अमित शाह ने ‘हरियाणा की सभी लोकसभा सीटों’ के लिए साधा निशाना? गठबंधन ‘बरकरार’ लेकिन…

Amit Shah targets 'all Lok Sabha seats in Haryana'? Alliance 'intact' but...
Amit Shah targets 'all Lok Sabha seats in Haryana'? Alliance 'intact' but...
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चंडीगढ़: ‘हरियाणा में सभी 10 (लोकसभा) सीटों पर कमल खिलेगा’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का ये हालिया बयान उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला के लिए निराशा की वजह बन सकता है. पिछले महीने ही जननायक जनता पार्टी (JJP) के नेता ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी 2024 का चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ेगी. रविवार को सोनीपत के गोहाना में एक राज्य इकाई की रैली को वर्चुअली संबोधित करते हुए शाह ने लोगों से 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता में वापस लाने की अपील की थी. भाजपा की लोकसभा प्रवासी योजना के तहत यह रैली आयोजित की गई थी. इसमें वरिष्ठ नेता उन 160 निर्वाचन क्षेत्रों में जनसभाएं कर रहे हैं, जहां पार्टी 2019 के लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने में विफल रही थी.मई 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. हरियाणा में इसी साल बाद में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल अक्टूबर में खत्म होने जा रहा है.

दिसंबर में दुष्यंत ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन में 2024 का चुनाव लड़ेगी. उन्होंने चंडीगढ़ में कहा था, ‘2019 के चुनाव के बाद हुए गठबंधन के दौरान ही यह तय हो गया था.’ इससे एक महीने पहले जेजेपी ने घोषणा की थी कि वह 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के गठबंधन के साथ राजस्थान में 18 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. फोन पर दिप्रिंट से बात करते हुए दुष्यंत ने कहा, ‘हमारी पार्टी 2019 से बीजेपी के साथ गठबंधन में है. गठबंधन अभी भी मौजूद है. मैं बस इतना कह सकता हूं कि दोनों पार्टियां गठबंधन में हैं और आगामी चुनाव मिलकर लड़ेंगी.

लेकिन उन्होंने हरियाणा के मतदाताओं से राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर कमल खिलाने में मदद करने की शाह की हालिया अपील पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘चुनाव के लिए हर पार्टी अपनी तैयारी करती है. हम भी राज्य भर में जनसभाएं करते हैं. हमारी पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन में है और हमने फैसला किया है कि दोनों पार्टियां आगामी चुनाव एक साथ लड़ेंगी. लेकिन अमित शाह के दावे को अलग-थलग करके नहीं देखा जाना चाहिए. क्योंकि यह पहली बार नहीं हुआ है. भाजपा इससे पहले भी हरियाणा में अपनी जूनियर पार्टनर जेजेपी को सरप्राइज देती रही है.

मई 2022 में भाजपा ने अपनी तरफ से हरियाणा में नगर निगम चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की थी. एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘शाह के बयान ने पूरे राज्य में संकेत दिया है कि बीजेपी सभी 10 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने में सक्षम है और उसे 2024 के संसदीय चुनावों में जेजेपी के समर्थन की जरूरत नहीं है.’ राजनीतिक पर्यवेक्षक और अनुभवी पत्रकार योगेंद्र गुप्ता ने कहा कि हो सकता है शाह संकेत दे रहे हों कि अगर जेजेपी आगामी संसदीय चुनाव भाजपा के साथ गठबंधन करके लड़ना चाहती है, तो उसके उम्मीदवारों को कमल के चिन्ह पर ऐसा करना होगा.

दोनों दल कैसे एक साथ आए
बीजेपी और जेजेपी ने 2019 का लोकसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा था. जहां भाजपा ने राज्य की सभी 10 सीटें जीतीं, वहीं जेजेपी जीरो पर सिमट कर रह गई थी. दुष्यंत ने हिसार में भाजपा के बृजेंद्र सिंह से लड़ते हुए और उनके छोटे भाई दिग्विजय ने भाजपा के रमेश कौशिक के खिलाफ सोनीपत में अपनी जमानत खो दी थी. जब इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला ने बड़े बेटे और पूर्व सांसद अजय चौटाला और बाद के बेटों दुष्यंत और दिग्विजय को निष्कासित कर दिया था, तब पार्टी कुछ महीने पुरानी थी. 2014 में दुष्यंत ने इनेलो के टिकट पर हिसार सीट से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा और 26 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के सांसद बने. 2019 की लोकसभा हार के बाद, जेजेपी ने अक्टूबर 2019 के विधानसभा चुनावों में 10 सीटें जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया था. भाजपा ने इन चुनावों में 90 में से 40 सीटें जीतीं थीं. बहुमत से छह सीटें कम होने के कारण पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए जेजेपी के साथ गठबंधन किया. तब दुष्यंत 30 साल की उम्र में डिप्टी सीएम बने थे.