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प्रयागराज. अतीक-अशरफ हत्याकांड के 9वें दिन सोमवार को एक बार फिर माफिया का चकिया कार्यालय सुर्खियों में आ गया। बुलडोजर से ढहाए गए इस कार्यालय के भीतर फर्श और दीवारों पर जगह-जगह खून, सीढ़ी और रेलिंग पर खून के धब्बे, एक चाकू और खून लगे कपड़े मिलने से सनसनी फैल गई। खिड़की का शीशा भी टूटा मिला। पास में चूड़ियां भी टूटी हुई मिलीं है। इसके बाद तरह तरह की चर्चा होने लगी। यह भी चर्चा शुरू हो गई कि कहीं वहां शाइस्ता तो नहीं पहुंची थी। कहीं शाइस्ता ने ही कार्यालय में आत्महत्या करने की कोशिश तो नहीं की। क्या नस काटने से शाइस्ता जख्मी हुई है। इसी चर्चा के बाद आसपास के लोग भी वहां पहुंचने लगे।
सोशल मीडिया पर कार्यालय के अंदर का खून वाला वीडियो शेयर किया जाने लगा। हालांकि बाद में पुलिस ने वहां पर सख्ती की। बैरियर लगाकर आवागमन रोक दिया। क्राइम सीन तैयार किया। इसके बाद फोरेंसिक टीम ने जांच की। फोरेंसिक टीम ने खून का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा है। जांच रिपोर्ट से पता चलेगा कि खून इंसान का है या फिर जानवर का। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि चकिया की तरफ जाने वाले रास्ते में कार्यालय के गेट से घुसते ही एक कोने में खून जमीन पर में फैला था। जबकि पास में ही सब्जी काटने वाला एक चाकू पड़ा हुआ था।
इसके अलावा पहली मंजिल पर जाने वाली सीढ़ियों पर जगह जगह खून की बूंदें गिरी थीं। रेलिंग के ऊपर भी कई जगह खून लगा था। दीवारों पर भी यूं खून लगा था जैसे किसी ने खून से सने हाथ, उंगलियां पोंछी हों। पहली मंजिल पर पड़े दुपट्टे में खून लगा था। आशंका है कि किसी ने खून से सना हाथ पोंछा है। एक पुरानी फ्रॉक पड़ी थी, उसमें भी खून लगा था। कमरे में सामान बिखरा था। चूड़ियां भी टूटी हुईं मिलीं। दूसरी मंजिल पर भी खून की बूंदे थीं।
अतीक के कार्यालय में खून, चाकू की कहानी किसी रहस्य से कम नहीं है। खबर पाकर पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। एफएसएल की टीम बुलाई गई। प्रयागराज की लोकल फोरेंसिक टीम जांच को पहुंची। कार्यालय से फिंगरप्रिंट, चाकू पर से निशान लिए गए। एफएसएल की टीम जांच कर रही है कि खून इंसान का है या फिर जानवर का। फिलहाल पुलिस अधिकारी जांच के बाद ही तस्वीर साफ होने की बात कह रहे हैं। आसपास के सीसीटीवी कैमरे को भी खंगाला गया है। डीसीपी नगर दीपक भूकर ने बताया कि शीशे पर भी खून के निशान मिले हैं। पुलिस हर एंगल पर जांच कर रही है।
पुलिस को जानवर का शक, लेकिन साक्ष्य नहीं मिले
पुलिस अफसरों ने शुरुआत में किसी जानवर के मारने की बात कही। ऐसा लग रहा था कि किचन में खाना बनाया गया है। अटकलें लगाई गईं कि रात में वहां पर मुर्गा काटकर बिरयानी बनाई गई होगी, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं मिला। चर्चा शुरू हो गई कि अगर बकरा काटा गया होता तो वहां पर खून के निशान और ज्यादा होते। अगर मुर्गा होता तो कम से उसके कुछ पंख तो जरूर मिले होते। जबकि वहां पर किसी जानवर के होने का कोई प्रमाण नहीं मिला। इसलिए बाद में पुलिस अफसरों ने कहा कि फोरेंसिक रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट होगा कि खून किसका है।
… तो क्या आपस में हुए हमले में कोई जख्मी हुआ
अतीक के कार्यालय में खून देखकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। जानकारों ने दावा किया कि जिस तरह से खिड़की का शीशा टूटा है। उसमें खून लगा है। कपड़ों में खून पोछने के निशान हैं। इससे यही लग रहा है कि किसी व्यक्ति के खून के धब्बे हैं। किसी के चाकू से आत्महत्या करने की कोशिश से लेकर किसी व्यक्ति पर हमले से हुए जख्म के खून होने की चर्चा है।
अब सवाल यह उठता है कि अतीक के जमींदोज कार्यालय में कोई क्यों पहुंचा? इस बात पर लोगों का कहना है कि अतीक के इसी कार्यालय से लाखों रुपये पुलिस ने बरामद किए थे। अतीक के कार्यालय में अभी सामान रखा था। इस बात की आशंका है कि शनिवार रात में कुछ संदिग्ध लोग वहां पहुंचे होंगे। उनके बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ। मारपीट में किसी ने चाकू का इस्तेमाल किया। भागने में खिड़की का शीशा टूटा। जब वह खून से लथपथ हो गया तो वह नीचे से दूसरी मंजिल की ओर भागा।
इस बीच कार्यालय में फर्श और रेलिंग से होते हुए सीढ़ियों पर खून की बूंदें गिरीं। संदिग्ध ने ऊपरी मंजिल पर जाकर आलमारी खंगाली। इसके कारण कमरे में सामान बिखरा हुआ नजर आया। पहले उसने फ्रॉक और फिर दुपट्टा उठाकर जख्म को पोछा। यही वजह रही होगी कि कपड़ों में खून लग गए। डीसीपी का कहना है कि फुटेज से पता चल जाएगा कि कार्यालय में रात में कौन गया है। हर बिंदु पर जांच की जा रही है।
चकिया कार्यालय पर दो बार चला बुलडोजर, लाखों रुपये मिले थे
चकिया स्थित अतीक अहमद का यह कार्यालय हमेशा ही पुलिस और प्रशासन के रडार पर रहा। जब-जब अतीक अहमद पर कार्रवाई हुई, पुलिस और प्रशासन का डंडा इस कार्यालय पर भी चला। दो बार बुलडोजर चल चुका है। प्रयागराज पुलिस ने इस कार्यालय को गैंगस्टर एक्ट के तहत कुर्क किया है। इसका एक हिस्सा ढहाया जा चुका है। उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस ने 21 मार्च 2023 को इसी कार्यालय से 72 लाख रुपये, 10 असलहे और सैकड़ों कारतूस बरामद किए थे।
माफिया अतीक अहमद का चकिया स्थित कार्यालय 2007 तक गुलजार रहता था। प्रदेश में 2007 में बसपा सरकार बनते ही कार्यालय में सन्नाटा पसर गया। चौफटका रेलवे ओवरब्रिज के पास अवैध रूप से कार्यालय बनाया गया था। 2008 में प्रदेश सरकार के निर्देश पर एडीए (अब पीडीए) ने अतीक और उसके गुट से जुड़े लोगों के खिलाफ अभियान शुरू किया। अतीक के अवैध कार्यालय पर भी बुलडोजर चला। इसके बाद कार्यालय वर्षों वीरान रहा।
2012 में प्रदेश में सपा सरकार बनने के बाद कार्यालय फिर गुलजार होने लगा। हालांकि समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद से किनारा कर लिया था। कार्यालय में अतीक समर्थक बैठते पर इसके टूटे हिस्से की पूरी तरह मरम्मत नहीं हुई। 2017 में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो एकबार फिर अतीक के कार्यालय के हिस्से का ध्वस्तीकरण हुआ। इसके बाद कार्यालय वीरान पड़ा रहा। चकिया स्थित आवास का ध्वस्तीकरण होने के बाद महीनों अतीक का घोड़ा और मवेशी इसी कार्यालय में रखे जाते थे। बाद में घोड़ा और मवेशी हटा दिए गए। इसी कार्यालय को पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत कुर्क कर लिया।
उमेश पाल हत्याकांड के बाद कार्यालय में अतीक के नौकर ही कभी-कभी आते-जाते थे। 21 मार्च को पुलिस ने अतीक अहमद के मुंशी राकेश समेत पांच गुर्गों को गिरफ्तार किया। उन्हीं की निशानदेही पर इसी कार्यालय से 72 लाख रुपये और असलहों का जखीरा बरामद किया था। यह भी चर्चा है कि लाखों रुपये मिलने के बाद चोर व उच्चके अतीक के कार्यालय में रविवार रात गए थे। वहीं पर कोई घटना हो गई होगी।
इस कुर्क और खुले कार्यालय का क्या विकल्प
इस कार्यालय भवन के आगे का हिस्सा जमींदोज किया जा चुका है। लेकिन इसके बाद भी कार्यालय के अंदर का हिस्सा काफी बढ़ा है। ऊपर मंजिल पर कमरे बने हैं। सामान है। किचन के अंदर खाने पीने का सामान है। महिलाओं के कपड़े भी हैं। कार्यालय चारों तरफ से खुले होने के कारण ही पहले इसमें अतीक के मुंशी ने लाखों रुपये रखे और अब इसी कार्यालय में खून मिले हैं। सवाल यह है कि इस कुर्क कार्यालय के अंदर किसी के प्रवेश पर रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन कोई ठोस इंतजाम क्यों नहीं कर रहा।