राजस्थान में चार दिन पहले हुए सियासी बवाल को बीजेपी अपना हथियार बनाने के मूड़ में दिख रही है। पार्टी का मानना है कि जिस तरह से अशोक गहलोत गुट के 90 विधायकों ने इस्तीफे दिए उसमें वो देख रहे हैं कि कोर्ट का दरवाजा कैसे खटखटाया जा सकता है। बीजेपी का मानना है कि वो लीगल पहलुओं पर विचार कर सारे मामले को कोर्ट ले जाने पर विचार कर रही है। हालांकि पार्टी को लगता है कि मौजूदा दौर में चुनाव ही बेहतर विकल्प है। अफसर दुविधा में हैं। ऐसे तो लोगों के काम ही नहीं हो पाएंगे।
राजस्थान असेंबली के नेता विपक्ष गुलाब चंद कटारिया का कहना है कि बीजेपी के नेता संग बैठकर सारे मामले पर विचार करेंगे कि कोर्ट में जाने का कोई रास्ता है भी या नहीं। उनका कहना था कि विधायकों के इस्तीफे को लीगली तौर पर चेलेंज करना है तो नेताओं को आपस में बैठकर पहले चर्चा तो करनी ही होगी।
राजस्थान कांग्रेस में तूफान तब उठा जब सीएम गहलोत को गांधी परिवार की तरफ से कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उतारने की बात चली। सोनिया गांधी चाहती थीं कि उनके उम्मीदवार के तौर पर गहलोत मैदान में उतरें। गहलोत इसके लिए राजी भी थे। लेकिन इस शर्त के साथ कि सीएम भी वो ही बने रहेंगे। पेंच तब फंसा जब राहुल ने एक व्यक्ति एक पद की बात को जरूरी बता दिया।
कांग्रेस के अधिवेशन में ये फैसला लिया गया था कि एक नेता एक समय में एक ही पद पर काबिज रह सकता है। केवल गांधी परिवार के सदस्यों को इस नियम से छूट दी गई थी। सचिन पायलट ने इसे मुद्दा बनाकर उछाला तो आलाकमान ने अपने प्रतिनिधि जयपुर भेज दिए। लेकिन वहां गहलोत गुट ने अड़ियल रवैया दिखाया और 90 विधायकों ने स्पीकर के सामने जाकर इस्तीफा दे दिया।
असेंबली का नियम 173(2) कहता है कि अगर कोई सदस्य स्पीकर को खुद जाकर इस्तीफा दे देता तो है उसका अनुरोध वो स्वीकार कर सकते हैं। नियम 173(3) कहता है कि अगर इस्तीफा मेल या पोस्ट से आता है तो वो जांच करा सकते हैं कि ये वैलेड भी है या नहीं। 173(4) कहता है कि इस्तीफा देने वाला विधायक कभी भी उसे विदड्रा कर सकता है। उसे ऐसा अधिकार है।
लेकिन इस मामले में स्पीकर सीपी जोशी ने इस्तीफों पर कोई फैसला नहीं लिया है। इस्तीफे व्यक्तिगत तौर पर दिए गए हैं। बीजेपी को इस सारे झमेले में अपने लिए एक आशा दिखती है। पार्टी मान रही है कि अभी चुनाव होते हैं तो उसके लिए फायदा है क्योंकि सचिन गहलोत के झगड़े में लोग भी कांग्रेस से तकरीबन ऊब चुके हैं। चुनाव बाद में हुए तो हो सकता है कि डैमेज कंट्रोल हो जाए।