मुज़फ़्फ़रनगर: चीन की दस्तक से पेपर उद्योग मुश्किल में

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मुजफ्फरनगर। पेपर उद्योग में चीन की दस्तक के बाद से विदेशों में होने वाला निर्यात प्रभावित हो रहा है। कच्चे माल की उपलब्धता नहीं होने से और निर्यात के संकट से पेपर उद्योग के सामने चुनौतियां खड़ी हो रही हैं। हालत यह है कि जिले में चल रहीं 35 पेपर मिलों के पास करीब 25 हजार टन पेपर स्टॉक हो गया है।

गुजरात के मोरबी के बाद मुजफ्फरनगर पेपर उत्पादन में शीर्ष पर है। यहां एक माह में लगभग तीन हजार करोड़ रुपये का पेपर तैयार होता है और एक दिन में सौ करोड़ रुपये का पेपर सप्लाई किया जाता है। यहां का पेपर चीन, अफ्रीका, अरब देशों, कनाडा और अमेरिका तक सप्लाई किया जाता है। लेकिन कच्चे माल की अनुपलब्धता और चीन के पेपर की विदेशों में सप्लाई शुरू होने से स्थानीय पेपर के निर्यात पर असर शुरू हो गया है।

पेपर मिल मालिकों का कहना है कि कच्चे माल की उपलब्धता लगातार घट रही है। पहले कच्चा माल सिर्फ 15 रुपये प्रति किलो तक मिल जाता था, लेकिन अब 18.50 रुपये में भी पर्याप्त माल उपलब्ध नहीं है। वहीं चीन में बन रहे पेपर की सप्लाई विदेशों में शुरू होने से निर्यात कम हो रहा है और मांग घटने से करीब 25 हजार टन का स्टॉक जमा हो गया है।

एक लाख 30 हजार टन कागज बनता है
जिले की 35 पेपर मिलों में एक माह में एक लाख 30 हजार टन कागज बनता है। एक माह का पेपर का व्यापार तीन हजार करोड़ रुपये का है। सबसे ज्यादा क्राफ्ट पेपर 90 हजार टन बनता है। 15 हजार टन राइटिंग पेपर, डुप्लेक्स 16 हजार टन, टिश्यू और पोस्टर दस हजार टन बनता है।