राजस्थान: शिक्षा विभाग की गाइड लाइन को लेकर यूनाइटेड गार्जियन एसोसिएशन में रोष

Rajasthan: Fury in the United Guardian Association regarding the guide line of the Education Department
Rajasthan: Fury in the United Guardian Association regarding the guide line of the Education Department
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राजस्थान। संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि केवल तरह-तरह की विज्ञप्ति जारी कर सरकार स्टूडेंट्स के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है, जबकि राज्य सरकार ने अपने बजट भाषण में आरटीई की तर्ज पर कक्षा 9 से 12 तक फ्री शिक्षा देने का वादा किया था। अब सरकार गाइड लाइन जारी कर अपने वादे से मुकर रही है।

अभिषेक जैन बोले कि बजट घोषणा के दो महीने बाद शिक्षा विभाग ने गाइडलाइन जारी की है, जबकि स्कूलों में एक अप्रैल से पढ़ाई शुरू भी हो चुकी है। जिन विद्यार्थियों ने आरटीई के तहत कक्षा 8वीं तक स्कूलों में शिक्षा ग्रहण की है। उन विद्यार्थियों को स्कूलों ने अधिकतर विद्यार्थियों को बिना मांगे टीसी देकर स्कूल से बाहर कर दिया है, अब विद्यार्थियों के सामने सबसे पहले एडमिशन लेने का संकट खड़ा हो चुका है। क्योंकि अधिकतर निजी स्कूल एडमिशन ले चुके हैं और जो स्कूल पहले ही आरटीई के बच्चों को पढ़ाई नहीं करवा रहे हैं, वो कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को क्यों और कैसे एडमिशन देंगे? एडमिशन नहीं देने की स्थिति में सरकार और शिक्षा विभाग क्या कार्यवाही सुनिश्चित करेगा? उसको लेकर कोई गाइडलाइन तय नहीं की है।

शहरों में 9वीं से 12वीं के स्टूडेंट्स को फ्री एजुकेशन कैसे मिलेगी?
संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने अपने वादे मुताबिक दो माह बाद कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों को लेकर गाइड लाइन जारी कर दी है, जिससे गांवों और कस्बों में तो विद्यार्थियों को पढ़ाई उपलब्ध हो जाएगी, लेकिन जयपुर, अजमेर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, बीकानेर, भीलवाड़ा आदि शहरों सहित अन्य प्रमुख शहरों में विद्यार्थियों को पढ़ाई कैसे मिलेगी, जो स्कूल पहले ही मनमानी कर अभिभावकों को तंग कर रहे हैं, सरकार द्वारा जारी आरटीई की पालना नहीं कर रहे, उन स्कूलों का राज्य सरकार क्या करेगी? दूसरी बात यह है कि राज्य सरकार ने कक्षा 9 से 12 के बच्चों की क्या यूनिट कास्ट निर्धारित की है।

अगर किसी स्कूल में फीस 50 हजार रुपये हुई और सरकार ने यूनिट कास्ट के आधार पर मात्र 20 हजार रुपये दिए, तो बाकी की फीस अभिभावक कहां से लाएगा? जिन विद्यार्थियों का “मुख्यमंत्री बालक फीस पुनर्भरण योजना” के तहत हो भी गया, तो सरकार तरफ से पहली किस्त 16 नवंबर से शुरू होगी, जबकि स्कूल प्रशासन तो पहले दिन से अभिभावकों पर फीस का दबाव बनाते हैं। साथ ही सरकार की अपनी इस गाइड लाइन में उन विद्यार्थियों पर भी विचार करना चाहिए, जो फीस न होने के चलते ड्रॉपआउट कर चुके हैं। ड्रॉप आउट किए विद्यार्थियों को भी स्थान उपलब्ध होना चाहिए। जब सरकार ने आरटीई की तर्ज पर शिक्षा उपलब्ध करवाने की घोषणा की थी, तो उसी तर्ज पर शिक्षा उपलब्ध करवाई जाए। यूनिट कॉस्ट देकर अभिभावकों को राज्य सरकार संकट में न डाले।