मेरठ। लोकसभा और विधानसभा चुनाव गठबंधन के साथ लड़े सपा-रालोद में निकाय चुनाव के दौरान सहमति नहीं बन पा रही है। रालोद ने सपा द्वारा गठबंधन धर्म नहीं निभाने का आरोप लगाते हुए सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का एलान किया है।
मेरठ नगर निगम महापौर प्रत्याशी की जल्द घोषणा करने के साथ पार्षद प्रत्याशी के लिए आवेदन तिथि दो दिन के लिए बढ़ा दी है। रालोद ने अब नगर निकाय चुनाव अकेले दम पर लड़ने की बात कही है। उधर, सपा जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व के आदेश का इंतजार है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह ही सपा-रालोद ने नगर निकाय चुनाव भी गठबंधन के साथ लड़ने का निर्णय लिया था। मेरठ नगर निगम महापौर की सीट सपा के लिए छोड़ दी थी।
सपा ने सरधना से विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को महापौर प्रत्याशी बनाया है। शनिवार को रालोद ने सहारनपुर से लेकर आगरा तक की नगरपालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए 31 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। इस सूची में मवाना नगर पालिका परिषद से अय्यूब कालिया को प्रत्याशी घोषित किया गया था। उधर, सपा ने सोमवार शाम मवाना नगर पालिका चेयरमैन के लिए दीपक गिरी के नाम का ऐलान कर दिया। रालोदियों ने पूरे मामले की जानकारी पार्टी हाईकमान को दी। प्रदेश मीडिया संयोजक सुनील रोहटा और जिलाध्यक्ष मतलूब गौड़ ने कहा कि पार्टी की निकाय चुनाव की पूरी तैयारी है। मेरठ नगर निगम में महापौर पद सहित 42 वार्डों से पार्षद प्रत्याशी फाइनल किए जा चुके हैं। बाकी बची सीटों पर प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया जारी है। जल्द ही प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी जाएगी।
राष्ट्रीय नेतृत्व प्रकरण में करेगा निर्णय सपा
वहीं सपा के जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह ने कहा कि इस पूरे प्रकरण के बारे में राष्ट्रीय नेतृत्व को निर्णय करना है। पार्टी को जो भी निर्णय होगा, उसी आधार पर काम किया जाएगा। राष्ट्रीय और प्रदेश अध्यक्ष के आदेश के तहत ही पार्टी निर्णय करेगी।
हमने गठबंधन धर्म निभाने में कसर नहीं छोड़ी सांगवान
पार्टी हाईकमान के निर्देश पर हम सभी सीटों पर प्रत्याशी उतराने की बात कर रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. राजकुमार सांगवान ने बताया कि रालोद ने गठबंधन धर्म निभाने में कोर कसर बाकी नहीं रखी। नगर निगम महापौर सीट भी छोड़ दी। लेकिन सपा हर समय अनदेखी करती रही और कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल नहीं रखा।
विधानसभा चुनाव 2022 में भी सपा-रालोद ने गठबंधन से चुनाव लड़ा था। रालोद के हिस्से में 33 सीट आई थीं, लेकिन सपा ने इसमें भी छह सीटों पर अपने नेताओं को रालोद के सिंबल पर उतार दिया था। रालोद कार्यकर्ताओं में इसका भारी विरोध हुआ था और जिसका असर चुनाव में देखने को मिला था।