस्ती, संत कबीर नगर, रायबरेली जैसे जिले शामिल है।
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार से इन जिलों में 50% से भी कम बारिश हुई है। मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि 50% से कम बारिश होने के बाद से किसानों की फसलों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। देर से मानसून आने के बावजूद अब बारिश न होने से किसानों ने फसल की रोपाई तो कर ली। मगर, पर्याप्त बारिश के अभाव में सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं।