मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने मारुती कार से टक्कर मारकर साईकिल सवार की गैर इरादत हत्या के 23 साल पुराने मामले की सुनवाई करते हुए आरोपित को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। हाईकोर्ट के निर्देश पर प्राचीनत वादों की सुनवाई के क्रम में एसीजेएम-2 मुकीम अहमद ने 1999 के इस मुकदमे में निर्णय दिया।
मारुती की टक्कर से हुई थी साईकिल सवार की मौत
मुजफ्फरनगर के थाना बाबरी (अब जनपद शामली में) में गांव बाबरी निवासी नईम ने 1999 में मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया था कि उसके भाई का साला नफीस उनके साथ ही रह रहा था। बताया था कि नफीस किसी काम से घर से बाहर गया था। लेकिन काफी देर तक नहीं लौटा तो वह उसे ढूंढने के लिए निकला। बताया कि जब वह सड़क पर पहुंचा तो देखा के बागपत निवासी प्रवीण कुमार पुत्र जयपाल सिंह ने अपनी मारुती कार से नफीस की साइकिल में टक्कर मार दी। जिसके चलते गंभीर घायल होने पर नफीस की मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर प्रवीण को गिरफ्तार कर लिया था।
कोर्ट में अभियोजन ने तलब नहीं कराए साक्ष्य
घटना के मुकदमे की सुनवाई एसीजेएम-2 मुकीम अहमद ने की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अभियोजन पर तल्ख टिप्पणी की। जिसमें कोर्ट ने कहा कि उक्त मुकदमे में अभियोजन ने साक्ष्य के तलब करने के लिए न्यायालय में कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया। ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य की और से कोई पैरवी नहीं की गई। जिसके बाद काेर्ट ने अभियोजन का साक्ष्य का अवसर समाप्त कर आरोपित के 313सीआरपीसी के बयान कराए।
पीड़ित स्वजन को क्षतिपूर्ति के मिल चुके 2.69 लाख
सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की और से कोर्ट को जानकारी दी गई कि गैर इरादतन हत्या के उक्त मामले में मृतक के स्वजन को क्षतिपूर्ति के रूप में काफी पहले ही 2.69 लाख रुपये दिये जा चुके हैं। कोर्ट ने डीजे के आदेश के तहत प्राचीनतम वादों में अभियोजन को एक अंतिम अवसर दिया। लेकिन कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। जिसके बाद साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने आरोपित प्रवीण कुमार को गैर इरादतन हत्या के मामले में बरी कर दिया।